"अष्टयाम": अवतरणों में अंतर

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12:13, 21 मार्च 2014 का अवतरण

  1. वैष्णव मन्दिरों में आठ प्रहर की सेवा-पूजा का विधान 'अष्टयाम' कहा जाता है।
  2. वल्लभ सम्प्रदाय में मंगला, शृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, सन्ध्या-आरती तथा शयन के नाम से ये कीर्तन-सेवाएँ हैं।
  3. अष्टयाम हिन्दी का अपना विशिष्ट काव्य-रूप जो रीतिकाल में विशेष विकसित हुआ।
  4. इसमें कथा-प्रबन्ध नहीं होता परंतु कृष्ण या नायक की दिन-रात की चर्या-विधि का सरस वर्णन होता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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