"धसान नदी": अवतरणों में अंतर
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'''धसान नदी''' [[बुंदेलखंड]] की नदी है। 'धसान' शब्द 'दशार्ण' का ही अपभ्रंश है। धसान नदी की पहचान [[दशार्ण नदी]] से की जाती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=465|url=}}</ref> | '''धसान नदी''' [[बुंदेलखंड]] की नदी है। इस नदी की पहचान [[दशार्ण नदी]] से की जाती है। इसका उल्लेख कई पौराणिक ग्रन्थों में भी हुआ है। धसान नदी अपने बहाव के साथ कभी मुड़ती है, कभी बल खाकर चलती है, कभी नये मार्गों को तलाश कर लेती है, कभी आस-पास के कगारों को तोड़कर चलती है। इस प्रकार वह परिवर्तनशील होती हुई [[सागर]] की ओर निरंतर चलती चली जाती है। | ||
==उद्गम तथा प्रवाह क्षेत्र== | |||
'धसान' शब्द 'दशार्ण' का ही [[अपभ्रंश]] है। धसान नदी की पहचान [[दशार्ण नदी]] से की जाती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=465|url=}}</ref> यह नदी [[भोपाल]] की निकटवर्ती [[पर्वतमाला]] से निकलती है। [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] के जसरथ पर्वत से निकलकर धसान नदी सिलवानी तहसील की सिरमऊ, बेगमगंज तहसील की पिपलिया जागीर, बील खेड़ा, रतनहारी, सुल्तानागंज, उदका, टेकापार कलो, बिछुआ, सनेही, पडरया, राजधर, सोदतपुर ग्रामों के समीप से प्रवाहित होकर सागर ज़िले के नारियावली के उस पार तक बहती है। सागर ज़िले में यह सिहौरा, नरियावली, उल्दन, धामौनी, मैंहर, [[ललितपुर ज़िला|ललितपुर]] की<ref>महारोनी तहसील</ref> वनगुवा के तीन किलोमीटर पूर्व प्रवेश करती हुई [[टीकमगढ़ ज़िला|टीकमगढ़]] के दतना और [[छतरपुर]] की 70 किलोमीटर की सीमा बनाती हुई [[झांसी]], [[हमीरपुर उत्तर प्रदेश|हमीरपुर]] और [[जालौन]] के संधि स्थल के नीचे [[बेतवा नदी|बेतवा]] में मिल जाती है। | |||
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*[[महाभारत]] के [[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]] में [[नकुल]] की विजय के संदर्भ में [[दशार्ण नदी]] का भी उल्लेख है- | |||
<blockquote><poem>शान्ति रम्याः जनपदा बहन्नाः पारितः कुरून। | |||
पांचालश्चेदिमत्स्याश्च शूरसेनाः पटचराः। | |||
दशार्ण नवराष्ट्रं च मल्लाः शाल्वा युगंधरा।</poem></blockquote> | |||
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संपन्स्यन्ते कतिपय दिनं स्थायि हंसा दशार्णाः। - [[कालिदास]] ([[मेघदूत]])</poem></blockquote> | |||
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मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्त थैव च। - [[मार्कण्डेय पुराण]]<ref>मार्कण्डेय पुराण 57/20</ref></poem></blockquote> | |||
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दशार्ण नदी का [[अपभ्रंश]] आगे चलकर [[बुन्देली बोली]] में धसान हो गया है। यह शब्द [[बुन्देलखण्ड]] के जनमानस में इतना समा गया है कि अब दशार्ण को यहां का जन-जन धसान के नाम से ही उच्चारण करता है। | |||
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09:40, 24 दिसम्बर 2014 का अवतरण
धसान नदी बुंदेलखंड की नदी है। इस नदी की पहचान दशार्ण नदी से की जाती है। इसका उल्लेख कई पौराणिक ग्रन्थों में भी हुआ है। धसान नदी अपने बहाव के साथ कभी मुड़ती है, कभी बल खाकर चलती है, कभी नये मार्गों को तलाश कर लेती है, कभी आस-पास के कगारों को तोड़कर चलती है। इस प्रकार वह परिवर्तनशील होती हुई सागर की ओर निरंतर चलती चली जाती है।
उद्गम तथा प्रवाह क्षेत्र
'धसान' शब्द 'दशार्ण' का ही अपभ्रंश है। धसान नदी की पहचान दशार्ण नदी से की जाती है।[1] यह नदी भोपाल की निकटवर्ती पर्वतमाला से निकलती है। रायसेन ज़िले के जसरथ पर्वत से निकलकर धसान नदी सिलवानी तहसील की सिरमऊ, बेगमगंज तहसील की पिपलिया जागीर, बील खेड़ा, रतनहारी, सुल्तानागंज, उदका, टेकापार कलो, बिछुआ, सनेही, पडरया, राजधर, सोदतपुर ग्रामों के समीप से प्रवाहित होकर सागर ज़िले के नारियावली के उस पार तक बहती है। सागर ज़िले में यह सिहौरा, नरियावली, उल्दन, धामौनी, मैंहर, ललितपुर की[2] वनगुवा के तीन किलोमीटर पूर्व प्रवेश करती हुई टीकमगढ़ के दतना और छतरपुर की 70 किलोमीटर की सीमा बनाती हुई झांसी, हमीरपुर और जालौन के संधि स्थल के नीचे बेतवा में मिल जाती है।
पौराणिक उल्लेख
धसान नदी को हिन्दुओं के साथ-साथ जैन भी अपने तीर्थ स्थलों में स्थान देते हैं-
महाबोधिः पाटलाश्च नामतीर्थमवन्तिका महारूद्रौ महालिंगा दशार्णाः च नदी शुभा।[3]
- महाभारत के विराट पर्व में नकुल की विजय के संदर्भ में दशार्ण नदी का भी उल्लेख है-
शान्ति रम्याः जनपदा बहन्नाः पारितः कुरून।
पांचालश्चेदिमत्स्याश्च शूरसेनाः पटचराः।
दशार्ण नवराष्ट्रं च मल्लाः शाल्वा युगंधरा।
शोणो महानदश्चात्र नर्मदा सुरसरि क्रिया
मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्त थैव च। - मार्कण्डेय पुराण[4]
अपभ्रंश
दशार्ण नदी का अपभ्रंश आगे चलकर बुन्देली बोली में धसान हो गया है। यह शब्द बुन्देलखण्ड के जनमानस में इतना समा गया है कि अब दशार्ण को यहां का जन-जन धसान के नाम से ही उच्चारण करता है।
इन्हें भी देखें: दशार्ण नदी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 465 |
- ↑ महारोनी तहसील
- ↑ वामन पुराण
- ↑ मार्कण्डेय पुराण 57/20
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