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| |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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| <center>[[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ.]]</center>
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| [[चित्र:Hathkadi.jpg|right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014]]
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| अरे भाई पुलिस को पहले से पता होना चाहिए कि तुम कब, कहाँ और किस टाइम पर वारदात करने वाले हो... ये क्या कि चाहे जब मुँह उठाकर चल दिए वारदात करने..." टनकिया ने अफ़सोस ज़ाहिर किया और थोड़ा रुककर फिर दार्शनिक अंदाज़ में बोला- "अगर क्रिमनल, पुलिस को बता कर क्राइम करे तो भई हम भी बीस तरह की फ़ॅसेलिटी दे सकते लेकिन क्या करें समझ में ही नहीं आता आजकल के नए लड़कों को... देख लेना सरकार को ही एकदिन ऐसा क़ानून बनाना पड़ेगा... हमें भी तो राइट ऑफ़ इनफ़ॉरमेशन का फ़ायदा मिलना चाहिए। [[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|...पूरा पढ़ें]]
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|जनतंत्र की जाति]] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|असंसदीय संसद]] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 28 जनवरी 2014|किसी देश का गणतंत्र दिवस]]
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