"नम्र": अवतरणों में अंतर
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|विशेष=स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां- मेघदूत | |विशेष=स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां- मेघदूत | ||
|पर्यायवाची=विनम्र, अधृष्ट, अनुद्धत, अनुययी, अप्रगल्भ, अवनत, ख़ाकसार, डींगहीन, दीन धृष्ठताहीन, नम्र, नयशील, नरम, नर्म, बाअदब, लज्जाशील, विनत, विनयपूर्ण, विनयी, विनीत, शांत, शालीन, शिष्ट, शीतल, संजीदा, सविनय, सुनीत, सुविनीत, सुशील [सुशीला], सौम्य। | |पर्यायवाची=विनम्र, अधृष्ट, अनुद्धत, अनुययी, अप्रगल्भ, अवनत, ख़ाकसार, डींगहीन, दीन धृष्ठताहीन, नम्र, नयशील, नरम, नर्म, बाअदब, लज्जाशील, विनत, विनयपूर्ण, विनयी, विनीत, शांत, शालीन, शिष्ट, शीतल, संजीदा, सविनय, सुनीत, सुविनीत, सुशील [सुशीला], सौम्य। | ||
|संस्कृत=नम्र (विक्रमोर्वशीयम्) [नमं+र] विनीत, प्रणतिशील, झुका हुआ, विनतं, भवंति नम्रास्तरवः फलागमैः- शकुन्तला नाटक 5/12, 82, पंचतन्त्र 1/106, रत्नावली 1/19, प्रणतिशील, सादर अभिवादनशील,-अभुच्च नम्रः प्रणिपात शिक्षया- रघुवंश 3/25, इत्युच्यते ताभिरुमा स्म नम्रा-कु॰ 7/28, सुशील, विनयी, विनयशील, श्रद्धालु-मेघदूत 55,कुटिल, वक्र, पूजा करने वाला, भक्त, उपासक। | |संस्कृत=नम्र (विक्रमोर्वशीयम्) [नमं+र] विनीत, प्रणतिशील, झुका हुआ, विनतं, भवंति नम्रास्तरवः फलागमैः- <ref>शकुन्तला नाटक 5/12, 82</ref>, <ref>पंचतन्त्र 1/106</ref>, <ref>रत्नावली 1/19</ref>, प्रणतिशील, सादर अभिवादनशील,-अभुच्च नम्रः प्रणिपात शिक्षया- <ref>रघुवंश 3/25</ref>,इत्युच्यते ताभिरुमा स्म नम्रा-<ref>कु॰ 7/28</ref>, सुशील, विनयी, विनयशील, श्रद्धालु-मेघदूत 55,कुटिल, वक्र, पूजा करने वाला, भक्त, उपासक। | ||
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==टीका टिप्पणी व संदर्भ== | |||
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11:16, 29 जून 2010 का अवतरण
हिन्दी | जिसमें विनय हो, विनत, विनीत, विनय से नत, विनयावनत। |
-व्याकरण | [संस्कृतभाषा धातु नम्+र] विशेषण नत |
-उदाहरण | जो झुका हुआ हो |
-विशेष | स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां- मेघदूत |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | विनम्र, अधृष्ट, अनुद्धत, अनुययी, अप्रगल्भ, अवनत, ख़ाकसार, डींगहीन, दीन धृष्ठताहीन, नम्र, नयशील, नरम, नर्म, बाअदब, लज्जाशील, विनत, विनयपूर्ण, विनयी, विनीत, शांत, शालीन, शिष्ट, शीतल, संजीदा, सविनय, सुनीत, सुविनीत, सुशील [सुशीला], सौम्य। |
संस्कृत | नम्र (विक्रमोर्वशीयम्) [नमं+र] विनीत, प्रणतिशील, झुका हुआ, विनतं, भवंति नम्रास्तरवः फलागमैः- [1], [2], [3], प्रणतिशील, सादर अभिवादनशील,-अभुच्च नम्रः प्रणिपात शिक्षया- [4],इत्युच्यते ताभिरुमा स्म नम्रा-[5], सुशील, विनयी, विनयशील, श्रद्धालु-मेघदूत 55,कुटिल, वक्र, पूजा करने वाला, भक्त, उपासक। |
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