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पूरे [[भारत]] में [[रावण]] पर [[राम]] की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला यह पर्व आतंक पर न्याय की विजय का प्रतीक है। दशहरे की संध्या से पहले नौ दिनों तक, जिसे [[नवरात्रि]] कहते हैं, [[रामलीला]] का आयोजन किया जाता है। दसवे दिन रावण के साथ बेटे [[मेघनाद]] और उसके भाई [[कुंभकर्ण]] की वृहदाकार प्रतिमाएँ जलाई जाती हैं। मेला लगता है, मिठाइयाँ खायी जाती हैं और शोभा यात्राएँ निकली जाती हैं। सम्पूर्ण भारत में प्रचलित इस पर्व को मनाए जाने की अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग प्रथाएँ हैं। [[पश्चिम बंगाल]] में दशहरे को [[दुर्गा]] पूजा के नाम से मनाते हैं। दुर्गा देवी की पूजा के मंडप बड़ी खूबसूरती से सजाए जाते हैं। लोग इकठ्ठे हो कर इस त्योहार का मज़ा उठाते हैं। रात में पूजा और प्रसाद के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और देर रात तक यह कार्यक्रम चार दिनों तक चलते रहते है। [[दक्षिण भारत]] में घरों को [[मिट्टी]] के खिलौने और भगवान की प्रतिमाओं से सजाया जाता है। मित्र और संबंधी एक दूसरे के घर जाते और शुभकामनाओं का आदान प्रदान होता है।<br />
पूरे [[भारत]] में [[रावण]] पर [[राम]] की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला यह पर्व आतंक पर न्याय की विजय का प्रतीक है। दशहरे की संध्या से पहले नौ दिनों तक, जिसे [[नवरात्रि]] कहते हैं, [[रामलीला]] का आयोजन किया जाता है। दसवे दिन रावण के साथ बेटे [[मेघनाद]] और उसके भाई [[कुंभकर्ण]] की वृहदाकार प्रतिमाएँ जलाई जाती हैं। मेला लगता है, मिठाइयाँ खायी जाती हैं और शोभा यात्राएँ निकली जाती हैं। सम्पूर्ण भारत में प्रचलित इस पर्व को मनाए जाने की अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग प्रथाएँ हैं। [[पश्चिम बंगाल]] में दशहरे को [[दुर्गा]] पूजा के नाम से मनाते हैं। दुर्गा देवी की पूजा के मंडप बड़ी ख़ूबसूरती से सजाए जाते हैं। लोग इकठ्ठे हो कर इस त्योहार का मज़ा उठाते हैं। रात में पूजा और प्रसाद के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और देर रात तक यह कार्यक्रम चार दिनों तक चलते रहते है। [[दक्षिण भारत]] में घरों को [[मिट्टी]] के खिलौने और भगवान की प्रतिमाओं से सजाया जाता है। मित्र और संबंधी एक दूसरे के घर जाते और शुभकामनाओं का आदान प्रदान होता है।<br />
[[गुजरात]] में नवरात्रि के अवसर पर डांडिया रास और [[गरबा नृत्य]] की धूम होती है। [[हिमाचल प्रदेश]] की कुल्लू घाटी में दशहरे का अलग रंग देखने को मिलता है। एक [[सप्ताह]] तक [[कुल्लू]] के पहाड़ी नगर में मेले का आयोजन होता है। अधिशासी देवता रघुनाथ जी के सम्मान में गाँव के सारे छोटे मंदिरों से देवताओं को धूमधाम से जलूस निकाल कर 'मैदान' लाया जाता है। महलों के नगर मैसूर में दस दिन तक दशहरा अत्यंत राजसी ढंग से मनाया जाता है। [[मैसूर महल|मैसूर पैलेस]] पर जगमगाते हुए असंख्य दीपों का सौंदर्य देखते ही बनता है। मशाल जलूस और संगीत के सांस्कृतिक कार्यक्रम इस उत्साह के वातावरण में चार चाँद लगा देते हैं।
[[गुजरात]] में नवरात्रि के अवसर पर डांडिया रास और [[गरबा नृत्य]] की धूम होती है। [[हिमाचल प्रदेश]] की कुल्लू घाटी में दशहरे का अलग रंग देखने को मिलता है। एक [[सप्ताह]] तक [[कुल्लू]] के पहाड़ी नगर में मेले का आयोजन होता है। अधिशासी देवता रघुनाथ जी के सम्मान में गाँव के सारे छोटे मंदिरों से देवताओं को धूमधाम से जलूस निकाल कर 'मैदान' लाया जाता है। महलों के नगर मैसूर में दस दिन तक दशहरा अत्यंत राजसी ढंग से मनाया जाता है। [[मैसूर महल|मैसूर पैलेस]] पर जगमगाते हुए असंख्य दीपों का सौंदर्य देखते ही बनता है। मशाल जलूस और संगीत के सांस्कृतिक कार्यक्रम इस उत्साह के वातावरण में चार चाँद लगा देते हैं।
====मारवाड़ उत्सव====
====मारवाड़ उत्सव====

14:28, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण

अक्टूबर
अक्टूबर
अक्टूबर
विवरण ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का दसवाँ महीना है।
हिंदी माह आश्विन - कार्तिक
हिजरी माह ज़िलहिज्ज - मुहर्रम
कुल दिन 31
व्रत एवं त्योहार विजय दशमी
जयंती एवं मेले मारवाड़ उत्सव (राजस्थान में), राजगीर महोत्सव (बिहार में)
महत्त्वपूर्ण दिवस गाँधी जयन्ती (02), वायु सेना दिवस (08), विश्व डाक दिवस (09), आज़ाद हिन्द फ़ौज स्थापना दिवस (21)
पिछला सितंबर
अगला नवंबर
अन्य जानकारी अक्टूबर वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है।
अद्यतन‎

अक्टूबर (अंग्रेज़ी: October) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का दसवाँ महीना है। यह वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।

विजय दशमी

अक्टूबर के पर्व एवं त्योहार

विजय दशमी (दशहरा)

पूरे भारत में रावण पर राम की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला यह पर्व आतंक पर न्याय की विजय का प्रतीक है। दशहरे की संध्या से पहले नौ दिनों तक, जिसे नवरात्रि कहते हैं, रामलीला का आयोजन किया जाता है। दसवे दिन रावण के साथ बेटे मेघनाद और उसके भाई कुंभकर्ण की वृहदाकार प्रतिमाएँ जलाई जाती हैं। मेला लगता है, मिठाइयाँ खायी जाती हैं और शोभा यात्राएँ निकली जाती हैं। सम्पूर्ण भारत में प्रचलित इस पर्व को मनाए जाने की अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग प्रथाएँ हैं। पश्चिम बंगाल में दशहरे को दुर्गा पूजा के नाम से मनाते हैं। दुर्गा देवी की पूजा के मंडप बड़ी ख़ूबसूरती से सजाए जाते हैं। लोग इकठ्ठे हो कर इस त्योहार का मज़ा उठाते हैं। रात में पूजा और प्रसाद के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और देर रात तक यह कार्यक्रम चार दिनों तक चलते रहते है। दक्षिण भारत में घरों को मिट्टी के खिलौने और भगवान की प्रतिमाओं से सजाया जाता है। मित्र और संबंधी एक दूसरे के घर जाते और शुभकामनाओं का आदान प्रदान होता है।
गुजरात में नवरात्रि के अवसर पर डांडिया रास और गरबा नृत्य की धूम होती है। हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में दशहरे का अलग रंग देखने को मिलता है। एक सप्ताह तक कुल्लू के पहाड़ी नगर में मेले का आयोजन होता है। अधिशासी देवता रघुनाथ जी के सम्मान में गाँव के सारे छोटे मंदिरों से देवताओं को धूमधाम से जलूस निकाल कर 'मैदान' लाया जाता है। महलों के नगर मैसूर में दस दिन तक दशहरा अत्यंत राजसी ढंग से मनाया जाता है। मैसूर पैलेस पर जगमगाते हुए असंख्य दीपों का सौंदर्य देखते ही बनता है। मशाल जलूस और संगीत के सांस्कृतिक कार्यक्रम इस उत्साह के वातावरण में चार चाँद लगा देते हैं।

मारवाड़ उत्सव

राजस्थान के मारवाड़ प्रदेश में मांड लोकगीतों को गाए जाने की परंपरा है। ये लोक गीतों का एक परिष्कृत शास्त्रीय अंग है जिसमें राजस्थानी शासकों की प्रेम कथाओं का वर्णन मिलता हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि में इन गीतों के साथ नृत्य करते हुए लोकनर्तक प्राचीन कथाओं को अपनी कला से जीवंत कर देते हैं।

महात्मा गांधी

गांधी जयंती

2 अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाया जाता है। एक महीने पहले से भारत भर में फैले गांधी ग्रामोद्योग के प्रतिष्ठानों में, हाथ के बने सूती रेशमी व ऊनी वस्त्रों तथा हस्त निर्मित वस्तुओं के मूल्यों में भारी छूट दी जाती है जिसका लोग साल भर इंतज़ार करते हैं। भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अपने बाकी राजनीतिक सदस्यों के साथ राजघाट जाकर गांधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन सारे देश में कार्यालय और स्कूल बंद होते हैं।

राजगीर महोत्सव

बिहार के राजगीर महोत्सव संगीत के रंगारंग आयोजन वाला यह पर्व मगध राजाओं की प्राचीन राजधानी राजगीर में मनाया जाता है। यह नगर गौतम बुद्ध की की साधना और प्रचार के लिए भी प्रसिद्ध है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अक्टूबर माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 10 जून, 2013।

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