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| |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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| [[चित्र:Sundial.jpg|border|right|100px|link=भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013]]
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| <center>[[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]]</center>
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| अक्सर [[नारद|नारद जी]] ही अपने अनूठे प्रश्नों के लिए प्रसिद्ध हैं, तो नारद जी ने भगवान [[कृष्ण]] से पूछा-
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| "अब [[द्वापर युग|द्वापर]] के बाद [[कलि युग|कलियुग]] आएगा वह कैसा [[युग]] होगा प्रभु!
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| कृष्ण बोले "देवर्षि नारद! [[सत युग|सतयुग]], सत्य का युग था। [[त्रेता युग|त्रेता]] मर्यादा का युग था। द्वापर कर्म का युग है और कलियुग न्याय का युग होगा।"
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| नारद: "सर्वश्रेष्ठ युग कौन सा होता है प्रभु?" [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|...पूरा पढ़ें]]
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मई 2013|सभ्य जानवर]] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 15 अप्रॅल 2013|वोटरानी और वोटर]]
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| |}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
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