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'''वेंकटाचल''' अथवा 'वेंकटरमनाचलम्' अथवा 'शेषाचल' तिरुमला पहाड़ी की सातवीं चोटी का नाम है, जो समुद्र तल से लगभग 2500 फुट ऊँची है। | '''वेंकटाचल''' अथवा 'वेंकटरमनाचलम्' अथवा 'शेषाचल' तिरुमला पहाड़ी की सातवीं चोटी का नाम है, जो [[आंध्र प्रदेश]] में स्थित है। यह चोटी समुद्र तल से लगभग 2500 फुट ऊँची है। | ||
*यहाँ बालाजी का प्राचीन मंदिर है। यह पत्थर की बनी तीन दीवारों से परिवृत है और तीन ही गोपुर इसको सुशोभित करते हैं। बीच में सशिखर मंदिर है, जिसका प्रांगण 410 फुट लंबा और 260 फुट चौड़ा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=870|url=}}</ref> | *यहाँ बालाजी का प्राचीन मंदिर है। यह पत्थर की बनी तीन दीवारों से परिवृत है और तीन ही गोपुर इसको सुशोभित करते हैं। बीच में सशिखर मंदिर है, जिसका प्रांगण 410 फुट लंबा और 260 फुट चौड़ा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=870|url=}}</ref> | ||
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10:13, 21 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
वेंकटाचल अथवा 'वेंकटरमनाचलम्' अथवा 'शेषाचल' तिरुमला पहाड़ी की सातवीं चोटी का नाम है, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह चोटी समुद्र तल से लगभग 2500 फुट ऊँची है।
- यहाँ बालाजी का प्राचीन मंदिर है। यह पत्थर की बनी तीन दीवारों से परिवृत है और तीन ही गोपुर इसको सुशोभित करते हैं। बीच में सशिखर मंदिर है, जिसका प्रांगण 410 फुट लंबा और 260 फुट चौड़ा है।[1]
- मंदिर में कई प्रवेश द्वारों के भीतर से पहुंचकर सात फुट ऊँची बालाजी की पाषाण मूर्ति दृष्टिगोचर होती है। बालाजी को दक्षिण भारत के लोग 'वेकटेश' कहते हैं।
- पहाड़ी पर बालाजी के मंदिर से तीन मील की दूरी पर पापनाशिनी गंगा और दो मील पर कपिलधारा स्थित है।
- 'श्रीमद्भागवत'[2] में वेंकटाचल का उल्लेख है-
'श्रीशैलो वेंकटों महेंद्रो वारिधारो विंध्यः।'
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