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         '''[[हिंदी]]''' भारतीय गणराज की राजकीय एवं मध्य भारतीय आर्य भाषा है। हिंदी शब्द की व्युपत्ति [[भारत]] के उत्तर–पश्चिम में प्रवाहमान [[सिन्धु नदी]] से सम्बन्धित है। हिंदी की प्रमुख बोलियों में [[अवधी भाषा|अवधी]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]], [[ब्रज भाषा]], [[छत्तीसगढ़ी बोली|छत्तीसगढ़ी]], [[गढ़वाली बोली|गढ़वाली]], [[हरियाणवी बोली|हरियाणवी]], [[कुमाँऊनी भाषा|कुमाँऊनी]], [[मागधी भाषा|मागधी]] और [[मारवाड़ी बोली|मारवाड़ी]] शामिल हैं। हिंदी की आदि जननी [[संस्कृत]] है। संस्कृत [[पालि भाषा|पालि]], [[प्राकृत भाषा]] से होती हुई [[अपभ्रंश]] तक पहुँचती है। 'केन्द्रीय हिंदी निदेशालय' ने [[लिपि]] के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और '[[देवनागरी लिपि]]' तथा 'हिंदी वर्तनी का मानकीकरण' का प्रकाशन किया। [[हिंदी|.... और पढ़ें]]</poem>
         '''[[श्राद्ध]]''' पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को [[नमस्कार]] या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन जी रहे हैं। [[ब्रह्म पुराण]] ने श्राद्ध की परिभाषा यों दी है, 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दिया जाता है', वह श्राद्ध कहलाता है। [[श्राद्ध|... और पढ़ें]]
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13:58, 18 सितम्बर 2013 का अवतरण

एक आलेख
श्राद्ध
श्राद्ध

        श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को नमस्कार या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन जी रहे हैं। ब्रह्म पुराण ने श्राद्ध की परिभाषा यों दी है, 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है', वह श्राद्ध कहलाता है। ... और पढ़ें


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