"आहड़ उदयपुर": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{उदयपुर के दर्शनीय स्थल}}" to "{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}" to "{{राजस्थान}}") |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
यहाँ एक अन्य मंदिर में विष्णु के लक्ष्मीनारायण रुप की अर्चना होती थी, जिसे अब [[मीराबाई]] मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के बाह्य ताखों में [[ब्रम्हा]]-[[सावित्री]], [[गरुड़]] पर बैठे [[लक्ष्मी]]-[[विष्णु|नारायण]], [[नंदी]] पर आसीन [[उमा]]-[[माहेश्वर]] आदि की प्रतिमाओं के अतिरिक्त मेवाड़ के तत्कालीन सामाजिक जीवन के दृश्यों को भी प्रस्तुत किया गया है, जो उल्लेखनीय है। | यहाँ एक अन्य मंदिर में विष्णु के लक्ष्मीनारायण रुप की अर्चना होती थी, जिसे अब [[मीराबाई]] मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के बाह्य ताखों में [[ब्रम्हा]]-[[सावित्री]], [[गरुड़]] पर बैठे [[लक्ष्मी]]-[[विष्णु|नारायण]], [[नंदी]] पर आसीन [[उमा]]-[[माहेश्वर]] आदि की प्रतिमाओं के अतिरिक्त मेवाड़ के तत्कालीन सामाजिक जीवन के दृश्यों को भी प्रस्तुत किया गया है, जो उल्लेखनीय है। | ||
==सम्बंधित लिंक== | ==सम्बंधित लिंक== | ||
{{राजस्थान | {{राजस्थान}} | ||
[[Category:राजस्थान]][[Category:पर्यटन_कोश]][[Category:उदयपुर_के_धार्मिक_स्थल]]__INDEX__ | [[Category:राजस्थान]][[Category:पर्यटन_कोश]][[Category:उदयपुर_के_धार्मिक_स्थल]]__INDEX__ |
05:25, 23 जून 2010 का अवतरण
आहड़ मंदिर, राजस्थान, उदयपुर में स्थित है। यह मेवाड़ क्षेत्र का मूर्तिकला की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण मंदिर है। इसका प्राचीन नाम आघाटपुर, आटपुर तथा गंगोद्भेद तीर्थ है। यह मंदिर 9वीं व 10वीं शताब्दी में वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख केंद्र था।
आहड़ से प्राप्त एक अभिलेख , जो 953 ई. (संवत् 1010) का था, उससे एक विष्णु जी के मंदिर का उल्लेख किया गया था, यहाँ पर एक वैष्णव भक्त द्वारा आदि वराह की प्रतिमा को स्थापित करवाया गया था। यहाँ पर एक सूर्य मंदिर भी था। इसका प्रमाण 14 द्रम्मों के दान का उल्लेख करने वाले एक अन्य अभिलेख से मिलता है।
यहाँ एक अन्य मंदिर में विष्णु के लक्ष्मीनारायण रुप की अर्चना होती थी, जिसे अब मीराबाई मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के बाह्य ताखों में ब्रम्हा-सावित्री, गरुड़ पर बैठे लक्ष्मी-नारायण, नंदी पर आसीन उमा-माहेश्वर आदि की प्रतिमाओं के अतिरिक्त मेवाड़ के तत्कालीन सामाजिक जीवन के दृश्यों को भी प्रस्तुत किया गया है, जो उल्लेखनीय है।