"चित्र:Baldev-Holi-Mathura-29.jpg": अवतरणों में अंतर
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|अन्य विवरण=[[फाल्गुन]] के माह रंगभरनी एकादशी से सभी मन्दिरों में फाग उत्सव प्रारम्भ होते हैं जो दौज तक चलते हैं। दौज को बल्देव (दाऊजी) में हुरंगा होता है। [[बरसाना]], [[नन्दगाँव|नन्दगांव]], जाव, बठैन, जतीपुरा, आन्यौर आदि में भी होली खेली जाती है । यह [[ब्रज]] विशेष त्योहार है यों तो [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार इसका सम्बन्ध पुराणकथाओं से है और ब्रज में भी होली इसी दिन जलाई जाती है। | |अन्य विवरण=[[फाल्गुन]] के माह रंगभरनी एकादशी से सभी मन्दिरों में फाग उत्सव प्रारम्भ होते हैं जो दौज तक चलते हैं। दौज को बल्देव (दाऊजी) में हुरंगा होता है। [[बरसाना]], [[नन्दगाँव|नन्दगांव]], जाव, बठैन, जतीपुरा, आन्यौर आदि में भी होली खेली जाती है । यह [[ब्रज]] विशेष त्योहार है यों तो [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार इसका सम्बन्ध पुराणकथाओं से है और ब्रज में भी होली इसी दिन जलाई जाती है। | ||
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विवरण (Description) | दाऊजी मन्दिर का होरंगा, बलदेव Huranga in Dauji Temple, Baldev |
दिनांक (Date) | वर्ष - 2009 |
प्रयोग अनुमति (Permission) | © brajdiscovery.org |
अन्य विवरण | फाल्गुन के माह रंगभरनी एकादशी से सभी मन्दिरों में फाग उत्सव प्रारम्भ होते हैं जो दौज तक चलते हैं। दौज को बल्देव (दाऊजी) में हुरंगा होता है। बरसाना, नन्दगांव, जाव, बठैन, जतीपुरा, आन्यौर आदि में भी होली खेली जाती है । यह ब्रज विशेष त्योहार है यों तो पुराणों के अनुसार इसका सम्बन्ध पुराणकथाओं से है और ब्रज में भी होली इसी दिन जलाई जाती है। |
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चित्र का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
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वर्तमान | 07:06, 18 जुलाई 2010 | 3,000 × 2,008 (1.91 MB) | अश्वनी भाटिया (वार्ता | योगदान) |
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