"तुम तूफ़ान समझ पाओगे ? -हरिवंश राय बच्चन": अवतरणों में अंतर

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<poem>तुम तूफान समझ पाओगे?
<poem>तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
गीले बादल, पीले रजकण,
गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?
लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?


गंध-भरा यह मंद पवन था,
गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?


तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफान समझ पाओगे?</poem>
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?</poem>
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10:01, 22 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

तुम तूफ़ान समझ पाओगे ? -हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन
कवि हरिवंश राय बच्चन
जन्म 27 नवंबर, 1907
मृत्यु 18 जनवरी, 2003 ई.
मृत्यु स्थान मुंबई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, तेरा हार, निशा निमंत्रण, मैकबेथ, जनगीता, दो चट्टाने
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ

तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?


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