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| '''ऋषिकेश पर्यटन'''
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| गढ़वाल, उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के तल में बसा ॠषिकेश धार्मिक दृष्टि के अतिरिक्त अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। सुबह के समय पहाड़ियों के पीछे से निकलता हुआ [[सूर्य देवता|सूर्य]], [[गंगा नदी|गंगा]] के बहते पानी की कलकल, कोहरे से ढकी पहाड़ी चोटियाँ, यह एक ऐसा अनुभव होता है जिसको महसूस किया जा सकता है। यहाँ पर बहती गंगा की ख़ूबसूरती तो देखती ही बनती है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं। | | ==परिचय== |
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| | ॠषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है। [[गढ़वाल]], [[उत्तरांचल]] में [[हिमालय]] पर्वतों के तल में बसा ॠषिकेश धार्मिक दृष्टि के अतिरिक्त अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को [[केदारनाथ]], [[बद्रीनाथ]], [[गंगोत्री]] और [[यमुनोत्री]] का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। [[ॠषिकेश पर्यटन]] के लिए बहुत ही आकर्षण केन्द्र है। |
| ====<u>लक्ष्मण झूला</u>====
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| {{main|लक्ष्मण झूला}}
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| ऋषिकेश से 5 किलोमीटर आगे एक झूला है, इस झूले को लक्ष्मण झूले के नाम से जाना जाता है। यह झूला लोहे के मोटे रस्सों से बंधा है।गंगा नदी के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ता यह झूला शहर की खास पहचान है। इसे सन् 1939 ई॰ में बनवाया गया था। कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था।
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| ====<u>राम झूला</u>====
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| शिवानंद आश्रम के सामने एक झूलेनुमा पुल बना हुआ है, जिसे राम झूले के नाम से जाना जाता हैं। स्वर्गाश्रम क्षेत्र में जाने हेतु यह गंगा के उस पार से इस पार ले जाने का रास्ता है। यह पुल भार भी झेल सकता है। दुपहिया वाहन इसके ऊपर से अक्सर निकलते देखे जा सकते हैं। जब हम इसके ऊपर चलते हैं तो यह हमें झूलता हुआ महसूस होता है। हिचकोले खाते हुए, इस झूले के ऊपर से नीचे बह रही गंगा का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
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| ====<u>त्रिवेणी घाट</u>====
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| ऋषिकेश में स्नान करने का यह प्रमुख घाट है जहाँ प्रात: काल में अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर [[हिन्दू धर्म संस्कार|हिन्दू धर्म]] की तीन प्रमुख नदियों गंगा, [[यमुना नदी|यमुना]] और [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का संगम होता है। इसी स्थान से गंगा नदी दायीं ओर मुड़ जाती है। त्रिवेणी घाट पर एक छोर है जहाँ पर शिवजी की जटा से निकलती गंगा की मनोहर प्रतिमा है तो दूसरी ओर [[अर्जुन]] को [[गीता]] ज्ञान देते हुए श्री [[कृष्ण]] की मनोहारी विशाल मूर्ति और एक विशाल गंगा माता का मन्दिर हैं। घाट पर चलते हुए दूसरी ओर की सीढ़ियाँ उतरते हैं तब यहाँ से गंगा के सुंदर रूप के दर्शन होते हैं। शाम को यहाँ पर भव्य आरती होती है और गंगा में दीप छोड़े जाते हैं उस समय काफ़ी भीड़ होती है।
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| ====<u>स्वर्ग आश्रम</u>==== | | ==स्थिति== |
| स्वामी [[विशुद्धानन्द]] द्वारा स्थापित यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्राचीन आश्रम है। स्वामी जी को काली कमली वाले नाम से भी जाना जाता था। इस स्थान पर बहुत से सुन्दर मंदिर बने हुए हैं। यहाँ खाने पीने के अनेक रेस्तराँ हैं जहाँ सिर्फ शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है। आश्रम की आसपास हस्तशिल्प के सामान की बहुत सी दुकानें हैं।
| | [[भारत]] के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक ऋषिकेश है जो [[उत्तराखण्ड]] में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार ऋषिकेश [[हरिद्वार]] से लगभग 20-25 किमी की दूरी पर स्थित है यहाँ से पर्वतों के राजा हिमालय का साम्राज्य शुरू हो जाता है। |
| | ==कथा== |
| | ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि [[समुद्र मंथन]] के दौरान निकला विष [[शिव]] ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें [[नीलकंठ]] के नाम से जाना गया। एक अन्य अनुश्रूति के अनुसार भगवान [[राम]] ने वनवास के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना [[लक्ष्मण]] झूला इसका प्रमाण माना जाता है। 1939 ई. में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के अवतार में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है। |
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| ====<u>वसिष्ठ गुफा</u>==== | | ==यातायात व परिवहन== |
| ऋषिकेश से 22 किमी. की दूरी पर 3000 साल पुरानी [[वसिष्ठ]] गुफा बद्रीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। इस स्थान पर बहुत से साधुओं को विश्राम और ध्यान लगाए देखा जा सकता है। कहा जाता है यह स्थान भगवान राम और बहुत से राजाओं के पुरोहित वसिष्ठ का निवास स्थल था। वसिष्ठ गुफा में साधुओं को ध्यानमग्न मुद्रा में देखा जा सकता है। गुफा के भीतर एक शिवलिंग भी स्थापित है। | | ====<u>वायुमार्ग</u>==== |
| | | ऋषिकेश से 18 किमी. की दूरी पर [[देहरादून]] के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को [[दिल्ली]] से जोड़ती है। |
| ====<u>गीता भवन</u>==== | | ====<u>रेलमार्ग</u>==== |
| लक्ष्मण झूला पार करते ही गीता आश्रम है जिसे 1950 ई. में बनवाया गया था। यह अपनी दर्शनीय दीवारों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ [[रामायण]] और [[महाभारत]] के चित्रों से सजी दीवारें इस स्थान को आकर्षण बनाती हैं। यहाँ एक आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी और गीताप्रेस गोरखपुर की एक शाखा भी है। प्रवचन और कीर्तन मंदिर की नियमित क्रियाएँ हैं। शाम को यहाँ भक्ति संगीत का आनंद लिया जा सकता है। तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए यहाँ सैकड़ों कमरे हैं।
| | ऋषिकेश का नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो 25 किमी. दूर है। हरिद्वार देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। |
| | | ====<u>सड़क मार्ग</u>==== |
| ====<u>योग केन्द्र</u>==== | | दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं। |
| यह विश्वप्रसिद्द योग केन्द्र है एवं कई विख्यात आश्रमों का घर है। यहाँ पहुँचने पर मंदिरों के लंबी कतारें दिखाई देना प्रारंभ हो जाता है। लक्ष्मण झूला, रामझूला, गीता भवन ये स्थान ऋषिकेश से थोडी दूर जिसका नाम "मुनि की रेती" है पर स्थित हैं। यहीं से कुछ मिनट की दूरी पर पतित पावन गंगा के दर्शन होते हैं। एक पक्के बँधे हुए विशाल घाट पर सीढ़ियाँ चढ़कर जब ऊपर आते है तब गंगामैया के दर्शन होते हैं।
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| ==मंदिर व मठ==
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| ऋषिकेश में अनेक मंदिर व मठ हैं। सबका वर्णन किया जाना यहाँ संभव नहीं है। मगर उक्त स्थानों के अलावा सत्यनारायण मंदिर, स्वर्गाश्रम, शिवानन्द आश्रम, काली कमलीवाला पंचायती क्षेत्र देखने योग्य है, जिनकी जीवन पद्धति, सिद्धांत, जनकल्याण का भाव, भक्ति प्रवाह अतुलनीय है। ऋषिकेश कुल मिलाकर आत्म चेतना का केन्द्र है, जो न केवल ज्ञान और भक्ति का अलख जगाता है बल्कि भविष्य का पथ प्रदर्शक भी है। | |
| यहाँ माया कुंद नामक जगह है जहाँ पर हनुमानजी का मन्दिर है तथा यहाँ मन्दिर की नीति नियमों के साथ रहना पड़ता है एवं यहाँ शाम को सुंदर आरती होती है।
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| ====नीलकंठ महादेव मंदिर====
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| {{main|नीलकंठ महादेव मंदिर}}
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| लगभग 5500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था।
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| ====भरत मंदिर====
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| यह ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे 12 शताब्दी में आदि गुरू [[शंकराचार्य]] ने बनवाया था। यह मन्दिर बहुत ही सुंदर है। भगवान राम के छोटे भाई [[भरत]] को समर्पित यह मंदिर त्रिवेणी घाट के निकट ओल्ड टाउन में स्थित है। मंदिर का मूल रूप 1398 में [[तैमूर आक्रमण]] के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालांकि मंदिर की बहुत सी महत्वपूर्ण चीजों को उस हमले के बाद आज तक संरक्षित रखा गया है। मंदिर के अंदरूनी गर्भगृह में भगवान [[विष्णु]] की प्रतिमा एकल [[शालिग्राम]] पत्थर पर उकेरी गई है। आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रखा गया [[श्रीयंत्र]] भी यहाँ देखा जा सकता है।
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| ====अय्यपा मन्दिर====
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| ऋषिकेश में इसी तरह अय्यपा मन्दिर जो कि बहुत दर्शनीय है। यह दिल्ली से महज 225 किमी की दूरी पर है। यहीं से 25 किमी की दूरी पर हरिद्वार है जहाँ रेल एवं बस सेवा प्रचुर मात्रा में हैं यहाँ पर पर्यटक वर्षभर आते रहते हैं और यहाँ ठहरने के लिए होटल, आश्रम, एवं धर्मशाला हैं
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| ==== कैलाश निकेतन मंदिर====
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| लक्ष्मण झूले को पार करते ही कैलाश निकेतन मंदिर है। 12 खंड़ों में बना यह विशाल मंदिर ऋषिकेश के अन्य मंदिरों से भिन्न है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
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परिचय
ॠषिकेश को पवित्र तीर्थ माना जाता है। गढ़वाल, उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के तल में बसा ॠषिकेश धार्मिक दृष्टि के अतिरिक्त अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। ॠषिकेश पर्यटन के लिए बहुत ही आकर्षण केन्द्र है।
स्थिति
भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक ऋषिकेश है जो उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार ऋषिकेश हरिद्वार से लगभग 20-25 किमी की दूरी पर स्थित है यहाँ से पर्वतों के राजा हिमालय का साम्राज्य शुरू हो जाता है।
कथा
ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया। एक अन्य अनुश्रूति के अनुसार भगवान राम ने वनवास के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना लक्ष्मण झूला इसका प्रमाण माना जाता है। 1939 ई. में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के अवतार में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।
यातायात व परिवहन
वायुमार्ग
ऋषिकेश से 18 किमी. की दूरी पर देहरादून के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को दिल्ली से जोड़ती है।
रेलमार्ग
ऋषिकेश का नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो 25 किमी. दूर है। हरिद्वार देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।