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*'''हरिहर द्वितीय''' (1377-1404 ई.) [[विजयनगर साम्राज्य]] के राजसिंहासन पर 'महाराजाधिराज' की उपाधि ग्रहण करके बैठा।
'''हरिहर द्वितीय''' (1377-1404 ई.) [[बुक्क प्रथमा]] का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था। वह [[विजयनगर साम्राज्य]] का दूसरा राजा था। हरिहर द्वितीय सिंहासन पर 'महाराजाधिराज' की उपाधि ग्रहण करके बैठा था। उसने साम्राज्य की सीमा दक्षिण में [[त्रिचनापल्ली]] तक पहुँचा दी थी।
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हरिहर द्वितीय (1377-1404 ई.) बुक्क प्रथमा का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था। वह विजयनगर साम्राज्य का दूसरा राजा था। हरिहर द्वितीय सिंहासन पर 'महाराजाधिराज' की उपाधि ग्रहण करके बैठा था। उसने साम्राज्य की सीमा दक्षिण में त्रिचनापल्ली तक पहुँचा दी थी।

  • हरिहर द्वितीय ने कनारा, मैसूर, त्रिचनापल्ली, कांची आदि प्रदेशों पर विजय प्राप्त की।
  • बहमनी सुल्तानों के कई बड़े आक्रमणों को उसने विफल किया और उन्हें परास्त किया।
  • उसकी सबसे बड़ी सफलता पश्चिम के बहमनी राज्य से बेलगाँव और गोवा छीनना था।
  • हरिहर द्वितीय ने श्रीलंका के राजा से भी कर वसूल किया था।
  • भगवान शिव के 'विरुपाक्ष' रूप का वह उपासक था, किन्तु अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु था।
  • सफलतापूर्वक राज्य करने के बाद 1404 ई. में हरिहर द्वितीय की मृत्यु हो गई।
  • हरिहर द्वितीय अपनी विद्वता एवं विद्वानो को संरक्षण देने के कारण 'राज व्यास' या 'राज वाल्मीकि' कहलाया था।


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