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==राजनेता==
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लियाक़त अली ख़ाँ पेशे से बैरिस्टर थे और [[1923]] में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। पहले वह संयुक्त प्रांत की प्रांतीय परिषद के लिए और बाद में केन्द्रीय विधानसभा के लिए चुने गए। वह [[मुस्लिम लीग]] में शामिल हो गए और बाद में केन्द्रीय विधानसभा के लिए चूने गए। उन्होंने क्रमिक रूप से सम्मान अर्जित किया और बाद में पाकिस्तान के लिए संघर्ष के दौरान मुस्लिम समुदाय की प्रशंसा बटोरी और सफलता प्राप्त करने के बाद, जब वह [[जिन्ना]] के पहले गवर्नर-जनरल बने, तो प्रधानमंत्री पद पर उनकी उपलब्धियाँ असाधारण थीं। यदि जिन्ना ने पाकिस्तान की नींव रखी, तो लियाक़त अली ख़ाँ ने घरेलू और विदेश संबंधी मुख्य नीतियाँ बनाकर इसकी स्थापना की। बाद में इन्हीं नीतियों ने देश का मार्गदर्शन किया।  
लियाक़त अली ख़ाँ पेशे से बैरिस्टर थे और [[1923]] में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। पहले वह संयुक्त प्रांत की प्रांतीय परिषद के लिए और बाद में केन्द्रीय विधानसभा के लिए चुने गए। वह [[मुस्लिम लीग]] में शामिल हो गए और बाद में केन्द्रीय विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने क्रमिक रूप से सम्मान अर्जित किया और बाद में पाकिस्तान के लिए संघर्ष के दौरान मुस्लिम समुदाय की प्रशंसा बटोरी और सफलता प्राप्त करने के बाद, जब वह [[जिन्ना]] के पहले गवर्नर-जनरल बने, तो प्रधानमंत्री पद पर उनकी उपलब्धियाँ असाधारण थीं। यदि जिन्ना ने पाकिस्तान की नींव रखी, तो लियाक़त अली ख़ाँ ने घरेलू और विदेश संबंधी मुख्य नीतियाँ बनाकर इसकी स्थापना की। बाद में इन्हीं नीतियों ने देश का मार्गदर्शन किया।


==निधन==
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लियाक़त अली ख़ाँ

लियाक़त अली ख़ाँ (जन्म 1 अक्टूबर 1895, करनाल, भारत; मृत्यु 16 अक्टूबर 1951, रावलपिंडी, पाकिस्तान), पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे। लियाक़त अली ख़ाँ 14 अगस्त 1947–16 अक्टूबर 1951 तक प्रधानमंत्री का पद संभाला था।

जीवन परिचय

लियाक़त अली ख़ाँ का जन्म 1 अक्टूबर 1895 में हुआ था। वह एक ज़मींदार के बेटे थे और उनकी शिक्षा अलीगढ़, इलाहाबाद और एक्सेटर कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड में हुई थी।

राजनेता

लियाक़त अली ख़ाँ पेशे से बैरिस्टर थे और 1923 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। पहले वह संयुक्त प्रांत की प्रांतीय परिषद के लिए और बाद में केन्द्रीय विधानसभा के लिए चुने गए। वह मुस्लिम लीग में शामिल हो गए और बाद में केन्द्रीय विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने क्रमिक रूप से सम्मान अर्जित किया और बाद में पाकिस्तान के लिए संघर्ष के दौरान मुस्लिम समुदाय की प्रशंसा बटोरी और सफलता प्राप्त करने के बाद, जब वह जिन्ना के पहले गवर्नर-जनरल बने, तो प्रधानमंत्री पद पर उनकी उपलब्धियाँ असाधारण थीं। यदि जिन्ना ने पाकिस्तान की नींव रखी, तो लियाक़त अली ख़ाँ ने घरेलू और विदेश संबंधी मुख्य नीतियाँ बनाकर इसकी स्थापना की। बाद में इन्हीं नीतियों ने देश का मार्गदर्शन किया।

निधन

जिन्ना की मृत्यु के बाद लियाक़त अली ख़ां को क़ायदे मिल्लत (राष्ट्रनेता) कहा जाने लगा। 1951 में रावलपिंडी में उनकी हत्या कर दी गई।


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