"चिपलुन": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण") |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
चिपलुन में पड़ोसी महानगरों से आने वाले ज़्यादातर पर्यटक यहाँ की तेज रफ्तार जिंदगी से बहुत प्रभावित होते हैं। चिपलुन उतना धीमा नहीं है, जितना कि इसे समझा जाता है। यहाँ आकर व्यक्ति अपनी जिन्दगी के कुछ यादगार क्षण बिता सकता है। यहाँ का स्थानीय खाना बहुत स्वादिष्ट होता है। गणपति पुले, कर्णेश्वर मंदिर और समुंद्र तट जैसे आकर्षण स्थल चिपलुन को और भी आकर्षक बनाते हैं। | चिपलुन में पड़ोसी महानगरों से आने वाले ज़्यादातर पर्यटक यहाँ की तेज रफ्तार जिंदगी से बहुत प्रभावित होते हैं। चिपलुन उतना धीमा नहीं है, जितना कि इसे समझा जाता है। यहाँ आकर व्यक्ति अपनी जिन्दगी के कुछ यादगार क्षण बिता सकता है। यहाँ का स्थानीय खाना बहुत स्वादिष्ट होता है। गणपति पुले, कर्णेश्वर मंदिर और समुंद्र तट जैसे आकर्षण स्थल चिपलुन को और भी आकर्षक बनाते हैं। | ||
भगवान [[परशुराम]] का जन्म स्थल होने के कारण इस जगह का नाम चिपलुन पड़ा है। यहाँ कई प्रमुख मंदिर भी आने वाले पर्यटकों को दिख जाएँगे। चिपलुन में 'गोवालकोट' नाम का एक क़िला भी है, जिसका निर्माण [[छत्रपति शिवाजी]] ने वर्ष 1670 में कराया था। प्रायः इस क़िले में फ़ोटोग्राफ़रों को क़िले की फ़ोटो लेते हुए देखा जा सकता है। चिपलुन | भगवान [[परशुराम]] का जन्म स्थल होने के कारण इस जगह का नाम चिपलुन पड़ा है। यहाँ कई प्रमुख मंदिर भी आने वाले पर्यटकों को दिख जाएँगे। चिपलुन में 'गोवालकोट' नाम का एक क़िला भी है, जिसका निर्माण [[छत्रपति शिवाजी]] ने वर्ष 1670 में कराया था। प्रायः इस क़िले में फ़ोटोग्राफ़रों को क़िले की फ़ोटो लेते हुए देखा जा सकता है। चिपलुन महत्त्वपूर्ण पर्यटन मूल्यों की पेशकश करता है, जिस कारण सप्ताहांत के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं।<ref name="ab"/> | ||
====निवासी==== | ====निवासी==== | ||
यहाँ की साक्षरता दर अस्सी प्रतिशत होने के कारण स्थानीय निवासियों का स्वभाव बड़ा ही मैत्रीपूर्ण हैं। चिपलुन के लोग किसी भी माहौल में जल्दी ढल जाते हैं। उन्हें इस बात की बिलकुल भी परवाह नहीं है की देश के किस कोने से आप ताल्लुख रहते हैं। इनकी मेहमाननवाजी पर्यटकों का दिल जीत लेती है। यहाँ के लोग आने वाले पर्यटकों का स्वभाव अच्छे से समझते हैं, जिस कारण यहाँ आने वाले अधिकांश पर्यटकों को ऐसा महसूस होता है कि जैसे वे स्वयं के अपने घर में ही आये हैं। | यहाँ की साक्षरता दर अस्सी प्रतिशत होने के कारण स्थानीय निवासियों का स्वभाव बड़ा ही मैत्रीपूर्ण हैं। चिपलुन के लोग किसी भी माहौल में जल्दी ढल जाते हैं। उन्हें इस बात की बिलकुल भी परवाह नहीं है की देश के किस कोने से आप ताल्लुख रहते हैं। इनकी मेहमाननवाजी पर्यटकों का दिल जीत लेती है। यहाँ के लोग आने वाले पर्यटकों का स्वभाव अच्छे से समझते हैं, जिस कारण यहाँ आने वाले अधिकांश पर्यटकों को ऐसा महसूस होता है कि जैसे वे स्वयं के अपने घर में ही आये हैं। |
08:00, 1 अगस्त 2013 का अवतरण
चिपलुन भारत के महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। पिछले कुछ वर्षों से चिपलुन ने अपने को मिनी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया है। जो भी पर्यटक मुंबई से गोवा जाते हैं, वे यहाँ घूमने के लिए अवश्य आते हैं। पुणे और कोल्हापुर से भी चिपलुन बड़ी आसानी से पहुँचा जा सकता है।
स्थिति
उत्तर-दक्षिण की ओर प्रमुख राजमार्ग पर बसा चिपलुन पूर्व और पश्चिम में अरब सागर के पश्चिमी घाट के बीच स्थित है। समुद्र तट के निकट स्थित होने के कारण यहाँ पर साल भर मौसम गर्म और ठंडा दोनों प्रकार का रहता है। वाशिष्टि नदी के किनारे बसा होने के कारण यहाँ आने वाले पर्यटक ट्रेकिंग और नौका विहार दोनों का आनंद ले सकते हैं।[1]
रोचक पिकनिक स्थल
एक महत्त्वपूर्ण एवं खूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में चिपलुन की कहानी बड़ी ही मनोरंजक है। अस्सी के दशक में मुंबई से गोवा जाने के लिए हवाई उड़ानें प्रतिदिन नहीं थी। सप्ताह में केवल एक या दो उड़ानें ही संचालित थीं। इसलिए पर्यटकों ने सड़क मार्ग द्वारा गोवा जाना आरंभ कर दिया। लेकिन यह रास्ता काफ़ी लंबा पड़ता था। इसलिए रास्ते में एक ऐसे स्थान की आवश्यकता महसूस की गई, जहाँ पर्यटक आराम कर सकें। इस प्रकार के एक स्थान को चुनने के लिए 'होटल ताज ग्रुप' ने समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया और पर्यटकों से विभिन्न स्थानों के लिए मत करने को कहा। मतदान में सत्तर से भी प्रतिशत पर्यटकों ने चिपलुन के पक्ष में मतदान किया। इस प्रकार एक पर्यटक स्थल के रूप में चिपलुन भारत के नक्शे पर आया।
पर्यटन स्थल
चिपलुन में पड़ोसी महानगरों से आने वाले ज़्यादातर पर्यटक यहाँ की तेज रफ्तार जिंदगी से बहुत प्रभावित होते हैं। चिपलुन उतना धीमा नहीं है, जितना कि इसे समझा जाता है। यहाँ आकर व्यक्ति अपनी जिन्दगी के कुछ यादगार क्षण बिता सकता है। यहाँ का स्थानीय खाना बहुत स्वादिष्ट होता है। गणपति पुले, कर्णेश्वर मंदिर और समुंद्र तट जैसे आकर्षण स्थल चिपलुन को और भी आकर्षक बनाते हैं।
भगवान परशुराम का जन्म स्थल होने के कारण इस जगह का नाम चिपलुन पड़ा है। यहाँ कई प्रमुख मंदिर भी आने वाले पर्यटकों को दिख जाएँगे। चिपलुन में 'गोवालकोट' नाम का एक क़िला भी है, जिसका निर्माण छत्रपति शिवाजी ने वर्ष 1670 में कराया था। प्रायः इस क़िले में फ़ोटोग्राफ़रों को क़िले की फ़ोटो लेते हुए देखा जा सकता है। चिपलुन महत्त्वपूर्ण पर्यटन मूल्यों की पेशकश करता है, जिस कारण सप्ताहांत के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं।[1]
निवासी
यहाँ की साक्षरता दर अस्सी प्रतिशत होने के कारण स्थानीय निवासियों का स्वभाव बड़ा ही मैत्रीपूर्ण हैं। चिपलुन के लोग किसी भी माहौल में जल्दी ढल जाते हैं। उन्हें इस बात की बिलकुल भी परवाह नहीं है की देश के किस कोने से आप ताल्लुख रहते हैं। इनकी मेहमाननवाजी पर्यटकों का दिल जीत लेती है। यहाँ के लोग आने वाले पर्यटकों का स्वभाव अच्छे से समझते हैं, जिस कारण यहाँ आने वाले अधिकांश पर्यटकों को ऐसा महसूस होता है कि जैसे वे स्वयं के अपने घर में ही आये हैं।
|
|
|
|
|