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इस गाँव के आदि पुरुष श्री भागीरथ ठाकुर को माना जाता है और गाँव के लोग अपने को भागीरथ ठाकुर के ही वंशज मानते है। परंपरागत विश्वास के अनुसार आज से लगभग 250 साल पहले इस गाव में भागीरथ बाबा आये थे। ऐसी भी मान्यता है कि यह गाँव बहुत प्राचीन है। किवदंति है कि जब आठवीं सदी में [[शंकराचार्य]] शास्त्रार्थ करने के लिये मंडन मिश्र के पास महिषी आये थे तब वे चैनपुर होकर गये थे। चैनपुर गाँव के नीलकंठ महादेव मन्दिर में पूजा करने के उपरान्त  वे धेमरा नदी (धर्ममूला) पार कर के महिषी पहुँचे थे। यह आख्यान शायद शंकर विजय नामक प्रबंध ग्रन्थ में उपलब्ध है। साथ ही, इस गाँव में ढेरों प्राचीन मूर्तिया भी प्राप्त हुदी हैं। ये सब अद्वितीय है जैसे कि [[सूर्य देवता|सूर्य भगवान]] के आदमकद मूर्ति, [[विष्णु  |विष्णु भगवान]] के मूर्ति।  इसके पौराणिकता को सिद्ध करने का कोई सबूत शायद उपलब्ध नहीं है। कुछ अपठनीय लेख भी उपलब्ध है जिसको पढ़ने के बाद शायद इस गाँव की पौराणिकता सिद्ध हो सकती है।
इस गाँव के आदि पुरुष श्री भागीरथ ठाकुर को माना जाता है और गाँव के लोग अपने को भागीरथ ठाकुर के ही वंशज मानते है। परंपरागत विश्वास के अनुसार आज से लगभग 250 साल पहले इस गाव में भागीरथ बाबा आये थे। ऐसी भी मान्यता है कि यह गाँव बहुत प्राचीन है। किवदंति है कि जब आठवीं सदी में [[शंकराचार्य]] शास्त्रार्थ करने के लिये मंडन मिश्र के पास महिषी आये थे तब वे चैनपुर होकर गये थे। चैनपुर गाँव के नीलकंठ महादेव मन्दिर में पूजा करने के उपरान्त  वे धेमरा नदी (धर्ममूला) पार कर के महिषी पहुँचे थे। यह आख्यान शायद शंकर विजय नामक प्रबंध ग्रन्थ में उपलब्ध है। साथ ही, इस गाँव में ढेरों प्राचीन मूर्तिया भी प्राप्त हुदी हैं। ये सब अद्वितीय है जैसे कि [[सूर्य देवता|सूर्य भगवान]] के आदमकद मूर्ति, [[विष्णु  |विष्णु भगवान]] के मूर्ति।  इसके पौराणिकता को सिद्ध करने का कोई सबूत शायद उपलब्ध नहीं है। कुछ अपठनीय लेख भी उपलब्ध है जिसको पढ़ने के बाद शायद इस गाँव की पौराणिकता सिद्ध हो सकती है।
==संरचना==
==संरचना==
इस गाँव की बनावट अद्भुत है। आस पास के किसी भी गाँव की संरचना ऐसी नहीं है। लगता है कि कोई मंझा हुआ कलाकार अपने कला का प्रदर्शन करने में कोई कसर नही छोडा। गाँव की संरचना की योजना बनाने में चार-चार  समानांतर सड़क जो गाँव के एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है एवं पुनः इन चारों सड़कों को समकोण पर काटती है।  
इस गाँव की बनावट अद्भुत है। आस पास के किसी भी गाँव की संरचना ऐसी नहीं है। लगता है कि कोई मंझा हुआ कलाकार अपने कला का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोडा। गाँव की संरचना की योजना बनाने में चार-चार  समानांतर सड़क जो गाँव के एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है एवं पुनः इन चारों सड़कों को समकोण पर काटती है।  
==शिक्षा एवं संस्कृति==
==शिक्षा एवं संस्कृति==
5 प्राथमिक विद्यालय, दो मिड्डल स्कूल, दो हाई स्कूल, एक संस्कृत महाविद्यालय है। धार्मिक स्थान के रूप में नीलकंठ मंदिर, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, विष्णु घर, हनुमान थान, ब्रहम बाबा, राधा कृष्ण कुटी, मार्कंडेय बाबा के काली मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल है। गाँव में सभी पर्व त्यौहार संपूर्ण उमंग, उत्साह और धार्मिक वातावरण में मनाये जाते हैं। काली पूजा एवं फगुआ कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध है। [[दशहरा]] और [[शिवरात्रि]], [[जन्माष्टमी|कृष्णाष्टमी]], [[राम नवमी]] और हनुमान जयंती आदि त्योहार भी परम श्रद्धा और भक्ति मनाये जाते हैं।
5 प्राथमिक विद्यालय, दो मिड्डल स्कूल, दो हाई स्कूल, एक संस्कृत महाविद्यालय है। धार्मिक स्थान के रूप में नीलकंठ मंदिर, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, विष्णु घर, हनुमान थान, ब्रहम बाबा, राधा कृष्ण कुटी, मार्कंडेय बाबा के काली मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल है। गाँव में सभी पर्व त्यौहार संपूर्ण उमंग, उत्साह और धार्मिक वातावरण में मनाये जाते हैं। काली पूजा एवं फगुआ कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध है। [[दशहरा]] और [[शिवरात्रि]], [[जन्माष्टमी|कृष्णाष्टमी]], [[राम नवमी]] और हनुमान जयंती आदि त्योहार भी परम श्रद्धा और भक्ति मनाये जाते हैं।

12:48, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण

चैनपुर बिहार के सहरसा ज़िला के अन्तर्गत, ज़िला मुख्यालय से 10 किलोमिटर के दूरी पर अवस्थित एक गाँव है। बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में कोसी नदी के बेसिन में चैनपुर गाँव स्थित है। यह गाँव अपने शिक्षा संस्कार और विद्वानों के कारण पूरे मिथिला में प्रसिद्ध है।

इतिहास

इस गाँव के आदि पुरुष श्री भागीरथ ठाकुर को माना जाता है और गाँव के लोग अपने को भागीरथ ठाकुर के ही वंशज मानते है। परंपरागत विश्वास के अनुसार आज से लगभग 250 साल पहले इस गाव में भागीरथ बाबा आये थे। ऐसी भी मान्यता है कि यह गाँव बहुत प्राचीन है। किवदंति है कि जब आठवीं सदी में शंकराचार्य शास्त्रार्थ करने के लिये मंडन मिश्र के पास महिषी आये थे तब वे चैनपुर होकर गये थे। चैनपुर गाँव के नीलकंठ महादेव मन्दिर में पूजा करने के उपरान्त वे धेमरा नदी (धर्ममूला) पार कर के महिषी पहुँचे थे। यह आख्यान शायद शंकर विजय नामक प्रबंध ग्रन्थ में उपलब्ध है। साथ ही, इस गाँव में ढेरों प्राचीन मूर्तिया भी प्राप्त हुदी हैं। ये सब अद्वितीय है जैसे कि सूर्य भगवान के आदमकद मूर्ति, विष्णु भगवान के मूर्ति। इसके पौराणिकता को सिद्ध करने का कोई सबूत शायद उपलब्ध नहीं है। कुछ अपठनीय लेख भी उपलब्ध है जिसको पढ़ने के बाद शायद इस गाँव की पौराणिकता सिद्ध हो सकती है।

संरचना

इस गाँव की बनावट अद्भुत है। आस पास के किसी भी गाँव की संरचना ऐसी नहीं है। लगता है कि कोई मंझा हुआ कलाकार अपने कला का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोडा। गाँव की संरचना की योजना बनाने में चार-चार समानांतर सड़क जो गाँव के एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है एवं पुनः इन चारों सड़कों को समकोण पर काटती है।

शिक्षा एवं संस्कृति

5 प्राथमिक विद्यालय, दो मिड्डल स्कूल, दो हाई स्कूल, एक संस्कृत महाविद्यालय है। धार्मिक स्थान के रूप में नीलकंठ मंदिर, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, विष्णु घर, हनुमान थान, ब्रहम बाबा, राधा कृष्ण कुटी, मार्कंडेय बाबा के काली मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल है। गाँव में सभी पर्व त्यौहार संपूर्ण उमंग, उत्साह और धार्मिक वातावरण में मनाये जाते हैं। काली पूजा एवं फगुआ कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध है। दशहरा और शिवरात्रि, कृष्णाष्टमी, राम नवमी और हनुमान जयंती आदि त्योहार भी परम श्रद्धा और भक्ति मनाये जाते हैं।

पड़ोसी गाव

चैनपुर के पड़ोसी गाँव पडरी, बनगाव, महिशि, बलहि, तेघरा, बसौना, बलहा, गढिया आदि हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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