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प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। रत्न कोई भी हो अपने आपमें प्रभावशाली होता है। मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न शरीर की शोभा आभूषणों के रूप में तो बढ़ाते ही हैं और साथ ही अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं। इन रत्नों से जहाँ स्वयं को सजाने-सँवारने की स्पर्धा लोगों में पाई जाती है वहीं संपन्नता के प्रतीक ये अनमोल रत्न अपने आकर्षण तथा उत्कृष्टता से सबको वशीभूत कर विश्व व्यापी से बखाने जाते हैं। रत्न और जवाहरात के नाम से जाने हुए ये खनिज पदार्थ विश्व की बहुमूल्य थाती हैं, जो युगों से अगणित मनों को मोहते हुए अपनी महत्ता बनाए हुए हैं।
कीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह कीमती होते है। रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटौती और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते है, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते है। रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है। ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रुप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षीत बनाते है। रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
 
रत्न कोई भी हो अपने आपमें प्रभावशाली होता है। मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न शरीर की शोभा आभूषणों के रूप में तो बढ़ाते ही हैं और कुछ लोगों का मानना है की रत्न अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं। इन रत्नों से जहाँ स्वयं को सजाने-सँवारने की स्पर्धा लोगों में पाई जाती है वहीं संपन्नता के प्रतीक ये अनमोल रत्न अपने आकर्षण तथा उत्कृष्टता से सबको वशीभूत कर विश्व व्यापी से बखाने जाते हैं। रत्न और जवाहरात के नाम से जाने हुए ये खनिज पदार्थ विश्व की बहुमूल्य राशी हैं, जो युगों से अगणित मनों को मोहते हुए अपनी महत्ता बनाए हुए हैं।
==ग्रन्थों के अनुसार==
प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं। रत्नों के नामों की सूची निम्न प्रकार है -
* अजूबा - अजूबा सफेद तथा खाकी रंग का व मृदु होता है्। अजूबा संगमरमर की ही एक जाति है।
* अहवा - अहवा गुलाबी रंग का धब्बेदार तथा मृदु पत्थर होता है। अहवा को फर्श तथा खरल बनाने के काम में लिया जाता है।
* अबरी - अबरी [[कृष्ण]] तथा पीत वर्ण का संगमरमर के सदृश पत्थर होता है।
* अमलिया - अमलिया कृष्ण रंग (नीला रंग) का होता है तथा इसमें गुलाबी रंग की आभा होती है।
* अलेमानी - अलेमानी भूरे रंग का पत्थर होता है। अलेमानी के ऊपर कृष्ण वर्ण की पतली रेखा होती है।
* उपल - उपल कृष्ण, पीत, सफेद आदि अनेक रंगों का चमकदार व मृदु पत्थर होता है। उपल में लाल रंग के चमकते हुए सितारे दिखाई देते हैं, जिन्हें रत्न पोल कहते हैं।
* उदाऊ - उदाऊ वैक्रान्त की जाति का पत्थर होता है।
* कर्पिशमणि - कर्पिशमणि पत्थर भूरे और बादामी रंग का होता है।
* कसौटी - कसौटी कृष्ण वर्ण का मुलायम पत्थर होता है। कसौटी पत्थर विशेष रूप से सोना परखने के काम आता है।
* कटैला - यह बैंगनी रंग का पारदर्शी पत्थर होता है।
* कांसला - यह मैलापन लिए सफेद रंग का तुरमसी जाति का पत्थर होता है।
* कुरण्ड - यह पत्थर मैलापन लिए गुलाबी रंग का होता है। इसका औचारों की धार तेज करने वाला सान भी बनाया जाता है तथा यह रत्न भी घिसने के काम में आता है।
* झरना - यह मिट्टी के वर्ण का गुम पत्थर होता है।
* टेढ़ी - यह पत्थर कठोर तथा अपारदर्शी होता है।
* डूर - यह गहरे कत्थई रंग का अपारदर्शी होता है।
* तिलियर - यह पत्थर तिल के समान कृष्ण वर्ण का होता है।
* तुरसावा - यह पत्थर नीले वर्ण का आभा लिए श्वेत हरे रंग का एवं लाल रंग का मुलायम हल्का और कांतियुक्त होता है।
* तृणमणि - यह लाल तथा पीले रंग का मृदु व पारदर्शक होता है। यह एक विशेष प्रकार के वृक्ष का गोंद होता है। इसे कुछ लोग कहरुआ भी कहते हैं।
* दाने फिरग - यह मैलापन लिए गहरे भूरे रंग का लहरदार व पारदर्शक पत्थर होता है।
* दाँतला - यह चिकना पानीदार पारदर्शक श्वेत वर्ण का तथा तुरमली की तरह हरे रंग का होता है, इसका उपयोग दन्त रोगों में किया जाता है।
* दारचना - यह कत्थई रंग का पीले तथा धूमिल रंग के छोटे-छोटे बिन्दुओं से युक्त होता है। इसका उपयोग खरल बनाने में होता है।
* दूरनजफ - यह गुम तथा धानी रंग का पत्थर होता है, इसका उपयोग फर्श बनाने में होता है।
* धुनला - यह धूम्रवर्ण का चमकदार व पारदर्शी पत्थर होता है। इस पत्थर को धूप के कीमती चश्मे व अनेकों प्रकार के नगीने बनाने के काम आता है।
* नरम - यह लाल रंग का हल्के गुलाब की पत्ती के रंग की आभा से युक्त होता है। इसे 'लालड़ी' भी कहते हैं।
* नीलोपल - यह गहरे नीले रंग का अपारदर्शी पत्थर होता है। इसमें कुछ सोने का भी अंश होता है। इसे राजावर्त, लाजवर्त, लाजवर्द भी कहते हैं।
* नीलम - यह गहरे नीले रंग का, हल्के नीले रंग का पारदर्शी, चमकदार व लोचदार रत्न है।
* पन्ना - यह रत्न हरे रंग का, हरा रंग लिए सफेद रंग का, नीम के पत्ती के रंग का, बिना तली का, लोचदार व पारदर्शी होता है, हरे रंग का पन्ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
* पनघन - यह हकीक जाति का पत्थर है तथा यह अनेक रंगों में प्राप्त होता है। इसका मध्य भाग खोखलापन लिए होता है, जिसमें सफेद रंग होता है। इसे खिलौने तथा मूर्तियों के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
* पारस - यह काले रंग का पत्थर है तथा यह दुर्लभ व बहुमूल्य होता है। आजकल प्रायः यह प्राप्त नहीं होता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि पारस पत्थर से यदि लोहे को स्पर्श कराया जाए तो लोहा सोने में बदल जाता है।
* पुखराज - यह रत्न पीले रंग, सफेद रंग तथा नीले रंगों में पाया जाता है।
* फाते जहर - यह बर्फ के समान श्वेत रंग का पत्थर होता है। इसे जहरीले व्रण को ठीक करने में प्रयोग किया जाता है।
* फीरोजा - यह आसमानी रंग का मृदु व चमकदार होता है।
* बसरो - यह मटमैले रंग का गुम पत्थर होता है।
* बांसी - यह काई के रंग के समान, मोटा पानीदार तथा मृदु होता है।
* बेरुंज - यह पीत वर्ण का समुद्री पानी के समान कांति वाला या हरिताभ पत्थर होता है।
* मरगज - यह हरे रंग का मृदु पत्थर होता है।
* मकड़ी - यह हरे-काले रंग का पत्थर होता है। इसके अंदर मकड़ी के जाले के समान दिखाई देता है।
- यह पत्थर सफेद रंग का संगमरमर के समान होता है।
 
 
==रत्न का महत्व==
==रत्न का महत्व==
रत्न की अंगूठी या लॉकेट पहने से व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति, राजनीति में सफलता, कोर्ट-कचहरी में सफलता, शत्रु नाश, कर्ज से मुक्ति, वैवाहिक ‍तालमेल में बाधा को दूर कर अनुकूल बनाना, संतान कष्ट, विद्या में रुकावटें, विदेश, आर्थिक उन्नति आदि में सफल‍ता मिलती है।  मानवीय उत्थान-पतन में इनकी अद्भुत भूमिका को आँकना आसान नहीं है; तभी तो भारतीय कोहनूर हीरा अपनी दमक एवं प्रभाव से विश्व स्तर पर श्रेष्ठता बनाए हुए है। वैसे तो रत्नों की संख्या 84 है, किंतु यहाँ पर हम केवल नव रत्नों के विषय में विवरण दे रहे हैं; क्योंकि ये नव रत्न नव ग्रहों के अनुरूप धारकों में विशेष प्रचलित हैं।  
रत्न की अंगूठी या लॉकेट पहने से व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति, राजनीति में सफलता, कोर्ट-कचहरी में सफलता, शत्रु नाश, कर्ज से मुक्ति, वैवाहिक ‍तालमेल में बाधा को दूर कर अनुकूल बनाना, संतान कष्ट, विद्या में रुकावटें, विदेश, आर्थिक उन्नति आदि में सफल‍ता मिलती है।  मानवीय उत्थान-पतन में इनकी अद्भुत भूमिका को आँकना आसान नहीं है; तभी तो भारतीय कोहनूर हीरा अपनी दमक एवं प्रभाव से विश्व स्तर पर श्रेष्ठता बनाए हुए है। वैसे तो रत्नों की संख्या 84 है, किंतु यहाँ पर हम केवल नव रत्नों के विषय में विवरण दे रहे हैं; क्योंकि ये नव रत्न नव ग्रहों के अनुरूप धारकों में विशेष प्रचलित हैं।  

07:12, 17 जुलाई 2010 का अवतरण

रत्न
Gemstone

कीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह कीमती होते है। रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटौती और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते है, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते है। रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है। ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रुप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षीत बनाते है। रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।

रत्न कोई भी हो अपने आपमें प्रभावशाली होता है। मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न शरीर की शोभा आभूषणों के रूप में तो बढ़ाते ही हैं और कुछ लोगों का मानना है की रत्न अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं। इन रत्नों से जहाँ स्वयं को सजाने-सँवारने की स्पर्धा लोगों में पाई जाती है वहीं संपन्नता के प्रतीक ये अनमोल रत्न अपने आकर्षण तथा उत्कृष्टता से सबको वशीभूत कर विश्व व्यापी से बखाने जाते हैं। रत्न और जवाहरात के नाम से जाने हुए ये खनिज पदार्थ विश्व की बहुमूल्य राशी हैं, जो युगों से अगणित मनों को मोहते हुए अपनी महत्ता बनाए हुए हैं।

ग्रन्थों के अनुसार

प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं। रत्नों के नामों की सूची निम्न प्रकार है -

  • अजूबा - अजूबा सफेद तथा खाकी रंग का व मृदु होता है्। अजूबा संगमरमर की ही एक जाति है।
  • अहवा - अहवा गुलाबी रंग का धब्बेदार तथा मृदु पत्थर होता है। अहवा को फर्श तथा खरल बनाने के काम में लिया जाता है।
  • अबरी - अबरी कृष्ण तथा पीत वर्ण का संगमरमर के सदृश पत्थर होता है।
  • अमलिया - अमलिया कृष्ण रंग (नीला रंग) का होता है तथा इसमें गुलाबी रंग की आभा होती है।
  • अलेमानी - अलेमानी भूरे रंग का पत्थर होता है। अलेमानी के ऊपर कृष्ण वर्ण की पतली रेखा होती है।
  • उपल - उपल कृष्ण, पीत, सफेद आदि अनेक रंगों का चमकदार व मृदु पत्थर होता है। उपल में लाल रंग के चमकते हुए सितारे दिखाई देते हैं, जिन्हें रत्न पोल कहते हैं।
  • उदाऊ - उदाऊ वैक्रान्त की जाति का पत्थर होता है।
  • कर्पिशमणि - कर्पिशमणि पत्थर भूरे और बादामी रंग का होता है।
  • कसौटी - कसौटी कृष्ण वर्ण का मुलायम पत्थर होता है। कसौटी पत्थर विशेष रूप से सोना परखने के काम आता है।
  • कटैला - यह बैंगनी रंग का पारदर्शी पत्थर होता है।
  • कांसला - यह मैलापन लिए सफेद रंग का तुरमसी जाति का पत्थर होता है।
  • कुरण्ड - यह पत्थर मैलापन लिए गुलाबी रंग का होता है। इसका औचारों की धार तेज करने वाला सान भी बनाया जाता है तथा यह रत्न भी घिसने के काम में आता है।
  • झरना - यह मिट्टी के वर्ण का गुम पत्थर होता है।
  • टेढ़ी - यह पत्थर कठोर तथा अपारदर्शी होता है।
  • डूर - यह गहरे कत्थई रंग का अपारदर्शी होता है।
  • तिलियर - यह पत्थर तिल के समान कृष्ण वर्ण का होता है।
  • तुरसावा - यह पत्थर नीले वर्ण का आभा लिए श्वेत हरे रंग का एवं लाल रंग का मुलायम हल्का और कांतियुक्त होता है।
  • तृणमणि - यह लाल तथा पीले रंग का मृदु व पारदर्शक होता है। यह एक विशेष प्रकार के वृक्ष का गोंद होता है। इसे कुछ लोग कहरुआ भी कहते हैं।
  • दाने फिरग - यह मैलापन लिए गहरे भूरे रंग का लहरदार व पारदर्शक पत्थर होता है।
  • दाँतला - यह चिकना पानीदार पारदर्शक श्वेत वर्ण का तथा तुरमली की तरह हरे रंग का होता है, इसका उपयोग दन्त रोगों में किया जाता है।
  • दारचना - यह कत्थई रंग का पीले तथा धूमिल रंग के छोटे-छोटे बिन्दुओं से युक्त होता है। इसका उपयोग खरल बनाने में होता है।
  • दूरनजफ - यह गुम तथा धानी रंग का पत्थर होता है, इसका उपयोग फर्श बनाने में होता है।
  • धुनला - यह धूम्रवर्ण का चमकदार व पारदर्शी पत्थर होता है। इस पत्थर को धूप के कीमती चश्मे व अनेकों प्रकार के नगीने बनाने के काम आता है।
  • नरम - यह लाल रंग का हल्के गुलाब की पत्ती के रंग की आभा से युक्त होता है। इसे 'लालड़ी' भी कहते हैं।
  • नीलोपल - यह गहरे नीले रंग का अपारदर्शी पत्थर होता है। इसमें कुछ सोने का भी अंश होता है। इसे राजावर्त, लाजवर्त, लाजवर्द भी कहते हैं।
  • नीलम - यह गहरे नीले रंग का, हल्के नीले रंग का पारदर्शी, चमकदार व लोचदार रत्न है।
  • पन्ना - यह रत्न हरे रंग का, हरा रंग लिए सफेद रंग का, नीम के पत्ती के रंग का, बिना तली का, लोचदार व पारदर्शी होता है, हरे रंग का पन्ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • पनघन - यह हकीक जाति का पत्थर है तथा यह अनेक रंगों में प्राप्त होता है। इसका मध्य भाग खोखलापन लिए होता है, जिसमें सफेद रंग होता है। इसे खिलौने तथा मूर्तियों के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
  • पारस - यह काले रंग का पत्थर है तथा यह दुर्लभ व बहुमूल्य होता है। आजकल प्रायः यह प्राप्त नहीं होता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि पारस पत्थर से यदि लोहे को स्पर्श कराया जाए तो लोहा सोने में बदल जाता है।
  • पुखराज - यह रत्न पीले रंग, सफेद रंग तथा नीले रंगों में पाया जाता है।
  • फाते जहर - यह बर्फ के समान श्वेत रंग का पत्थर होता है। इसे जहरीले व्रण को ठीक करने में प्रयोग किया जाता है।
  • फीरोजा - यह आसमानी रंग का मृदु व चमकदार होता है।
  • बसरो - यह मटमैले रंग का गुम पत्थर होता है।
  • बांसी - यह काई के रंग के समान, मोटा पानीदार तथा मृदु होता है।
  • बेरुंज - यह पीत वर्ण का समुद्री पानी के समान कांति वाला या हरिताभ पत्थर होता है।
  • मरगज - यह हरे रंग का मृदु पत्थर होता है।
  • मकड़ी - यह हरे-काले रंग का पत्थर होता है। इसके अंदर मकड़ी के जाले के समान दिखाई देता है।

- यह पत्थर सफेद रंग का संगमरमर के समान होता है।


रत्न का महत्व

रत्न की अंगूठी या लॉकेट पहने से व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति, राजनीति में सफलता, कोर्ट-कचहरी में सफलता, शत्रु नाश, कर्ज से मुक्ति, वैवाहिक ‍तालमेल में बाधा को दूर कर अनुकूल बनाना, संतान कष्ट, विद्या में रुकावटें, विदेश, आर्थिक उन्नति आदि में सफल‍ता मिलती है। मानवीय उत्थान-पतन में इनकी अद्भुत भूमिका को आँकना आसान नहीं है; तभी तो भारतीय कोहनूर हीरा अपनी दमक एवं प्रभाव से विश्व स्तर पर श्रेष्ठता बनाए हुए है। वैसे तो रत्नों की संख्या 84 है, किंतु यहाँ पर हम केवल नव रत्नों के विषय में विवरण दे रहे हैं; क्योंकि ये नव रत्न नव ग्रहों के अनुरूप धारकों में विशेष प्रचलित हैं।

नव ग्रहों और रत्नों की स्थिति

ग्रह संबंधित रत्न उपयुक्त धातु लग्न साशि स्वामी ग्रह अनुकूल
सुर्य माणिक्य स्वर्ण मेष मंगल मूँगा
चंद्र मोती चाँदी वृषभ शुक्र हीरा
मंगल मूँगा स्वर्ण मिथुन बुध पन्ना
बुध पन्ना स्वर्ण,काँसा कर्क चंद्र मोती
बृहस्पति पुखराज चाँदी सिंह सूर्य माणिक्य
शुक्र हीरा चाँदी कन्या बुध पन्ना
शनि नीलम लोहा,सीसा तुला शुक्र हीरा
राहु गोमेद चाँदी, सोना, ताँबा, लोहा, काँसा वृश्चिक मंगल मूँगा
केतु लहसुनियाँ चाँदी, सोना, ताँबा, लोहा, काँसा धनु गुरु पुखराज
मकर शनि नीलम
कुंभ शनि नीलम
मीन गुरु पुखराज


गोमेद

गोमेद राहु ग्रह का रत्न है। गोमेद रत्न पीताभ गहरे लाल रंग का होता है। नवरत्न में गोमेद भी होता है। गोमेद रत्न से राजनीति, जासूसी, जुआ-सट्टा, तंत्र-मंत्र से जुडे़ व्यक्ति आदि पहनते हैं। गोमेद राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करता है।

नीलम

नीलम शनि ग्रह का रत्न है। नीलम नीले रंग का एक पारदर्शी रत्न है। नवरत्न में नीलम भी होता है। यह रोगों को दूर करने, आयु एवं व्यापार तथा राजनीतिक सफलताओं के लिए उत्तम माना जाता है।

पन्ना

पन्ना बुध ग्रह का रत्न है। पन्ना हरे रंग का एक रत्न है। नवरत्न में पन्ना भी होता है। पन्ना धारण करने से बल, बुद्धि, विद्या तथा प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

पुखराज

पुखराज गुरु ग्रह का रत्न है। पुखराज एक मूल्यवान रत्न है। जो अति कठोर होता है। पुखराज रत्न सभी रत्नों का राजा है। इसे पहनने वाला प्रतिष्‍ठा पाता है व उच्च पद तक आसीन हो सकता है।

माणिक्य

माणिक्य सुर्य ग्रह का रत्न है। माणिक्य गुलाबी या लाल रंग का एक बहुमूल्य रत्न है। माणिक्य गुलाबी तथा सुर्ख लाल रंग का होता है तथा काले रंग का भी पाया जाता है। गुलाबी रंग का माणिक्य श्रेष्ठ माना गया है।

मूँगा

मूँगा मंगल ग्रह का रत्न है। मूँगा एक प्रकार का लाल रत्न है जो समुद्र में होता है। मूँगा वास्तव में समुद्री जीवों के कठोर कंकालों से निर्मित एक प्रकार का निक्षेप है। इसके लाल रंग के एक रत्न के रूप में धारण किया जाता है।

मोती

मोती चन्द्र ग्रह का रत्न है। मोती एक बहुमूल्य रत्न जो समुद्र की सीपी में से निकलता है और छूटा, गोल तथा सफेद होता है। मानसिक शांति, सुख, सौभाग्य तथा आयु वृद्धि देने वाला होता है।

लहसुनियाँ

लहसुनियाँ केतु ग्रह का रत्न है। लहसुनियाँ एक रत्न है जिस पर लहसुन जैसी धारियाँ होती हैं। यह बिल्ली के आँख के समान चमकदार होता है।

हीरा

हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है। हीरा एक प्रकार का बहुमूल्य रत्न जो बहुत चमकदार और बहुत कठोर होता है। हीरा रत्न अत्यन्त महंगा व दिखने में सुन्दर होता है।