"चने जोर गरम बाबू": अवतरणों में अंतर

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*[https://www.youtube.com/watch?v=M2EaJYbIUH0 चने जोर गरम बाबू (यू-ट्यूब)]
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==संबंधित लेख==
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संक्षिप्त परिचय
  • फ़िल्म : बंधन (1940)
  • संगीतकार : सरस्वती देवी
  • गायक : अरुण कुमार
  • गीतकार: प्रदीप

चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम
मेरे चने हैं चटपटे भैया और बड़े लासानी
और कैसे चाव से खाते देखो और रमजानी
और चुन्‍नू मुन्‍नू की जबान भी हो गयी पानी पानी
और कहें कबीर सुनो भई साधो सुनो गुरू की बानी ।।

पढ़ें मदरसे काजी बन तो चंद दिनों का ठाट
और पढ़ लिख कर सब चल दोगे तुम अपनी अपनी बाट
फिर कोई तुममें अफसर होगा कोई गवरनर लाट
तब मैं आऊंगा दफ्तर घूमने लिये चने की चाट
चने जोर गरम ।।

मेरा चना बना है आला
इसमें डाला गरम मसाला
चखते जाना जी तुम लाला
कहता हूं मैं दिल्‍ली वाला
इसका स्‍वाद है बड़ा निराला ।।

आई चने की बहार
खाते जाना जी सरकार
मेरे चने जायकेदार ।
अगर तुमको ना होय एतबार
मैं कहता हूं ललकार ।।

देख लो मेरा ये दरबार
जहां पर खड़े सिलसिलेवार
रियासत भर के सरदार
एक से एक सभी हुसियार
ये देखो मेरे सूबेदार
ये देखो मेरे तहसीलदार
ये हैं मेरे थानेदार
और ये बड़े सिपहसालार
वानर सेना के सरदार
चने जोर गरम बाबू
मैं लाया मजेदार चने जोर गरम ।।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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