"इरावती नदी": अवतरणों में अंतर
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यह नदी [[कुशीनगर]] के निकट बहती थी जैसा कि [[बुद्धचरित]] 25, 53 के उल्लेख से सूचित होता है- 'इस तरह कुशीनगर आते समय चुंद के साथ तथागत ने इरावती नदी पार की और स्वयं उस नगर के एक उपवन में ठहरे जहाँ कमलों से सुशोभित एक प्रशान्त सरोवर स्थित था'। [[अचिरावती नदी|अचिरावती]] या [[अजिरावती नदी|अजिरावती]] इरावती के वैकल्पिक रूप हो सकते हैं। बुद्धचरित के चीनी-अनुवाद में इस नदी के लिए कुकु शब्द है जो [[पाली भाषा|पाली]] के कुकुत्था का चीनी रूप है। बुद्धचरित 25, 54 में वर्णन है कि निर्वाण के पूर्व [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] ने [[हिरण्यवती नदी]] में स्थान किया था जो कुशीनगर के उपवन के समीप बहती थी। यह इरावती या राप्ती की ही एक शाखा जान पड़ती है। स्मिथ के विचार में यह गंडक है जो ठीक नहीं जान पड़ता। बुद्धचरित 27, 70 के अनुसार बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् मल्लों ने उनके शरीर के दाहसंस्कार के लिए हिरण्यवती नदी को पार करके मुकुटचैत्य<ref>देखें मृकुटचैत्यवंधन</ref> के नीचे चिता बनाई थी। संभव है [[सभा पर्व महाभारत|महाभारत सभा]] 9, 22 का वारवत्या भी राप्ती ही हो। | यह नदी [[कुशीनगर]] के निकट बहती थी जैसा कि [[बुद्धचरित]] 25, 53 के उल्लेख से सूचित होता है- 'इस तरह कुशीनगर आते समय चुंद के साथ तथागत ने इरावती नदी पार की और स्वयं उस नगर के एक उपवन में ठहरे जहाँ कमलों से सुशोभित एक प्रशान्त सरोवर स्थित था'। [[अचिरावती नदी|अचिरावती]] या [[अजिरावती नदी|अजिरावती]] इरावती के वैकल्पिक रूप हो सकते हैं। बुद्धचरित के चीनी-अनुवाद में इस नदी के लिए कुकु शब्द है जो [[पाली भाषा|पाली]] के कुकुत्था का चीनी रूप है। बुद्धचरित 25, 54 में वर्णन है कि निर्वाण के पूर्व [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] ने [[हिरण्यवती नदी]] में स्थान किया था जो कुशीनगर के उपवन के समीप बहती थी। यह इरावती या राप्ती की ही एक शाखा जान पड़ती है। स्मिथ के विचार में यह गंडक है जो ठीक नहीं जान पड़ता। बुद्धचरित 27, 70 के अनुसार बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् मल्लों ने उनके शरीर के दाहसंस्कार के लिए हिरण्यवती नदी को पार करके मुकुटचैत्य<ref>देखें मृकुटचैत्यवंधन</ref> के नीचे चिता बनाई थी। संभव है [[सभा पर्व महाभारत|महाभारत सभा]] 9, 22 का '[[वारवत्या]]' भी [[राप्ती नदी|राप्ती]] ही हो। | ||
==ब्रह्मदेश की इरावदी== | ==ब्रह्मदेश की इरावदी== | ||
इरावदी नाम प्राचीन भारतीय औपनिवेशिकों का दिया हुआ है। | इरावदी नाम प्राचीन भारतीय औपनिवेशिकों का दिया हुआ है। |
06:26, 29 अक्टूबर 2014 का अवतरण
इरावती पंजाब की प्रसिद्ध नदी रावी है। रावी इरावती का ही अपभ्रंश है। इरावती का वैदिक नाम परुष्णी था। 'इरा' का अर्थ मदिरा या स्वादिष्ट पेय है। महाभाष्य 2,1,2 में इरावती का उल्लेख है। महाभारत भीष्म पर्व 9,16 में इसको वितस्ता और अन्य नदियों के साथ परिगणित किया गया है-
- 'इरावतीं वितस्तां च पयोष्णीं देवकामपि'।
सभा पर्व महाभारत 9,19 में भी इसी प्रकार उल्लेख है-
- 'इरावती वितस्ता च सिंधुर्देवनदी तथा।'
ग्रीक लेखकों ने इरावती को हियारावटाज लिखा है।
- इरावती पूर्व उत्तर प्रदेश की राप्ती का भी प्राचीन नाम इरावती था।
ऐतिहासिक उल्लेख
यह नदी कुशीनगर के निकट बहती थी जैसा कि बुद्धचरित 25, 53 के उल्लेख से सूचित होता है- 'इस तरह कुशीनगर आते समय चुंद के साथ तथागत ने इरावती नदी पार की और स्वयं उस नगर के एक उपवन में ठहरे जहाँ कमलों से सुशोभित एक प्रशान्त सरोवर स्थित था'। अचिरावती या अजिरावती इरावती के वैकल्पिक रूप हो सकते हैं। बुद्धचरित के चीनी-अनुवाद में इस नदी के लिए कुकु शब्द है जो पाली के कुकुत्था का चीनी रूप है। बुद्धचरित 25, 54 में वर्णन है कि निर्वाण के पूर्व गौतम बुद्ध ने हिरण्यवती नदी में स्थान किया था जो कुशीनगर के उपवन के समीप बहती थी। यह इरावती या राप्ती की ही एक शाखा जान पड़ती है। स्मिथ के विचार में यह गंडक है जो ठीक नहीं जान पड़ता। बुद्धचरित 27, 70 के अनुसार बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् मल्लों ने उनके शरीर के दाहसंस्कार के लिए हिरण्यवती नदी को पार करके मुकुटचैत्य[1] के नीचे चिता बनाई थी। संभव है महाभारत सभा 9, 22 का 'वारवत्या' भी राप्ती ही हो।
ब्रह्मदेश की इरावदी
इरावदी नाम प्राचीन भारतीय औपनिवेशिकों का दिया हुआ है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ देखें मृकुटचैत्यवंधन
बाहरी कड़ियाँ
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