"इतिहास सामान्य ज्ञान 8": अवतरणों में अंतर

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-[[भोज]]
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-[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]]
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||[[चित्र:Hemchandra-Vikramaditya.jpg|right|100px|हेमचन्द्र विक्रमादित्य]]'हेमू' [[भारत]] का अंतिम [[हिन्दू]] राजा था। "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला [[हेमू]] अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था। [[हुमायूँ]] की मृत्यु के बाद हेमू ने [[दिल्ली]] की तरफ़ रुख किया और रास्ते में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[मध्य प्रदेश]] की कई रियासतों को फ़तेह किया। [[आगरा]] में [[मुग़ल]] सेनानायक इस्कंदर ख़ान उज़्बेग को जब पता चला की हेमू उनकी तरफ़ आ रहा है तो वह बिना युद्ध किये ही मैदान छोड़ कर भाग गया। [[7 अक्टूबर]], 1556 ई. में हेमू ने तरदी बेग ख़ान को हराकर दिल्ली पर विजय हासिल की। यहीं हेमू का राज्याभिषेक हुआ और उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि से नवाजा गया। लगभग तीन शताब्दियों के [[मुस्लिम]] शासन के बाद पहली बार कोई [[हिन्दू]] दिल्ली का राजा बना था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[हेमू]]
||[[चित्र:Hemchandra-Vikramaditya.jpg|right|100px|हेमचन्द्र विक्रमादित्य]]'हेमू' [[भारत]] का अंतिम [[हिन्दू]] राजा था। "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला [[हेमू]] अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था। [[हुमायूँ]] की मृत्यु के बाद हेमू ने [[दिल्ली]] की तरफ़ रुख किया और रास्ते में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[मध्य प्रदेश]] की कई रियासतों को फ़तेह किया। [[आगरा]] में [[मुग़ल]] सेनानायक इस्कंदर ख़ान उज़्बेग को जब पता चला कि हेमू उनकी तरफ़ आ रहा है तो वह बिना युद्ध किये ही मैदान छोड़ कर भाग गया। [[7 अक्टूबर]], 1556 ई. में हेमू ने तरदी बेग ख़ान को हराकर दिल्ली पर विजय हासिल की। यहीं हेमू का राज्याभिषेक हुआ और उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि से नवाजा गया। लगभग तीन शताब्दियों के [[मुस्लिम]] शासन के बाद पहली बार कोई [[हिन्दू]] दिल्ली का राजा बना था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[हेमू]]


{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
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-यज्ञकर्ता या [[पुरोहित]]
-यज्ञकर्ता या [[पुरोहित]]
-विद्धान
-विद्धान
||'आर्य' प्रजाति की आदि भूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषा वैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: [[भाषा]] और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलने वालों के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। [[संस्कृत भाषा]] के शब्द 'आर्य' का अर्थ होता था- '[[कुलीन]] और सभ्य'। इसलिये पुराने इतिहारकारों, जैसे [[मैक्समूलर]] ने आदिम और आधुनिक हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलने वाली जातियों का नाम "[[आर्य]]" रख दिया। ये नाम यूरोपीय लोगों को क़ाफ़ी पसन्द आया और जल्द ही सभी यूरोप वासियों ने अपने-अपने देशों को प्रचीन आर्यों की जन्मभूमि बताना शुरू कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[आर्य]]
||'आर्य' प्रजाति की आदि भूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषा वैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: [[भाषा]] और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलने वालों के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। [[संस्कृत भाषा]] के शब्द 'आर्य' का अर्थ होता था- '[[कुलीन]] और सभ्य'। इसलिये पुराने इतिहासकारों, जैसे [[मैक्समूलर]] ने आदिम और आधुनिक हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलने वाली जातियों का नाम "[[आर्य]]" रख दिया। ये नाम यूरोपीय लोगों को काफ़ी पसन्द आया और जल्द ही सभी यूरोप वासियों ने अपने-अपने देशों को प्रचीन आर्यों की जन्मभूमि बताना शुरू कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[आर्य]]


{निम्नलिखित में से किस फ़सल का ज्ञान [[वैदिक काल]] के लोगों को नहीं था?
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+चार
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-आठ
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||[[चित्र:Ved-merge.jpg|right|100px|वेद]]'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए [[वेद|वेदों]] को 'श्रुति' भी कहा जाता है। चार वेदों में [[सामवेद]] का नाम तीसरे क्रम में आता है। लेकिन [[ऋग्वेद]] के एक मन्त्र में ऋग्वेद से भी पहले सामवेद का नाम आने से कुछ विद्वान वेदों को एक के बाद एक रचना न मानकर प्रत्येक का स्वतंत्र रचना मानते हैं। सामवेद में गेय छंदों की अधिकता है, जिनका गान [[यज्ञ|यज्ञों]] के समय होता था। यजुर्वेद में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं। यह वेद मुख्यतः [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के लिये होता था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[वेद]]
||[[चित्र:Ved-merge.jpg|right|100px|वेद]]'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए [[वेद|वेदों]] को 'श्रुति' भी कहा जाता है। चार वेदों में [[सामवेद]] का नाम तीसरे क्रम में आता है। लेकिन [[ऋग्वेद]] के एक मन्त्र में ऋग्वेद से भी पहले सामवेद का नाम आने से कुछ विद्वान वेदों को एक के बाद एक रचना न मानकर प्रत्येक को स्वतंत्र रचना मानते हैं। सामवेद में गेय [[छंद|छंदों]] की अधिकता है, जिनका गान [[यज्ञ|यज्ञों]] के समय होता था। [[यजुर्वेद]] में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं। यह वेद मुख्यतः [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के लिये होता था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[वेद]]


{[[भारत]] के राजचिह्न में प्रयुक्त होने वाला शब्द '[[सत्यमेव जयते]]' किस [[उपनिषद]] से लिया गया है?
{[[भारत]] के राजचिह्न में प्रयुक्त होने वाला शब्द '[[सत्यमेव जयते]]' किस [[उपनिषद]] से लिया गया है?
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-ईश उपनिषद
-ईश उपनिषद
-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
||'मुण्डकोपनिषद' [[अथर्ववेद]] की शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर ब्रह्म ॐ का विशद विवेचन किया गया है। इसे 'मन्त्रोपनिषद' नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ [[मन्त्र]] हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- 'मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला'। इस उपनिषद में [[अंगिरा|महर्षि अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-[[अपरा विद्या|अपरा]]' विद्या का ज्ञान कराया है। [[भारत]] के [[राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक|राष्ट्रीय चिह्न]] में अंकित शब्द 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद से ही लिये गए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मुण्डकोपनिषद]]
||'मुण्डकोपनिषद' [[अथर्ववेद]] की शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर ब्रह्म [[]] का विशद विवेचन किया गया है। इसे 'मन्त्रोपनिषद' नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ [[मन्त्र]] हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- 'मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला'। इस उपनिषद में [[अंगिरा|महर्षि अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-[[अपरा विद्या|अपरा]]' विद्या का ज्ञान कराया है। [[भारत]] के [[राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक|राष्ट्रीय चिह्न]] में अंकित शब्द 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद से ही लिये गए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मुण्डकोपनिषद]]
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1 प्रसिद्ध विद्वान अश्वघोष किसके शासनकाल में हुआ?

अशोक
हर्षवर्धन
कनिष्क
पुष्यमित्र शुंग

2 कुषाण वंश के वृक्ष का पता चलता है-

राबाटक अभिलेख से
रोसेटा अभिलेख से
हाथी गुम्फा अभिलेख से
शोडाष अभिलेख से

4 शेरशाह के बाद और अकबर से पहले दिल्ली पर राज करने वाले हिन्दू राजा का नाम क्या था?

पृथ्वीराज
हेमू
भोज
पुष्यमित्र

5 'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?

वीर या योद्धा
श्रेष्ठ या कुलीन
यज्ञकर्ता या पुरोहित
विद्धान

6 निम्नलिखित में से किस फ़सल का ज्ञान वैदिक काल के लोगों को नहीं था?

जौ
गेहूँ
चावल
तम्बाकू

7 निम्नलिखित में से वैदिक गणित का महत्त्वपूर्ण अंग कौन है?

शतपथ ब्राह्मण
अथर्ववेद
शुल्व सूत्र
छांदोग्य उपनिषद

8 किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई हैं?

ऋग्वेद
यजुर्वेद
अथर्ववेद
सामवेद

9 वेदों की संख्या कितनी है?

दो
तीन
चार
आठ

10 भारत के राजचिह्न में प्रयुक्त होने वाला शब्द 'सत्यमेव जयते' किस उपनिषद से लिया गया है?

मुण्डकोपनिषद
कठोपनिषद
ईश उपनिषद
बृहदारण्यकोपनिषद

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