"ग्वारीघाट": अवतरणों में अंतर
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{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=311|url=}} | {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=311|url=}} | ||
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== | ==अन्य घाट== | ||
'''उमा घाट''' - ग्वारिघाट से लगा हुआ है उमा घाट इसका नाम नेत्री सुश्री उमा भारती जी के नाम पर रखा गया है | इसी घाट पर माँ नर्मदा की आरती का आयोजन प्रतिदिन संध्या समय किया जाता है | जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं | | |||
'''जिलहरी घाट''' - उमा घाट के बाद जिलहरी घाट आता है | | |||
'''दारोगा घाट''' - ग्वारीघाट के दूसरी ओर है दारोगा घाट, कहा जाता है की पुराने समय में जब सड़कों का अभाव था तब व्यापारी अपना सामान इस घाट से ही नाव के द्वारा नर्मदा के उस पार ले जाया करते थे, उनसे कर लेने का काम दारोगा के ज़िम्मे होता था | दारोगा इसी घाट पर बैठ कर "कर" वसूलते थे | इसी कारण से इस घाट का नाम दारोगा घाट पड़ा | | |||
'''खारी घाट''' - दारोगा घाट से आगे चलने पर आता है खारी घाट, जबलपुर की स्थानीय भाषा मे अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन को "खारी" कहा जाता है, इस घाट पर लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं, इसी कारण से इसे खारी घाट कहा जाता है | घाट पर अति प्राचीन बाल हनुमान जी का मंदिर है | घाट से लगा हुआ है स्वामी गिरिशानंद जी का आश्रम जिसे "साकेत धाम" के नाम से जाना जाता है | | |||
'''रामलला मंदिर''' - ग्वारीघाट मुख्य सड़क पर है रामलला मंदिर, यह बहुत ही प्रसिध्द मंदिर है | | |||
'''गीता धाम''' - ग्वारीघाट नेरो गेज लाइन से जबलपुर से जुड़ा हुआ है | ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन के पास मे ही है गीता धाम मंदिर जिसका निर्माण "महंत श्री रामचंद्र शास्त्री" जी ने करवाया था, अब उनके शिष्य "डॉ. श्यामदास जी महाराज" इस मंदिर के महंत हैं | |
20:47, 22 अगस्त 2013 का अवतरण
ग्वारीघाट जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित एक ग्राम है। जबलपुर के निकट स्थित इस ग्राम के प्राचीन खंडहरों में पुरातत्त्व की प्रचुर एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री बिखरी पड़ी हैं, जिनको अभी तक प्रकाश में नहीं लाया गया है।
- यहाँ पर 'श्रीरामलला हनुमान' का सुप्रसिद्ध मंदिर है, जो अब एक तीर्थ स्थल का रूप ले चुका है।
- इस मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए हनुमान जी को अर्जी लगाते हैं।
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चित्र वीथिका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 311 |
अन्य घाट
उमा घाट - ग्वारिघाट से लगा हुआ है उमा घाट इसका नाम नेत्री सुश्री उमा भारती जी के नाम पर रखा गया है | इसी घाट पर माँ नर्मदा की आरती का आयोजन प्रतिदिन संध्या समय किया जाता है | जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं |
जिलहरी घाट - उमा घाट के बाद जिलहरी घाट आता है |
दारोगा घाट - ग्वारीघाट के दूसरी ओर है दारोगा घाट, कहा जाता है की पुराने समय में जब सड़कों का अभाव था तब व्यापारी अपना सामान इस घाट से ही नाव के द्वारा नर्मदा के उस पार ले जाया करते थे, उनसे कर लेने का काम दारोगा के ज़िम्मे होता था | दारोगा इसी घाट पर बैठ कर "कर" वसूलते थे | इसी कारण से इस घाट का नाम दारोगा घाट पड़ा |
खारी घाट - दारोगा घाट से आगे चलने पर आता है खारी घाट, जबलपुर की स्थानीय भाषा मे अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन को "खारी" कहा जाता है, इस घाट पर लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं, इसी कारण से इसे खारी घाट कहा जाता है | घाट पर अति प्राचीन बाल हनुमान जी का मंदिर है | घाट से लगा हुआ है स्वामी गिरिशानंद जी का आश्रम जिसे "साकेत धाम" के नाम से जाना जाता है |
रामलला मंदिर - ग्वारीघाट मुख्य सड़क पर है रामलला मंदिर, यह बहुत ही प्रसिध्द मंदिर है |
गीता धाम - ग्वारीघाट नेरो गेज लाइन से जबलपुर से जुड़ा हुआ है | ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन के पास मे ही है गीता धाम मंदिर जिसका निर्माण "महंत श्री रामचंद्र शास्त्री" जी ने करवाया था, अब उनके शिष्य "डॉ. श्यामदास जी महाराज" इस मंदिर के महंत हैं |