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[[अजातशत्रु]] के पुत्र उदय ने इसे [[मगध]] की राजधानी का दर्जा दिया, जो पहली शताब्दी ई.पू. तक बना रहा। दूसरे मगध वंश मौर्य ने तीसरी और दूसरी शताब्दी ई.पू. के आरंभ तक शासन किया, इसके बाद 185 ई.पू. में भारत-यूनानियों ने इस शहर पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात शुंग वंश का आरंभ हुआ, जिसने लगभग 73 ई.पू. तक यहाँ शासन किया। पाटलिपुत्र अध्ययन का केंद्र बना रहा और चौथी शताब्दी में यह गुप्त शासकों की राजधानी बना। सातवीं शताब्दी तक इसका पतन हो गया और इसका परित्याग कर दिया गया। 1541 में अफ़ग़ान शासक शेरशाह ने पटना के रूप में इसकी पुनर्स्थापना की और बाद में मुग़ल साम्राज्य के अंतर्गत यह फिर से समृद्ध हुआ। 1765 में इस पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। इसके आसपास के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर पुरातात्विक खुदाई का काम हुआ है। [[शेरशाह]] के पश्चात मुग़ल-काल में पटना ही स्थायी रूप से बिहार प्रांत की राजधानी रही। ब्रिटिश काल में 1892 में पटना को बिहार-[[उड़ीसा]] के संयुक्त सूबे की राजधानी बनाया गया। | [[अजातशत्रु]] के पुत्र उदय ने इसे [[मगध]] की राजधानी का दर्जा दिया, जो पहली शताब्दी ई.पू. तक बना रहा। दूसरे मगध वंश मौर्य ने तीसरी और दूसरी शताब्दी ई.पू. के आरंभ तक शासन किया, इसके बाद 185 ई.पू. में भारत-यूनानियों ने इस शहर पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात शुंग वंश का आरंभ हुआ, जिसने लगभग 73 ई.पू. तक यहाँ शासन किया। पाटलिपुत्र अध्ययन का केंद्र बना रहा और चौथी शताब्दी में यह गुप्त शासकों की राजधानी बना। सातवीं शताब्दी तक इसका पतन हो गया और इसका परित्याग कर दिया गया। 1541 में अफ़ग़ान शासक शेरशाह ने पटना के रूप में इसकी पुनर्स्थापना की और बाद में मुग़ल साम्राज्य के अंतर्गत यह फिर से समृद्ध हुआ। 1765 में इस पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। इसके आसपास के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर पुरातात्विक खुदाई का काम हुआ है। [[शेरशाह]] के पश्चात मुग़ल-काल में पटना ही स्थायी रूप से बिहार प्रांत की राजधानी रही। ब्रिटिश काल में 1892 में पटना को बिहार-[[उड़ीसा]] के संयुक्त सूबे की राजधानी बनाया गया। | ||
====पटना में यात्री==== | ====<u>पटना में यात्री</u>==== | ||
पटना कई प्रबुद्ध यात्रियों जैसे फाह्यान, [[ह्वेन त्सांग]] के आगमन का भी साक्षी है। कई इतिहासविद यह भी मानते हैं कि महानतम कूटनीतिज्ञ कौटिल्य ने यहीं पर अर्थशास्त्र की रचना की थी। पुराने नगर के पश्चिम में बांकीपुर नामक स्थान है और सुदूर दक्षिण-पश्चिम में नई राजधानी है, जहाँ चौड़ी एवं छायादार सड़के और नए भवन हैं। | पटना कई प्रबुद्ध यात्रियों जैसे फाह्यान, [[ह्वेन त्सांग]] के आगमन का भी साक्षी है। कई इतिहासविद यह भी मानते हैं कि महानतम कूटनीतिज्ञ कौटिल्य ने यहीं पर अर्थशास्त्र की रचना की थी। पुराने नगर के पश्चिम में बांकीपुर नामक स्थान है और सुदूर दक्षिण-पश्चिम में नई राजधानी है, जहाँ चौड़ी एवं छायादार सड़के और नए भवन हैं। | ||
=====गुरु तेगबहादुर जी===== | =====<u>गुरु तेगबहादुर जी</u>===== | ||
[[तेगबहादुर सिंह गुरु|गुरु तेगबहादुर जी]] [[प्रयाग]], [[बनारस]], पटना, [[असम]] आदि क्षेत्रों में गए, जहाँ उन्होंने आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नयन के लिए रचनात्मक कार्य किए। आध्यात्मिकता, धर्म का ज्ञान बाँटा। इन्हीं यात्राओं में 1666 में गुरुजी के यहाँ पटना साहब में पुत्र का जन्म हुआ। जो दसवें गुरु- [[गुरु गोविंद सिंह]] बने। | [[तेगबहादुर सिंह गुरु|गुरु तेगबहादुर जी]] [[प्रयाग]], [[बनारस]], पटना, [[असम]] आदि क्षेत्रों में गए, जहाँ उन्होंने आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नयन के लिए रचनात्मक कार्य किए। आध्यात्मिकता, धर्म का ज्ञान बाँटा। इन्हीं यात्राओं में 1666 में गुरुजी के यहाँ पटना साहब में पुत्र का जन्म हुआ। जो दसवें गुरु- [[गुरु गोविंद सिंह]] बने। | ||
=====गुरु गोविंद सिंह जी===== | =====<u>गुरु गोविंद सिंह जी</u>===== | ||
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर सन् 1666 ई॰ को पटना (बिहार) में हुआ था। | गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर सन् 1666 ई॰ को पटना (बिहार) में हुआ था। | ||
====कॉलेज का निरमाण==== | |||
====<u>कॉलेज का निरमाण</u>==== | |||
[[राजेन्द्र प्रसाद|बाबू राजेन्द्र प्रसाद]] ने अपनी फलती-फूलती वकालत छोड़कर पटना के निकट सन् 1921 में एक नेशनल कॉलेज खोला। हज़ारों छात्र और प्रोफ़ेसर जिन्होंने सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार किया था यहाँ आ गये। फिर इस कॉलेज को गंगा किनारे सदाकत आश्रम में ले जाया गया। अगले 25 वर्षों के लिये यह राजेन्द्र प्रसाद जी का घर बन गया। | [[राजेन्द्र प्रसाद|बाबू राजेन्द्र प्रसाद]] ने अपनी फलती-फूलती वकालत छोड़कर पटना के निकट सन् 1921 में एक नेशनल कॉलेज खोला। हज़ारों छात्र और प्रोफ़ेसर जिन्होंने सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार किया था यहाँ आ गये। फिर इस कॉलेज को गंगा किनारे सदाकत आश्रम में ले जाया गया। अगले 25 वर्षों के लिये यह राजेन्द्र प्रसाद जी का घर बन गया। | ||
==यातायात और परिवहन== | ==यातायात और परिवहन== | ||
====वायु मार्ग==== | ====<u>वायु मार्ग</u>==== | ||
पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है और उसका नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण है। यह नगर के पश्चिमी भाग में स्थित है। भारत के प्रमुख शहरों के लिए नियमित रूप से पटना में फ्लाईटें उपलभद हैं। | पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है और उसका नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण है। यह नगर के पश्चिमी भाग में स्थित है। भारत के प्रमुख शहरों के लिए नियमित रूप से पटना में फ्लाईटें उपलभद हैं। | ||
====रेल मार्ग==== | ====<u>रेल मार्ग</u>==== | ||
‘पटना साहिब’ रेलवे स्टेशन के लगभग 12 कि.मी. पश्चिमोत्तार में है। पटना में रेलवे मंडल का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यहाँ से अनेक राज्यों के लिए सीधी रेल सेवा उपलभद हैं। [[दिल्ली]], [[उत्तर प्रदेश]], उड़ीसा, [[झारखंड]], [[पश्चिम बंगाल]], असम आदि राज्यों के लिए यहाँ से सीधी रेल हैं। | ‘पटना साहिब’ रेलवे स्टेशन के लगभग 12 कि.मी. पश्चिमोत्तार में है। पटना में रेलवे मंडल का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यहाँ से अनेक राज्यों के लिए सीधी रेल सेवा उपलभद हैं। [[दिल्ली]], [[उत्तर प्रदेश]], उड़ीसा, [[झारखंड]], [[पश्चिम बंगाल]], असम आदि राज्यों के लिए यहाँ से सीधी रेल हैं। | ||
====सड़क मार्ग==== | ====<u>सड़क मार्ग</u>==== | ||
बिहार की राजधानी होने के कारण पटना बिहार के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। बिहार के सभी ज़िला मुख्यालय तथा झारखंड के कुछ शहरों के लिए नियमित बस-सेवा यहाँ से उपलब्ध है। गंगा नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु के द्वारा पटना हाजीपुर से जुड़ा है। | बिहार की राजधानी होने के कारण पटना बिहार के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। बिहार के सभी ज़िला मुख्यालय तथा झारखंड के कुछ शहरों के लिए नियमित बस-सेवा यहाँ से उपलब्ध है। गंगा नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु के द्वारा पटना हाजीपुर से जुड़ा है। | ||
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पटना और आसपास स्थित अन्य स्मारकों में सती मंदिर, सेंट जोसेफ़ रोमन कैथॅलिक चर्च, प्रोटेस्टेंट चर्च, पत्थर की मस्जिद, भवानी पुरी का मठ और ऐतिहासिक तथा प्रशासनिक महत्त्व की कई अन्य इमारतें हैं। पटना के ऐतिहासिक स्मारकों में [[बंगाल]] के हुसैन शाह (1499) की मस्जिद। इसके अलावा खुदाबक्श ओरिएंटल पुस्तकालय (राजपुत और मुग़लकालीन पेंटिंग्स, क़ुरान, अरबिन और पर्सियन पांडुलिपी), पत्थर की मस्जिद आदि भी देखने लायक जगह है। | पटना और आसपास स्थित अन्य स्मारकों में सती मंदिर, सेंट जोसेफ़ रोमन कैथॅलिक चर्च, प्रोटेस्टेंट चर्च, पत्थर की मस्जिद, भवानी पुरी का मठ और ऐतिहासिक तथा प्रशासनिक महत्त्व की कई अन्य इमारतें हैं। पटना के ऐतिहासिक स्मारकों में [[बंगाल]] के हुसैन शाह (1499) की मस्जिद। इसके अलावा खुदाबक्श ओरिएंटल पुस्तकालय (राजपुत और मुग़लकालीन पेंटिंग्स, क़ुरान, अरबिन और पर्सियन पांडुलिपी), पत्थर की मस्जिद आदि भी देखने लायक जगह है। | ||
====गोलघर==== | ====<u>गोलघर</u>==== | ||
कई पर्यटक पटना को गोलघर के कारण जानते हैं। पटना के पश्चिमी किनारे पर गांधी मैदान के समीप गोलघर स्थित है इस की ऊंचाई लगभग 96 फीट है। 1770 में इस क्षेत्र में आए भयंकर अकाल के बाद अनाज भंडारण के लिए बनाया गया यह गोलाकार ईमारत अपनी खास आकृति के लिए प्रसिद्ध है। इसके शिखर तक जाने के लिए सीढि़यां भी बनाई गयी है। इसके ऊपर से पटना शहर और गंगा के विहंगम दृश्य को देखने का अनूठा अनुभव लिया जा सकता है। एक समय था जब गोलघर पटना की सबसे ऊंची इमारत थी। पटना पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से यह सर्वोपरि है। | कई पर्यटक पटना को गोलघर के कारण जानते हैं। पटना के पश्चिमी किनारे पर गांधी मैदान के समीप गोलघर स्थित है इस की ऊंचाई लगभग 96 फीट है। 1770 में इस क्षेत्र में आए भयंकर अकाल के बाद अनाज भंडारण के लिए बनाया गया यह गोलाकार ईमारत अपनी खास आकृति के लिए प्रसिद्ध है। इसके शिखर तक जाने के लिए सीढि़यां भी बनाई गयी है। इसके ऊपर से पटना शहर और गंगा के विहंगम दृश्य को देखने का अनूठा अनुभव लिया जा सकता है। एक समय था जब गोलघर पटना की सबसे ऊंची इमारत थी। पटना पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से यह सर्वोपरि है। | ||
====हरमंदिरजी==== | ====<u>हरमंदिरजी</u>==== | ||
पटना सिख के 10वें गुरू गुरू गोविंद सिंह जी के जन्म स्थान के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। इसकी बनावट गुंबदनुमा है। यहाँ गुरू गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रमाणिक वस्तुएं रखी हुई है। यह स्थान सिख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। प्रकाशोत्सव के अवसर पर यहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है। | पटना सिख के 10वें गुरू गुरू गोविंद सिंह जी के जन्म स्थान के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। इसकी बनावट गुंबदनुमा है। यहाँ गुरू गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रमाणिक वस्तुएं रखी हुई है। यह स्थान सिख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। प्रकाशोत्सव के अवसर पर यहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है। | ||
====कुम्हरार==== | ====<u>कुम्हरार</u>==== | ||
पटना स्थित कुम्हरार मौर्य कालीन राजवंश के महत्वपुर्ण स्थानों में से एक है। यहां की खुदाई के उपरांत मौर्य काल के 80 स्तंभ युक्त एक विशाल हॉल के होने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। ऐतिहासिक पर्यटन के दृष्टिकोण से यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। | पटना स्थित कुम्हरार मौर्य कालीन राजवंश के महत्वपुर्ण स्थानों में से एक है। यहां की खुदाई के उपरांत मौर्य काल के 80 स्तंभ युक्त एक विशाल हॉल के होने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। ऐतिहासिक पर्यटन के दृष्टिकोण से यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। | ||
====अगम कुआं==== | ====<u>अगम कुआं</u>==== | ||
यह कुआं पटना आनेवाले पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी गहराई को आज तक मापा नहीं जा सका है। बिहार पर्यटन में इसको महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। | यह कुआं पटना आनेवाले पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी गहराई को आज तक मापा नहीं जा सका है। बिहार पर्यटन में इसको महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। | ||
====पटना संग्रहालय==== | ====<u>पटना संग्रहालय</u>==== | ||
पटना संग्रहालय जादूघर के नाम से भी जानेवाले इस संग्रहालय में प्राचीन पटना के [[हिन्दू]] तथा बौद्ध धर्म की कई निशानियां हैं। लगभग 30 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ के तने का फॉसिल यहाँ का विशेष धरोहर है। पटना का संग्रहालय ऐतिहासिक रूप से काफी धनी है। इसमें मौर्य और गुप्त काल की मूर्तियां (पत्थर और लोहे की बनी हुई) टेराकोटा, महात्मा बुद्ध का राख आदि संरक्षित है। | पटना संग्रहालय जादूघर के नाम से भी जानेवाले इस संग्रहालय में प्राचीन पटना के [[हिन्दू]] तथा बौद्ध धर्म की कई निशानियां हैं। लगभग 30 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ के तने का फॉसिल यहाँ का विशेष धरोहर है। पटना का संग्रहालय ऐतिहासिक रूप से काफी धनी है। इसमें मौर्य और गुप्त काल की मूर्तियां (पत्थर और लोहे की बनी हुई) टेराकोटा, महात्मा बुद्ध का राख आदि संरक्षित है। | ||
==संदर्भ== | ==संदर्भ== | ||
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12:29, 15 जून 2010 का अवतरण
पटना भारत के गौरवयुक्त शहरों में से एक है। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्रचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। इस शहर को ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी जाना जाता है। चूंकि पटना से वैशाली, राजगीर, नालंदा, बोधगया और पावापुरी के लिए मार्ग जाता है, इसलिए यह शहर बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए 'गेटवे' के रूप में भी जाना जाता है। [1] पटना एक ओर जहाँ शक्तिशाली राजवंशों के लिए जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर ज्ञान और अध्यात्म के कारण भी यह काफी लोकप्रिय रहा है। वर्तमान में बिहार राज्य की राजधानी पटना को कालक्रम में पाटलिपुत्र, कुसुमपुर, पुष्पपुर, पाटलिग्राम, आजीमाबाद आदि नामों से पुकारा गया था। [2] फिर यह नगर पटना कहलाने लगा और धीरे-धीरे बिहार का सबसे बड़ा नगर बन गया।
स्थापना
पाटलिपुत्र की स्थापना 5वीं शताब्दी ई.पू. में मगध (दक्षिण बिहार) के राजा अजातशत्रु ने की थी।
स्थिति
प्राचीन पाटलिपुत्र शहर, बिहार राज्य की राजधानी, पूर्वोत्तर भारत। यह कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) से लगभग 470 किमी. पश्चिमोत्तर में स्थित है। पटना भारत के प्राचीनतम नगरों में से एक है। इसके प्राचीन संस्कृत नाम पाटलिपुत्र, कुसुमपुर और पुष्पपुर हैं। मुग़ल काल में यह अज़ीमाबाद के नाम से विख्यात था। पटना नदी के तट पर स्थित शहर है, जो गंगा नदी के दक्षिण किनारे पर लगभग 19 किमी. तक फैला हुआ है।
इतिहास
अजातशत्रु के पुत्र उदय ने इसे मगध की राजधानी का दर्जा दिया, जो पहली शताब्दी ई.पू. तक बना रहा। दूसरे मगध वंश मौर्य ने तीसरी और दूसरी शताब्दी ई.पू. के आरंभ तक शासन किया, इसके बाद 185 ई.पू. में भारत-यूनानियों ने इस शहर पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात शुंग वंश का आरंभ हुआ, जिसने लगभग 73 ई.पू. तक यहाँ शासन किया। पाटलिपुत्र अध्ययन का केंद्र बना रहा और चौथी शताब्दी में यह गुप्त शासकों की राजधानी बना। सातवीं शताब्दी तक इसका पतन हो गया और इसका परित्याग कर दिया गया। 1541 में अफ़ग़ान शासक शेरशाह ने पटना के रूप में इसकी पुनर्स्थापना की और बाद में मुग़ल साम्राज्य के अंतर्गत यह फिर से समृद्ध हुआ। 1765 में इस पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। इसके आसपास के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर पुरातात्विक खुदाई का काम हुआ है। शेरशाह के पश्चात मुग़ल-काल में पटना ही स्थायी रूप से बिहार प्रांत की राजधानी रही। ब्रिटिश काल में 1892 में पटना को बिहार-उड़ीसा के संयुक्त सूबे की राजधानी बनाया गया।
पटना में यात्री
पटना कई प्रबुद्ध यात्रियों जैसे फाह्यान, ह्वेन त्सांग के आगमन का भी साक्षी है। कई इतिहासविद यह भी मानते हैं कि महानतम कूटनीतिज्ञ कौटिल्य ने यहीं पर अर्थशास्त्र की रचना की थी। पुराने नगर के पश्चिम में बांकीपुर नामक स्थान है और सुदूर दक्षिण-पश्चिम में नई राजधानी है, जहाँ चौड़ी एवं छायादार सड़के और नए भवन हैं।
गुरु तेगबहादुर जी
गुरु तेगबहादुर जी प्रयाग, बनारस, पटना, असम आदि क्षेत्रों में गए, जहाँ उन्होंने आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नयन के लिए रचनात्मक कार्य किए। आध्यात्मिकता, धर्म का ज्ञान बाँटा। इन्हीं यात्राओं में 1666 में गुरुजी के यहाँ पटना साहब में पुत्र का जन्म हुआ। जो दसवें गुरु- गुरु गोविंद सिंह बने।
गुरु गोविंद सिंह जी
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर सन् 1666 ई॰ को पटना (बिहार) में हुआ था।
कॉलेज का निरमाण
बाबू राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी फलती-फूलती वकालत छोड़कर पटना के निकट सन् 1921 में एक नेशनल कॉलेज खोला। हज़ारों छात्र और प्रोफ़ेसर जिन्होंने सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार किया था यहाँ आ गये। फिर इस कॉलेज को गंगा किनारे सदाकत आश्रम में ले जाया गया। अगले 25 वर्षों के लिये यह राजेन्द्र प्रसाद जी का घर बन गया।
यातायात और परिवहन
वायु मार्ग
पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है और उसका नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण है। यह नगर के पश्चिमी भाग में स्थित है। भारत के प्रमुख शहरों के लिए नियमित रूप से पटना में फ्लाईटें उपलभद हैं।
रेल मार्ग
‘पटना साहिब’ रेलवे स्टेशन के लगभग 12 कि.मी. पश्चिमोत्तार में है। पटना में रेलवे मंडल का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यहाँ से अनेक राज्यों के लिए सीधी रेल सेवा उपलभद हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम आदि राज्यों के लिए यहाँ से सीधी रेल हैं।
सड़क मार्ग
बिहार की राजधानी होने के कारण पटना बिहार के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। बिहार के सभी ज़िला मुख्यालय तथा झारखंड के कुछ शहरों के लिए नियमित बस-सेवा यहाँ से उपलब्ध है। गंगा नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु के द्वारा पटना हाजीपुर से जुड़ा है।
उद्योग और व्यापार
पटना में खाद्य प्रसंस्करण और वनस्पति बनाने के कारखाने हैं।
शिक्षण संस्थान
- यहाँ स्थित पटना विश्वविद्यालय (1917) से संबद्ध कई महाविद्यालय हैं, जिनमें पटना मेडिकल कॉलेज, बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, बिहार कॉलेज ऑफ़ फ़ार्मेसी, कॉलेज ऑफ़ वेटनरी साइंस, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट ऐंड क्राफ़्ट्स तथा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ बिज़नेस मैनेजमेंट शामिल हैं।
- पटना के प्रमुख आधुनिक भवनों में गवर्नमेंट हाउस, असेंबली चैंबर्स, ओरिएंटल लाइब्रेरी, एक मेडिकल कॉलेज और एक इंजीनियरिंग
कॉलेज शामिल हैं।
- मध्य पटना में स्थित ‘खुदाबक्श खां पुस्तकालय’ एक राष्ट्रीय महत्व की लोकप्रिय सार्वजनिक संस्था है। इसमें इस्लामी शिक्षा, मध्य एशियाई एवं मध्यकालीन भारतीय इतिहास की असंख्य दुर्लभ पांडुलिपियां तथा राजपूत एव मुग़लकालीन चित्रकला के उत्कृष्ट नमूनों का संग्रह है।
जनसंख्या
पटना ज़िले की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) कुल 47,09,851 है। नगर की जनसंख्या 13,76,950 है।
पर्यटन
पटना और आसपास स्थित अन्य स्मारकों में सती मंदिर, सेंट जोसेफ़ रोमन कैथॅलिक चर्च, प्रोटेस्टेंट चर्च, पत्थर की मस्जिद, भवानी पुरी का मठ और ऐतिहासिक तथा प्रशासनिक महत्त्व की कई अन्य इमारतें हैं। पटना के ऐतिहासिक स्मारकों में बंगाल के हुसैन शाह (1499) की मस्जिद। इसके अलावा खुदाबक्श ओरिएंटल पुस्तकालय (राजपुत और मुग़लकालीन पेंटिंग्स, क़ुरान, अरबिन और पर्सियन पांडुलिपी), पत्थर की मस्जिद आदि भी देखने लायक जगह है।
गोलघर
कई पर्यटक पटना को गोलघर के कारण जानते हैं। पटना के पश्चिमी किनारे पर गांधी मैदान के समीप गोलघर स्थित है इस की ऊंचाई लगभग 96 फीट है। 1770 में इस क्षेत्र में आए भयंकर अकाल के बाद अनाज भंडारण के लिए बनाया गया यह गोलाकार ईमारत अपनी खास आकृति के लिए प्रसिद्ध है। इसके शिखर तक जाने के लिए सीढि़यां भी बनाई गयी है। इसके ऊपर से पटना शहर और गंगा के विहंगम दृश्य को देखने का अनूठा अनुभव लिया जा सकता है। एक समय था जब गोलघर पटना की सबसे ऊंची इमारत थी। पटना पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से यह सर्वोपरि है।
हरमंदिरजी
पटना सिख के 10वें गुरू गुरू गोविंद सिंह जी के जन्म स्थान के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। इसकी बनावट गुंबदनुमा है। यहाँ गुरू गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रमाणिक वस्तुएं रखी हुई है। यह स्थान सिख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। प्रकाशोत्सव के अवसर पर यहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है।
कुम्हरार
पटना स्थित कुम्हरार मौर्य कालीन राजवंश के महत्वपुर्ण स्थानों में से एक है। यहां की खुदाई के उपरांत मौर्य काल के 80 स्तंभ युक्त एक विशाल हॉल के होने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। ऐतिहासिक पर्यटन के दृष्टिकोण से यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है।
अगम कुआं
यह कुआं पटना आनेवाले पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी गहराई को आज तक मापा नहीं जा सका है। बिहार पर्यटन में इसको महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
पटना संग्रहालय
पटना संग्रहालय जादूघर के नाम से भी जानेवाले इस संग्रहालय में प्राचीन पटना के हिन्दू तथा बौद्ध धर्म की कई निशानियां हैं। लगभग 30 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ के तने का फॉसिल यहाँ का विशेष धरोहर है। पटना का संग्रहालय ऐतिहासिक रूप से काफी धनी है। इसमें मौर्य और गुप्त काल की मूर्तियां (पत्थर और लोहे की बनी हुई) टेराकोटा, महात्मा बुद्ध का राख आदि संरक्षित है।
संदर्भ
- ↑ पटना (हिन्दी) यात्रा सलहा। अभिगमन तिथि: 15 जून, 2010।
- ↑ पटना: अब वो बात कहां (हिन्दी) भारतीय पक्ष। अभिगमन तिथि: 15 जून, 2010।