"पीयूष गोयल (कलाकार)": अवतरणों में अंतर

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इस के आलावा [[संस्कृत]] में श्री दुर्गा सत्सती, [[अवधी भाषा|अवधी]] में सुन्दरकाण्ड, हिंदी व अंग्रेज़ी में श्रीसाईं चरित्र भी लिख चुके हैं।
इस के आलावा [[संस्कृत]] में श्री दुर्गा सत्सती, [[अवधी भाषा|अवधी]] में सुन्दरकाण्ड, हिंदी व अंग्रेज़ी में श्रीसाईं चरित्र भी लिख चुके हैं।
====उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता====
====उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता====
[[चित्र:Gitanjali-piyush-goyal.jpg|left|180px|thumb|मेंहदी कोन से लिखी 'गीतांजलि']]
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्‍क रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण (शीशे‌) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है। मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्‍क रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण (शीशे‌) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है। मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।
====सुई से लिखी मधुशाला====
====सुई से लिखी मधुशाला====
दादरी के पीयूष ने "एक ऐसा कारनामा" कर दिखाया है कि देखने वालों आँखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत हैI पीयूष ने पूछने पर बताया कि आपने सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों
दादरी के पीयूष ने "एक ऐसा कारनामा" कर दिखाया है कि देखने वालों आँखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत हैI पीयूष ने पूछने पर बताया कि आपने सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों
आया ? तो पीयूष ने बताया कि अक्सर मेरे से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढ़ने के लिए शीशे की जरुरत पड़ती है। पढ़ना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मैंने सूई से स्वर्गीय श्री [[हरिवंशराय बच्चन]] जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "[[मधुशाला]]" को करीब 2 से 2.5 महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढ़ने लिए शीशे की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे जैसे मोतियों से पृष्ठों को गुंथा गया हो, उभरे हुए हैं जिसको पढ़ने में आसानी रहती हैं और यह सूई से लिखी "मधुशाला" दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।
आया ? तो पीयूष ने बताया कि अक्सर मेरे से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढ़ने के लिए शीशे की जरुरत पड़ती है। पढ़ना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मैंने सूई से स्वर्गीय श्री [[हरिवंशराय बच्चन]] जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "[[मधुशाला]]" को करीब 2 से 2.5 महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढ़ने लिए शीशे की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे जैसे मोतियों से पृष्ठों को गुंथा गया हो, उभरे हुए हैं जिसको पढ़ने में आसानी रहती हैं और यह सूई से लिखी "मधुशाला" दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।
[[चित्र:Piyush-vani.jpg|thumb|पीयूष वाणी]]
====मेंहदी से लिखी गीतांजलि====  
====मेंहदी से लिखी गीतांजलि====  
पीयूष ने एक ऑर नया कारनामा कर दिखाया उन्होंने 1913 के साहित्य के [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता "[[रविन्द्रनाथ टैगोर]]" की विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि को "मेंहदी कोन" से लिखा है। उन्होंने [[8 जुलाई]] [[2012]] को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरु की और सभी 103 अध्याय [[5 अगस्त]] [[2012]] को पूरे कर दिए। इसको लिखने में 17 कोन व् दो नोट बुक प्रयोग में आयीं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, [[अवधी भाषा|अवधी ]] में [[सुन्दर काण्ड वा. रा.|सुन्दर कांड]], आरती संग्रह, [[हिंदी]] व् [[अंग्रेज़ी]] दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैंI और "[[रामचरितमानस]]" (''dohe, sorta and chopai'') को भी लिख चुके हैं। .
पीयूष ने एक ऑर नया कारनामा कर दिखाया उन्होंने 1913 के साहित्य के [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता "[[रविन्द्रनाथ टैगोर]]" की विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि को "मेंहदी कोन" से लिखा है। उन्होंने [[8 जुलाई]] [[2012]] को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरु की और सभी 103 अध्याय [[5 अगस्त]] [[2012]] को पूरे कर दिए। इसको लिखने में 17 कोन व् दो नोट बुक प्रयोग में आयीं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, [[अवधी भाषा|अवधी ]] में [[सुन्दर काण्ड वा. रा.|सुन्दर कांड]], आरती संग्रह, [[हिंदी]] व् [[अंग्रेज़ी]] दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैंI और "[[रामचरितमानस]]" (''dohe, sorta and chopai'') को भी लिख चुके हैं। .

09:01, 24 जनवरी 2014 का अवतरण

पीयूष गोयल

पीयूष गोयल (अंग्रेज़ी:Piyush Goel) का जन्म 10 फ़रवरी 1967 को माता रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ।

जीवन परिचय

नर न निराश करो मन को
नर न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो

इन लाइनों से प्रेरणा लेकर पले बढे है पीयूष गोयल पेशे से डिप्लोमा यांत्रिक इंजिनियर है और एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हैं। इन सबके अलावा पीयूष गोयल दुनिया की पहली मिरर इमेज पुस्तक श्रीमदभागवत गीता के रचनाकार हैं। पीयूष गोयल ने सभी 18 अध्याय 700 श्लोक अनुवाद सहित हिंदीअंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखा है। पीयूष गोयल ने इसके अलावा दुनिया की पहली सुई से मधुशाला भी लिखी है। पीयूष गोयल की 2 पुस्तकें प्रकशित हो चुकी हैं। पीयूष गोयल संग्रह के भी शौक़ीन हैं, उनके पास प्रथम दिवश आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगो के ऑटोग्राफ़ संग्रह (अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, राजीव गाँधी आदि) भी हैं। इस के आलावा संस्कृत में श्री दुर्गा सत्सती, अवधी में सुन्दरकाण्ड, हिंदी व अंग्रेज़ी में श्रीसाईं चरित्र भी लिख चुके हैं।

उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता

मेंहदी कोन से लिखी 'गीतांजलि'

आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्‍क रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण (शीशे‌) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है। मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।

सुई से लिखी मधुशाला

दादरी के पीयूष ने "एक ऐसा कारनामा" कर दिखाया है कि देखने वालों आँखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत हैI पीयूष ने पूछने पर बताया कि आपने सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? तो पीयूष ने बताया कि अक्सर मेरे से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढ़ने के लिए शीशे की जरुरत पड़ती है। पढ़ना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मैंने सूई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "मधुशाला" को करीब 2 से 2.5 महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढ़ने लिए शीशे की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे जैसे मोतियों से पृष्ठों को गुंथा गया हो, उभरे हुए हैं जिसको पढ़ने में आसानी रहती हैं और यह सूई से लिखी "मधुशाला" दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।

पीयूष वाणी

मेंहदी से लिखी गीतांजलि

पीयूष ने एक ऑर नया कारनामा कर दिखाया उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता "रविन्द्रनाथ टैगोर" की विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि को "मेंहदी कोन" से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरु की और सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए। इसको लिखने में 17 कोन व् दो नोट बुक प्रयोग में आयीं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दर कांड, आरती संग्रह, हिंदी व् अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैंI और "रामचरितमानस" (dohe, sorta and chopai) को भी लिख चुके हैं। .

कील से लिखी 'पीयूष वाणी'

अब पीयूष ने अपनी ही लिखी पुस्तक "पीयूष वाणी" को कील से ए-4 साईज की एलुमिनियम शीट पर लिखा है। पीयूष ने पूछने पर बताया कि आपने कील से क्यों लिखा है? तो उन्होंने बताया कि वे इससे पहले दुनिया की पहली सुई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "मधुशाला" को लिख चुके हैं। तो विचार आया कि क्यों न कील से भी प्रयास किया जाये सो उन्होंने ए-4 साइज के एलुमिनियम शीट पर लिख डाला।

अपने काम के प्रति लगन के मामले में पीयूष कहते है -"मधुमखियो को यह नहीं पता होता कि हम शहद बना रहे हैं वो तो सिर्फ अपना काम कर रहीं हैं।"


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