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         '''[[विजय दशमी]]''' अथवा 'दशहरा' [[भारत]] का राष्ट्रीय त्योहार है। यह [[आश्विन]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[दशमी]] को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान [[राम|श्रीराम]] ने [[सीता]] का हरण करने वाले [[रावण]] का वध किया था। विजय दशमी के अवसर पर पूरे भारत में जगह–जगह आयोजित [[रामलीला]] में रावण दहन का प्रदर्शन होता है। इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। विजय दशमी सभी जातियों के लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण दिन है, किंतु राजाओं, सामंतों एवं [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के लिए यह विशेष रूप से शुभ दिन है। [[विजय दशमी|... और पढ़ें]]
         '''[[दीपावली]]''' अथवा 'दिवाली' [[भारत]] के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण [[धनतेरस]] से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। दीपावली की रात्रि को घरों तथा दुकानों पर भारी संख्या में [[दीपक]], मोमबत्तियां और बल्ब जलाए जाते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार [[कार्तिक]] [[अमावस्या]] को भगवान [[राम|श्रीराम]] चौदह वर्ष का वनवास काटकर [[अयोध्या]] लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इस दिन [[महालक्ष्मी देवी|लक्ष्मी]] के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी [[महालक्ष्मी देवी|महालक्ष्मी]], विघ्न-विनाशक [[गणेश|गणेश जी]] और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी [[सरस्वती]] की पूजा-आराधना की जाती है। [[ब्रह्म पुराण]] के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। [[दीपावली|... और पढ़ें]]
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12:35, 22 अक्टूबर 2013 का अवतरण

एक आलेख
लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती
लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती

        दीपावली अथवा 'दिवाली' भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। दीपावली की रात्रि को घरों तथा दुकानों पर भारी संख्या में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब जलाए जाते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। ... और पढ़ें


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