"हीर रांझा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{प्रेमकथाएँ}}
[[Category:प्रेमकथाएँ]]
[[Category:प्रेमकथाएँ]]
[[Category:कथा साहित्य]]
[[Category:कथा साहित्य]]

09:07, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण

झंग शहर (पंजाब, पाकिस्तान) में हीर-रांझा की मज़ार

हीर रांझा पंजाब की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं में से एक है। इसके अलावा मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नुँ और सोहनी-माहीवाल बाक़ी तीन हैं। इस कथा के कई वर्णन लिखे जा चुके हैं लेकिन सब से प्रसिद्ध बाबा वारिस शाह का क़िस्सा हीर-रांझा है। दामोदर दास अरोड़ा, मुकबाज़ और अहमद गुज्जर ने भी इसके अपने रूप लिखे हैं।

हीर और रांझा की प्रेम कहानी

तख्त हजारा के सरदार का बेटा रांझा आशिक मिजाज था। रांझा को बचपन में ही खूबसूरती से इश्क था। उसने अपने लिए सपनों में ही एक हसीना की तस्वीर गढ़ ली थी। बारह साल की उम्र में पिता का साया उसके सिर से उठ गया था। अपने भाइयों से अलग होकर वह सारा दिन पेड़ों के नीचे बैठा रहता और अपने सपनों की शहजादी के बारे में सोचा करता था। एक बार एक पीर ने उससे पूछा-तुम इतने दुःखी क्यों हो? तब रांझा ने पीर को अपने द्वारा रचित प्रेम गीत सुनाए, जिसमें सपनों की शहजादी का उल्लेख था। पीर ने बताया कि तुम्हारे सपनों की शहजादी हीर के अलावा और कोई नहीं हो सकती। यह सुन रांझा अपनी हीर की तलाश में निकल पड़ा।
हीर बहुत सख्त दिमाग वाली लड़की थी। एक रात रांझा चुपके से हीर की नाव में सो गया। यह देख हीर आगबबूला हो गई, लेकिन जैसे ही उसने जवाँ मर्द रांझे को देखा, वह अपना गुस्सा भूल गई और रांझा को देखती ही रह गई। तब रांझा ने उसे अपने सपनों की बात कही। रांझे पर फिदा हीर उसे अपने घर ले गई और अपने यहाँ नौकरी पर रखवा दिया।
हीर-रांझा की मुलाकातें मोहब्बत में बदल गई, लेकिन हीर के चाचा को इसकी भनक लग गई और हीर की शादी दूसरे गाँव कर दी गई। रांझा फकीर बनकर गाँव-गाँव घूमने लगा। जब वह हीर के गाँव में पहुँचा तो उसकी आवाज़ सुनकर हीर बाहर आई और उसे भिक्षा देने लगी। दोनों एक-दूसरे को देखते रह गए। रांझा रोजाना फकीर बनकर आता और हीर उसे भिक्षा देने। दोनों रोज़ाना मिलने लगे। यह हीर की भाभी ने देख लिया। उसने हीर को टोका तो रांझा गाँव के बाहर चला गया। सारे लोग उसे फकीर मानकर पूजने लगे। उसकी जुदाई में हीर बीमार हो गई। जब वैद्य हकीमों से उसका इलाज न हुआ तो हीर के ससुर ने रांझे के पास जाकर उसकी मदद माँगी। रांझा हीर के घर चला आया। उसने हीर के सिर पर हाथ रखा और हीर की चेतना लौट आई। जब लोगों को पता चला कि वह फकीर रांझा है तो उन्होंने रांझा को पीटकर गाँव से बाहर धकेल दिया। फिर राजा ने उसे चोर समझकर पकड़ लिया। रांझा ने जब राजा को हकीकत बताई तो उसने हीर के पिता को आदेश दिया कि वह हीर की शादी रांझा से कर दे। राजा की आज्ञा के डर से उसके पिता ने मंजूरी तो दे दी, लेकिन हीर को जहर दे दिया। जब रांझा वापस लौटा और उसे हीर के मरने की खबर मिली तो उसने भी वहीं दम तोड़ दिया। हीर मर गई, रांझा मर गया, लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी ज़िंदा है।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हीर-रांझा : प्यार का रिश्ता प्रगाढ़ और साझा (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 3 सितम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख