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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[समुद्र मंथन]] से जो भयानक विष निकला था, उसका नाम क्या था?
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| +[[हलाहल विष|हलाहल]]
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| -यमद
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| -[[वत्सनाभ]]
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| -नीलकंठ
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| ||[[चित्र:Shiv-drinking-Poison.jpg|right|80px|विष का पान करते भगवान शिव]]'हलाहल विष' [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] द्वारा मिलकर किये गए [[समुद्र मंथन]] के समय निकला था। मंथन के फलस्वरूप जो चौदह मूल्यवान वस्तुएँ प्राप्त हुई थीं, उनमें से [[हलाहल विष]] सबसे पहले निकला था। हलाहल विष की ज्वाला से सभी देवता तथा असुर जलने लगे और उनकी कान्ति फीकी पड़ने लगी। इस पर सभी ने मिलकर भगवान शंकर की प्रार्थना की। देवताओं तथा असुरों की प्रार्थना पर [[शिव|महादेव शिव]] उस विष को हथेली पर रख कर उसे पी गये, किन्तु उसे कण्ठ से नीचे नहीं उतरने दिया। उस कालकूट विष के प्रभाव से [[शिव]] का कण्ठ नीला पड़ गया। इसीलिये महादेव को 'नीलकण्ठ' कहा जाने लगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हलाहल विष]], [[शिव]]
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| {[[समुद्र मंथन]] हेतु जिस [[पर्वत]] को मथानी बनाया गया, वह कौन-सा था?
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| -[[हिमालय]]
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| -मैनाक
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| +[[मंदराचल पर्वत|मंदराचल]]
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| -[[गिरनार पर्वत|गिरनार]]
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| ||'मंदराचल' या 'मंदार' पर्वत का उल्लेख पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं में हुआ है। [[समुद्र मंथन]] की जिस घटना का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में हुआ है, उनके अनुसार [[मंदार पर्वत]] को मंथन के समय मथानी की तरह प्रयोग किया गया था। सदियों से खड़ा मंदार पर्वत आज भी लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यह प्रसिद्ध पर्वत [[बिहार|बिहार राज्य]] के [[बाँका ज़िला|बाँका ज़िले]] के बौंसी गाँव में स्थित है। इस [[पर्वत]] की ऊँचाई लगभग 700 से 750 फुट है। यह [[भागलपुर]] से 30-35 मील की दूरी पर स्थित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मंदराचल पर्वत]]
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| {'[[रामायण]]' के सबसे बड़े कांड का क्या नाम है?
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| -[[सुन्दर काण्ड वा॰ रा॰|सुंदरकांड]]
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| +[[युद्धकाण्ड वा. रा.|युद्धकांड]]
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| -[[उत्तर काण्ड वा॰ रा॰|उत्तरकांड]]
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| -[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]]
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| ||[[चित्र:Ramayana.jpg|right|80px|रामायण]]इस प्रसिद्ध कांड में 128 सर्ग तथा सबसे अधिक 5,692 [[श्लोक]] प्राप्त होते हैं। शत्रु के जय, उत्साह और लोकापवाद के दोष से मुक्त होने के लिए [[युद्धकाण्ड वा. रा.|युद्धकांड]] का पाठ करना चाहिए। इसे 'बृहद्धर्मपुराण' में 'लंकाकांड' भी कहा गया है। युद्धकांड में वानरसेना का पराक्रम, विभीषण-तिरस्कार, [[विभीषण]] का [[राम]] के पास गमन, [[राम]]-[[रावण]] युद्ध, रावण वध, [[मंदोदरी]] विलाप, विभीषण का शोक, राम के द्वारा विभीषण का राज्याभिषेक, [[हनुमान]], [[सुग्रीव]], [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] आदि के साथ राम, [[लक्ष्मण]] तथा [[सीता]] का [[अयोध्या]] प्रत्यावर्तन, राम का राज्याभिषेक तथा [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] का युवराज पद पर आसीन होना, रामराज्य वर्णन और [[रामायण]] पाठ श्रवणफल कथन आदि का निरूपण किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युद्धकाण्ड वा. रा.|युद्धकांड]]
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| {उस कौए का क्या नाम था, जिसने [[गरुड़]] को [[राम]] कथा सुनाई थी?
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| -विगत
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| -विनत
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| +[[काकभुशुंडी]]
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| -नागभुशुंडि
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| ||[[चित्र:Garuda.jpg|right|100px|गरुड़]]पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू धर्म]] की मान्यताओं के अनुसार [[गरुड़]] पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप|कश्यप ऋषि]] और [[विनता]] के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं। [[लंका]] के राजा [[रावण]] के पुत्र [[इन्द्रजित]] ने जब युद्ध में [[श्रीराम]] और [[लक्ष्मण]] को नागपाश से बाँध लिया था, तब गरुड़ ने ही उन्हें इस बंधन से मुक्त किया था। काकभुशुंडी नामक एक कौए ने गरुड़ को श्रीराम कथा सुनाई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गरुड़]] तथा [[काकभुशुंडी]]
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| {[[अश्वमेध यज्ञ]] के अश्व के मस्तक पर जो पत्र बाँधा जाता था, उसका क्या नाम था?
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| -विजयपत्र
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| -रणपत्र
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| -घोषपत्र
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| +जयपत्र
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| ||वैदिक यज्ञों में '[[अश्वमेध यज्ञ]]' का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह महाक्रतुओं में से एक है। अश्वमेध मुख्यत: राजनीतिक [[यज्ञ]] था और इसे वही सम्राट कर सकता था, जिसका अधिपत्य अन्य सभी नरेश मानते थे। यज्ञ का प्रारम्भ [[बसन्त ऋतु|बसन्त]] अथवा [[ग्रीष्म ऋतु]] में होता था तथा इसके पूर्व प्रारम्भिक अनुष्ठानों में प्राय: एक [[वर्ष]] का समय लगता था। सर्वप्रथम एक अयुक्त अश्व चुना जाता था। यज्ञ स्तम्भ में बाँधने के प्रतीकात्मक कार्य से मुक्त कर इसे [[स्नान]] कराया जाता था तथा एक वर्ष तक अबन्ध दौड़ने तथा बूढ़े घोड़ों के साथ खेलने दिया जाता था। इसके पश्चात इसकी दिग्विजय यात्रा प्रारम्भ होती थी। इसके सिर पर 'जयपत्र' बाँधकर छोड़ा जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वमेध यज्ञ]]
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| {[[वरुण देवता|वरुण]] के [[हाथी]] का क्या नाम है? | | {[[वरुण देवता|वरुण]] के [[हाथी]] का क्या नाम है? |
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