"मन्द": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|व्याकरण= क्रिवि॰ धीरे-धीरे, मन्द स्वर से। पु॰ शनि(ग्रह), यमराज्। विलोम- तीव्र्। वि॰ धीमा जैसे- मन्दगामी (धीमा चलने वाला)। | |व्याकरण= क्रिवि॰ धीरे-धीरे, मन्द स्वर से। पु॰ शनि(ग्रह), यमराज्। विलोम- तीव्र्। वि॰ धीमा जैसे- मन्दगामी (धीमा चलने वाला)। | ||
|उदाहरण= | |उदाहरण= | ||
|विशेष= ‘मन्द’ फ़ारसी से आया एक प्रत्यय भी है जिसका अर्थ है ‘वाला’ जैसे- ज़रूरतमन्द (ज़रूरतवाला)। | |विशेष= ‘मन्द’ [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] से आया एक प्रत्यय भी है जिसका अर्थ है ‘वाला’ जैसे- ज़रूरतमन्द (ज़रूरतवाला)। | ||
|पर्यायवाची= मंद, धीमा (धीमी), मंथर, मंदा (मंदी), मद्धिम, माँद, मादाँ (माँदी), हलका (हलकी)। | |पर्यायवाची= मंद, धीमा (धीमी), मंथर, मंदा (मंदी), मद्धिम, माँद, मादाँ (माँदी), हलका (हलकी)। | ||
|संस्कृत= (विशेषण॰) (मन्द्+अच्), धीमा, विलंबकारी, अकर्मण्य, सुस्त, मंद, मटरगश्ती करने वाला- (न॰) भिन्दन्ति मन्दां गतिमश्वमुख्य- कु॰ 1/11, तच्चरितं गोविन्दे मनसिजमन्दे सखी प्राह- गीत॰ 6, निरुत्साही, तटस्थ-उदासीन, जड, मंदबुद्धि, मूढ, अज्ञानी, निर्बल-मस्तिष्क, मन्दोऽप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चित: -<ref>मालविकाग्निमित्र 2/8</ref>, मन्द: कवियश: प्रार्थी गमिष्या-म्युपहास्यताम्- <ref>रघु्वंश 1/3</ref>, द्विषन्ति मन्दाश्चरितं महात्मनाम्- कु॰ 5/74, धीमा, गहरा, खोखला (ध्वनि आदि), कोमल, धुंधला, मृदु यथा ‘मंदस्मितम्’ में, थोड़ा, अल्प, जरा सा, मन्दोररी, दे॰ ‘अमन्द’ भी, दुर्बल, बलहीन, कमज़ोर यथा ‘मंदाग्नि’ में, दुर्भाग्यग्रस्त, अभागा, मुर्झाया हुआ, दुष्ट, दुश्चरित्र, शराब की लत वाला, - द: शनिग्रह, यम का विशेषण, सृष्टि का विघटन, एक प्रकार का हाथी- <ref>शिशुपालवध 5/49</ref>। | |संस्कृत= (विशेषण॰) (मन्द्+अच्), धीमा, विलंबकारी, अकर्मण्य, सुस्त, मंद, मटरगश्ती करने वाला- (न॰) भिन्दन्ति मन्दां गतिमश्वमुख्य- कु॰ 1/11, तच्चरितं गोविन्दे मनसिजमन्दे सखी प्राह- गीत॰ 6, निरुत्साही, तटस्थ-उदासीन, जड, मंदबुद्धि, मूढ, अज्ञानी, निर्बल-मस्तिष्क, मन्दोऽप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चित: -<ref>मालविकाग्निमित्र 2/8</ref>, मन्द: कवियश: प्रार्थी गमिष्या-म्युपहास्यताम्- <ref>रघु्वंश 1/3</ref>, द्विषन्ति मन्दाश्चरितं महात्मनाम्- कु॰ 5/74, धीमा, गहरा, खोखला (ध्वनि आदि), कोमल, धुंधला, मृदु यथा ‘मंदस्मितम्’ में, थोड़ा, अल्प, जरा सा, मन्दोररी, दे॰ ‘अमन्द’ भी, दुर्बल, बलहीन, कमज़ोर यथा ‘मंदाग्नि’ में, दुर्भाग्यग्रस्त, अभागा, मुर्झाया हुआ, दुष्ट, दुश्चरित्र, शराब की लत वाला, - द: शनिग्रह, यम का विशेषण, सृष्टि का विघटन, एक प्रकार का हाथी- <ref>शिशुपालवध 5/49</ref>। |
12:16, 7 जुलाई 2010 का अवतरण
हिन्दी | [स॰ मन्द् + अच्]। हल्का, जैसे- मन्दस्वर, जिसमें उग्रता य तीव्रता न हो, सुस्त, दुर्बल, जैसे- मन्दाग्नि, अल्प, थोड़ा, जैसे- मन्द बुद्धि; मन्द बुखार; मन्द विष, मूर्ख, नीच, अधम, दुष्ट, निकृष्ट, विकृत्। |
-व्याकरण | क्रिवि॰ धीरे-धीरे, मन्द स्वर से। पु॰ शनि(ग्रह), यमराज्। विलोम- तीव्र्। वि॰ धीमा जैसे- मन्दगामी (धीमा चलने वाला)। |
-उदाहरण | |
-विशेष | ‘मन्द’ फ़ारसी से आया एक प्रत्यय भी है जिसका अर्थ है ‘वाला’ जैसे- ज़रूरतमन्द (ज़रूरतवाला)। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | मंद, धीमा (धीमी), मंथर, मंदा (मंदी), मद्धिम, माँद, मादाँ (माँदी), हलका (हलकी)। |
संस्कृत | (विशेषण॰) (मन्द्+अच्), धीमा, विलंबकारी, अकर्मण्य, सुस्त, मंद, मटरगश्ती करने वाला- (न॰) भिन्दन्ति मन्दां गतिमश्वमुख्य- कु॰ 1/11, तच्चरितं गोविन्दे मनसिजमन्दे सखी प्राह- गीत॰ 6, निरुत्साही, तटस्थ-उदासीन, जड, मंदबुद्धि, मूढ, अज्ञानी, निर्बल-मस्तिष्क, मन्दोऽप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चित: -[1], मन्द: कवियश: प्रार्थी गमिष्या-म्युपहास्यताम्- [2], द्विषन्ति मन्दाश्चरितं महात्मनाम्- कु॰ 5/74, धीमा, गहरा, खोखला (ध्वनि आदि), कोमल, धुंधला, मृदु यथा ‘मंदस्मितम्’ में, थोड़ा, अल्प, जरा सा, मन्दोररी, दे॰ ‘अमन्द’ भी, दुर्बल, बलहीन, कमज़ोर यथा ‘मंदाग्नि’ में, दुर्भाग्यग्रस्त, अभागा, मुर्झाया हुआ, दुष्ट, दुश्चरित्र, शराब की लत वाला, - द: शनिग्रह, यम का विशेषण, सृष्टि का विघटन, एक प्रकार का हाथी- [3]। |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश