"हिन्दी सामान्य ज्ञान 36": अवतरणों में अंतर
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-[[नागरी प्रचारिणी पत्रिका]] | -[[नागरी प्रचारिणी पत्रिका]] | ||
{छायावाद के प्रवर्तक का नाम है- | {[[छायावाद]] के प्रवर्तक का नाम है- | ||
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-[[सुमित्रानंदन पंत]] | -[[सुमित्रानंदन पंत]] | ||
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-श्रीधर पाठक | -श्रीधर पाठक | ||
-मुकुटधर पांडेय | -मुकुटधर पांडेय | ||
|| [[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]] | || [[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और [[कथा साहित्य]] में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{'प्रगतिवाद उपयोगितावाद का दूसरा नाम है।' यह कथन किसका है? | {'प्रगतिवाद उपयोगितावाद का दूसरा नाम है।' यह कथन किसका है? | ||
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{[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] को भारतीय [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] प्राप्त हुआ था- | {[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] को भारतीय [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] प्राप्त हुआ था- | ||
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-'रश्मिरथी' | -'[[रश्मिरथी -रामधारी सिंह दिनकर|रश्मिरथी]]' के लिए | ||
+'[[उर्वशी -रामधारी सिंह दिनकर|उर्वशी]]' | +'[[उर्वशी -रामधारी सिंह दिनकर|उर्वशी]]' के लिए | ||
-कुरुक्षेत्र' | -'[[कुरुक्षेत्र -रामधारी सिंह दिनकर|कुरुक्षेत्र]]' के लिए | ||
-'परशुराम की प्रतीक्षा' | -'[[परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह दिनकर|परशुराम की प्रतीक्षा]]' के लिए | ||
{'परहित सरिस धर्म नहि भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई'। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? | {'परहित सरिस धर्म नहि भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई'। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? | ||
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-[[बिहारीलाल]] | -[[बिहारीलाल]] | ||
-[[मीरा]] | -[[मीरा]] | ||
||गोस्वामी [[तुलसीदास]] [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें [[रामचरितमानस]], [[कवितावली]], [[विनयपत्रिका]], [[दोहावली]], [[गीतावली]], [[जानकीमंगल]], [[हनुमान चालीसा]], [[बरवै रामायण]] आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||गोस्वामी [[तुलसीदास]] [1497 (1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान [[बाँदा ज़िला]]) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें [[रामचरितमानस]], [[कवितावली]], [[विनयपत्रिका]], [[दोहावली]], [[गीतावली]], [[जानकीमंगल]], [[हनुमान चालीसा]], [[बरवै रामायण]] आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||
{'साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप'। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? | {'साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप'। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? | ||
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-[[मलिक मुहम्मद जायसी]] | -[[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||
-[[रसखान|रसख़ान]] | -[[रसखान|रसख़ान]] | ||
||[[ | || [[चित्र:Sant-Kabirdas.jpg|thumb|right|100px]] कबीरदास के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे गुरु रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से [[काशी]] की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को [[लहरतारा|लहरतारा ताल]] के पास फेंक आयी। उसे नीरु नाम का जुलाहा अपने घर ले आया। उनकी माता का नाम 'नीमा' था। उसी ने उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीर]] | ||
{'[[अष्टछाप]]' के सर्वश्रेष्ठ भक्त कवि कौन हैं? | {'[[अष्टछाप]]' के सर्वश्रेष्ठ भक्त कवि कौन हैं? | ||
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-[[परमानंद दास]] | -[[परमानंद दास]] | ||
-[[कृष्ण दास]] | -[[कृष्ण दास]] | ||
||[[हिन्दी]] | ||[[हिन्दी साहित्य]] के [[भक्तिकाल]] में कृष्ण भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने [[शृंगार रस|शृंगार]] और [[शान्त रस|शान्त रसों]] का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गाँव में हुआ था। कुछ लोगों का कहना है कि सूरदास जी का जन्म सीही नामक ग्राम में एक ग़रीब सारस्वत [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। बाद में वह [[आगरा]] और [[मथुरा]] के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। आचार्य [[रामचन्द्र शुक्ल]] जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत् 1540 वि. के सन्निकट और मृत्यु संवत 1620 वि. के आसपास मानी जाती है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||
{[[भूषण]] किस [[रस]] के कवि हैं? | {[[भूषण]] किस [[रस]] के कवि हैं? | ||
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+[[स्वयंभू देव|स्वयंभू]] | +[[स्वयंभू देव|स्वयंभू]] | ||
-अब्दुर रहमान | -अब्दुर रहमान | ||
-सरहपा | -[[सरहपा]] | ||
-[[पुष्पदंत]] | -[[पुष्पदंत]] | ||
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12:22, 1 दिसम्बर 2014 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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