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'''कविराजा मुरारीदान''' 'जसवंत जसोभूषण' की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। ये [[जोधपुर]], [[राजस्थान]] के महाराज [[जसवंत सिंह (राजा)|जसवतसिंह]] के आश्रय में थे। | '''कविराजा मुरारीदान''' 'जसवंत जसोभूषण' की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। ये [[जोधपुर]], [[राजस्थान]] के महाराज [[जसवंत सिंह (राजा)|जसवतसिंह]] के आश्रय में थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी साहित्य कोश, भाग 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= डॉ. धीरेंद्र वर्मा|पृष्ठ संख्या=78|url=}}</ref> | ||
*कविराजा [[संस्कृत]] के प्रकाण्ड पण्डित थे। | *कविराजा [[संस्कृत]] के प्रकाण्ड पण्डित थे। |
12:47, 21 मार्च 2015 के समय का अवतरण
कविराजा मुरारीदान 'जसवंत जसोभूषण' की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। ये जोधपुर, राजस्थान के महाराज जसवतसिंह के आश्रय में थे।[1]
- कविराजा संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित थे।
- 'जसवंत जसोभूषण' की रचना इन्होंने 1893 ई. (संवत 1950) में की थी। इसका लघु संस्करण 'जसवंत-भूषण' ग्रंथ है।
- आधुनिक काव्यशास्त्र में 'जसवंत-भूषण' पुस्तक का विशेष महत्त्व है। इसमें अलंकारों के लक्षण उनके नामों से ही निकाले गये हैं।
- समकालीन साहित्यिकों में इसकी आलोचना और चर्चा भी खूब हुई है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग 2 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 78 |