"स्वतंत्रता दिवस": अवतरणों में अंतर

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स्‍वतंत्रता दिवस का एक और प्रतीक पतंग उड़ाने का खेल है। आकाश में ढेर सारी पतंगें दिखाई देती हैं जो लोग अपनी अपनी छतों से उड़ा कर भारत की स्‍वतंत्रता का समारोह मनाते हैं। अलग अलग प्रकार, आकार और रंगों की पतंगो तथा तिरंगे बाजार में उपलब्‍ध हैं। इस दिन पतंग उड़ाकर अपने संघर्ष के कौशलों का प्रदर्शन किया जाता है।
स्‍वतंत्रता दिवस का एक और प्रतीक पतंग उड़ाने का खेल है। आकाश में ढेर सारी पतंगें दिखाई देती हैं जो लोग अपनी अपनी छतों से उड़ा कर भारत की स्‍वतंत्रता का समारोह मनाते हैं। अलग अलग प्रकार, आकार और रंगों की पतंगो तथा तिरंगे बाजार में उपलब्‍ध हैं। इस दिन पतंग उड़ाकर अपने संघर्ष के कौशलों का प्रदर्शन किया जाता है।
==देशभक्ति का प्रदर्शन==
==देशभक्ति का प्रदर्शन==
[[चित्र:Red-Fort-Delhi.jpg|thumb|300px|स्वतंत्रता दिवस के दिन [[लाल क़िला|लाल क़िले]] पर [[राष्‍ट्रीय ध्‍वज|तिरंगा झण्‍डा]] लहराया जाता है। <br />On 15<sup>th</sup> August Our National Flag Waved On Red Fort]]  
[[चित्र:Red-Fort-Delhi.jpg|thumb|300px|स्वतंत्रता दिवस के दिन [[लाल क़िला|लाल क़िले]] पर [[राष्‍ट्रीय ध्‍वज|तिरंगा झण्‍डा]] लहराया जाता है। <br />On 15<sup>th</sup> August Our National Flag Hoisted On Red Fort]]  
भारत एक समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत वाला देश है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां के नागरिक देश को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की वचनबद्धता रखते हैं जहां तक इसके संस्‍थापकों ने इसे पहुंचाने की कल्‍पना की। जैसे ही आसमान में तिरंगा लहराता है, प्रत्‍येक नागरिक देश की शान को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करने का वचन देता है और भारत को एक ऐसा राष्‍ट्र बनाने का लक्ष्‍य पूरा करने का प्रण लेता है जो मानवीय मूल्‍यों के लिए सदैव अटल है।
भारत एक समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत वाला देश है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां के नागरिक देश को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की वचनबद्धता रखते हैं जहां तक इसके संस्‍थापकों ने इसे पहुंचाने की कल्‍पना की। जैसे ही आसमान में तिरंगा लहराता है, प्रत्‍येक नागरिक देश की शान को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करने का वचन देता है और भारत को एक ऐसा राष्‍ट्र बनाने का लक्ष्‍य पूरा करने का प्रण लेता है जो मानवीय मूल्‍यों के लिए सदैव अटल है।


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चित्र:First-Independence-Day-5.jpg|स्वतंत्रता दिवस मनाते भारतीय, [[15 अगस्त]] [[1947]], [[राजपथ]], [[नई दिल्ली]]<br />Independence Day celebrations, 15<sup>th</sup> August 1947, Rajpath, New Delhi.
चित्र:First-Independence-Day-5.jpg|स्वतंत्रता दिवस मनाते भारतीय, [[15 अगस्त]] [[1947]], [[राजपथ]], [[नई दिल्ली]]<br />Independence Day celebrations, 15<sup>th</sup> August 1947, Rajpath, New Delhi.
चित्र:First-Independence-Day-7.jpg|स्वतंत्रता दिवस मनाते भारतीय, [[15 अगस्त]] [[1947]], [[राजपथ]], [[नई दिल्ली]]<br />Independence Day celebrations, 15<sup>th</sup> August 1947, Rajpath, New Delhi.
चित्र:First-Independence-Day-7.jpg|स्वतंत्रता दिवस मनाते भारतीय, [[15 अगस्त]] [[1947]], [[राजपथ]], [[नई दिल्ली]]<br />Independence Day celebrations, 15<sup>th</sup> August 1947, Rajpath, New Delhi.
चित्र:Vande-Mataram.jpg|[[15 अगस्त]] पर हमारा राष्ट्र-गीत [[वन्दे मातरम्]] भी गाया जाता है।<br />On 15<sup>th</sup> August  Our National Song Vande Mataram Sing Also
चित्र:Parade-On-Motor-Cycle.JPG|[[15 अगस्त]] के दिन मोटर साइकिल पर परेड
चित्र:Parade-On-Motor-Cycle.JPG|[[15 अगस्त]] के दिन मोटर साइकिल पर परेड<br />On 15<sup>th</sup> August  Parade On Motor Cycle
चित्र:Children-Performing.jpg|स्वतंत्रता दिवस पर नाटक पेश करते बच्चे
चित्र:Children-Performing.jpg|स्वतंत्रता दिवस पर नाटक पेश करते बच्चे<br />On Independence Day Children Performing Drama
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==सम्बंधित लिंक==
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12:11, 3 अगस्त 2010 का अवतरण

तिरंगा
तिरंगा
15 अगस्त 1947 स्वतंत्रता दिवस का अवसर
15th August 1947 Independence Day

सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महायज्ञ का प्रारम्भ महर्षि दयानन्द सरस्वती ने प्रारम्भ किया और अपने प्राणों को भारत माता पर मंगल पांडे ने न्यौछावर किया और देखते ही देखते यह चिंगारी एक महासंग्राम में बदल गयी जिसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब, 'सरफरोशी की तमन्ना' लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक, चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव आदि देश के लिए शहीद हो गए। तिलक ने स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का सिंहनाद किया और सुभाष चंद्र बोस ने कहा - तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।

'अहिंसा' और 'असहयोग' लेकर महात्मा गाँधी और ग़ुलामी की जंज़ीरों को तोड़ने के लिए 'लौह पुरूष' सरदार पटेल ने जैसे महापुरूषों ने कमर कस ली। 90 वर्षों लम्बे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को 'भारत को स्वतंत्रता' का वरदान मिला। 15 अगस्त भारत का स्वतंत्रता दिवस है।

इस वर्ष भारत ब्रिटिश शासन से आज़ादी की 62वीं वर्षगांठ मना रहा है। स्‍वतंत्रता दिवस पर हम अपने उन महान राष्‍ट्रीय नायकों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं जिन्‍होंने भारत को आजाद कराने के लिए बलिदान दिए और अपना जीवन न्‍यौछावर कर दिया।

भारत की आज़ादी का संग्राम बल से नहीं वरन सत्‍य और अहिंसा के सिद्धांत के आधार पर विजित की गई। इतिहास में स्‍वतंत्रता के संघर्ष का एक अनोखा और अनूठा अभियान था जिसे विश्व भर में प्रशंसा मिली।

स्‍वतंत्रता की राह

15 अगस्त 1947 स्वतंत्रता दिवस का अवसर
15th August 1947 Independence Day

भारत की आज़ादी का संघर्ष मेरठ में सिपाहियों की बग़ावत के साथ 1857 में प्रारम्भ हुआ। 20वीं शताब्‍दी में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस और अन्‍य राजनैतिक संगठनों ने महात्मा गाँधी के नेतृत्‍व में एक देशव्‍यापी आंदोलन चलाया। महात्‍मा गांधी ने हिंसापूर्ण संघर्ष के विपरीत 'सविनय अवज्ञा अहिंसा आंदोलन' को सशक्‍त समर्थन दिया। उनके द्वारा विरोध प्रदर्शन के लिए मार्च, प्रार्थना सभाएं, विदेशी वस्‍तुओं का बहिष्‍कार और भारतीय वस्‍तुओं को प्रोत्‍साहन देना आदि अचूक हथियार थे।

इन रास्तों को भारतीय जनता ने समर्थन दिया और स्‍थानीय अभियान 'राष्‍ट्रीय आंदोलन' में बदल गए। इनमें से कुछ मुख्‍य आयोजन - 'असहयोग आंदोलन', 'दांडी मार्च', 'नागरिक अवज्ञा अभियान' और 'भारत छोड़ो आंदोलन' थे। शीघ्र ही यह स्‍पष्‍ट हो गया कि भारत अब उपनिवेशवादी शक्तियों के नियंत्रण में नहीं रहेगा और ब्रिटिश शासकों ने भारतीय नेताओं की मांग को मान लिया। यह निर्णय लिया गया कि यह अधिकार भारत को सौंप दिया जाए और 15 अगस्‍त 1947 को भारत को यह अधिकार सौंप दिया गया।

स्वतंत्र भारत की घोषणा

15 अगस्त 1947 स्वतंत्रता दिवस पर जवाहरलाल नेहरू, लॉर्ड माउन्ट बैटन और एडविना

14 अगस्‍त 1947 को रात को 11.00 बजे संघटक सभा द्वारा भारत की स्‍वतंत्रता को मनाने की एक बैठक आरंभ हुई, जिसमें अधिकार प्रदान किए जा रहे थे। जैसे ही घड़ी में रात के 12.00 बजे भारत को आज़ादी मिल गई और भारत एक स्‍वतंत्र देश बन गया। तत्‍कालीन स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण 'नियति के साथ भेंट' दिया।

'“जैसे ही मध्‍य रात्रि हुई, और जब दुनिया सो रही थी, भारत जाग रहा होगा और अपनी आजादी की ओर बढ़ेगा। एक ऐसा पल आता है जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर जाते हैं. . . क्‍या हम इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पर्याप्‍त बहादुर और बुद्धिमान हैं और हम भविष्‍य की चुनौती को स्‍वीकार करने के लिए तैयार हैं?”' - पंडित जवाहरलाल नेहरू

इसके बाद तिरंगा झण्‍डा फहराया गया और लाल क़िले की प्राचीर से राष्ट्रीय गान गाया गया।

आयोजन

प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर आयोजन
First Independence Day Events

स्‍वतंत्रता दिवस समीप आते ही चारों ओर खुशियां फैल जाती है। सभी प्रमुख शासकीय भवनों को रोशनी से सजाया जाता है। तिरंगा झण्‍डा घरों तथा अन्‍य भवनों पर फहराया जाता है। स्‍वतंत्रता दिवस, 15 अगस्‍त एक राष्‍ट्रीय अवकाश है, इस दिन का अवकाश प्रत्‍येक नागरिक को बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदान को याद करके मनाना चाहिए।

स्‍वतंत्रता दिवस के एक सप्‍ताह पहले से ही विशेष प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा देश भक्ति की भावना को प्रोत्‍साहन दिया जाता है। रेडियो स्‍टेशनों और टेलीविज़न चैनलों पर इस विषय से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। शहीदों की कहानियों के बारे में फिल्‍में दिखाई जाती है और राष्‍ट्रीय भावना से संबंधित कहानियां और रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।

स्वतंत्रता की पूर्व संध्या

15 अगस्त 1947 का अख़बार
Newspaper Of 15th August 1947

राष्‍ट्रपति द्वारा स्‍वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्र के नाम संदेश प्रसारित किया जाता है। इसके बाद अगले दिन लाल क़िले से तिरंगा झण्‍डा फहराया जाता है। राज्‍य स्‍तर पर विशेष स्‍वतंत्रता दिवस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें झण्‍डा फहराने के आयोजन, मार्च पास्‍ट और सांस्‍कृतिक आयोजन शामिल हैं। इन आयोजनों को राज्‍यों की राजधानियों में आयोजित किया जाता है और मुख्‍यमंत्री इन कार्यक्रमों की अध्‍यक्षता करते हैं। छोटे पैमानों पर शैक्षिक संस्‍थानों, आवास संघों, सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों और राजनैतिक संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

प्रभातफेरी

स्कूलों और संस्थाओं द्वारा प्रात: ही प्रभातफेरी निकाली जाती हैं जिनमें बच्चे, युवक और बूढ़े देशभक्ति के गाने गाते हैं और उन वीरों की याद में नुक्क्ड़ नाटक और प्रशस्ति गान करते हैं।

स्‍वतंत्रता दिवस का प्रतीक पतंग

स्‍वतंत्रता दिवस का एक और प्रतीक पतंग उड़ाने का खेल है। आकाश में ढेर सारी पतंगें दिखाई देती हैं जो लोग अपनी अपनी छतों से उड़ा कर भारत की स्‍वतंत्रता का समारोह मनाते हैं। अलग अलग प्रकार, आकार और रंगों की पतंगो तथा तिरंगे बाजार में उपलब्‍ध हैं। इस दिन पतंग उड़ाकर अपने संघर्ष के कौशलों का प्रदर्शन किया जाता है।

देशभक्ति का प्रदर्शन

स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल क़िले पर तिरंगा झण्‍डा लहराया जाता है।
On 15th August Our National Flag Hoisted On Red Fort

भारत एक समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत वाला देश है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां के नागरिक देश को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की वचनबद्धता रखते हैं जहां तक इसके संस्‍थापकों ने इसे पहुंचाने की कल्‍पना की। जैसे ही आसमान में तिरंगा लहराता है, प्रत्‍येक नागरिक देश की शान को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करने का वचन देता है और भारत को एक ऐसा राष्‍ट्र बनाने का लक्ष्‍य पूरा करने का प्रण लेता है जो मानवीय मूल्‍यों के लिए सदैव अटल है।

जय हिंद

वीथिका

सम्बंधित लिंक

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