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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2015|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | |||
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015|भूली-बिसरी कड़ियों का भारत]]</center> | |||
[[चित्र:Bharat-Ek-Khoj.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2015]] | |||
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इस कथा में उत्तर वैदिक काल की मान्यताओं की झलक मिलती है। एक स्त्री के द्वारा वचन निबाहने की पराकाष्ठा और एक शूद्रों के विद्रोही नेता, जिसकी जाति का पता नहीं, एक वैश्य स्त्री से विवाह करता है। उस स्त्री को एक ब्राह्मण से बेटा होता है, जिसे एक क्षत्रिय राजा गोद लेता है। इससे जाति के उतार-चढ़ाव का पता चलता है। चंद्रप्रभा के पिता के रूप में विद्रोही के अधिकार को ही मान्यता दी जाती है, न कि ब्राह्मण या क्षत्रिय के अधिकार को। व्यक्ति के अधिकार के संदर्भ में जाति को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2015|पूरा पढ़ें]] | |||
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] → | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015|भूली-बिसरी कड़ियों का भारत]] · | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|‘ब्रज’ एक अद्भुत संस्कृति]] · | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ.]] | |||
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14:26, 3 मार्च 2015 का अवतरण
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