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'''पवनार आश्रम''' यावात्माल-नागपुर उच्च मार्ग से सटे | '''पवनार आश्रम''' यावात्माल - नागपुर उच्च मार्ग से सटे है। क़रीब 15 एकड़ की जमीन पर बना यह आश्रम तमाम तरह की प्राकृतिक विविधता अपने में समेटे है। कृत्रिमता से कोसों दूर, सब कुछ असली, बनावटी दुनिया के जामने में असली की बात हो तो आकर्षण तो होगा ही। शायद इसी कारण यहाँ आने वाले लोगों में सबसे अधिक पढ़े लिखे लोग ही होते हैं। | ||
*[[भूदान आन्दोलन]] के प्रणेता विनोबा जी द्वारा स्थापित है यह | *[[भूदान आन्दोलन]] के प्रणेता [[विनोबा जी]] द्वारा स्थापित है यह आश्रम। विनोबा जी ने महिलाओं के लिए ख़ास तौर से यह आश्रम बनवाया था। वैसी महिलाएं, जो मीराबाई की तरह अपने को साध्वी जीवन में रखना चाहती हैं, उनके लिए। | ||
* आश्रम की महिलाएं इसे आश्रम नहीं ब्रह्म विद्या मंदिर कहती | * आश्रम की महिलाएं इसे आश्रम नहीं ब्रह्म विद्या मंदिर कहती हैं। | ||
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13:12, 17 जून 2013 का अवतरण
पवनार आश्रम यावात्माल - नागपुर उच्च मार्ग से सटे है। क़रीब 15 एकड़ की जमीन पर बना यह आश्रम तमाम तरह की प्राकृतिक विविधता अपने में समेटे है। कृत्रिमता से कोसों दूर, सब कुछ असली, बनावटी दुनिया के जामने में असली की बात हो तो आकर्षण तो होगा ही। शायद इसी कारण यहाँ आने वाले लोगों में सबसे अधिक पढ़े लिखे लोग ही होते हैं।
- भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा जी द्वारा स्थापित है यह आश्रम। विनोबा जी ने महिलाओं के लिए ख़ास तौर से यह आश्रम बनवाया था। वैसी महिलाएं, जो मीराबाई की तरह अपने को साध्वी जीवन में रखना चाहती हैं, उनके लिए।
- आश्रम की महिलाएं इसे आश्रम नहीं ब्रह्म विद्या मंदिर कहती हैं।
- विनोबा जी की समाधि वाले कमरे के बाहर एक प्रौढ़ा जयप्रकाश नारायण की दत्तक पुत्री है- मनोरमा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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