"नीलकंठ महादेव": अवतरणों में अंतर
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भगवान [[शिव]] को ही नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। [[समुद्र मंथन]] के समय भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण कर लिया था। उनकी पत्नी, [[पार्वती देवी|पार्वती]] ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाने लगा। | भगवान [[शिव]] को ही नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि [[समुद्र मंथन]] के समय भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण कर लिया था। उनकी पत्नी, [[पार्वती देवी|पार्वती]] ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाने लगा। | ||
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07:26, 19 जून 2010 का अवतरण
भगवान शिव को ही नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण कर लिया था। उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाने लगा।
{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} विस्तार में पढ़ने के लिए देखें-शिव