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'''झाँसी''' शहर दक्षिण- पश्चिम [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[उत्तर भारत]] एक प्रमुख सड़क व रेल जंक्शन पर स्थित मुख्य शहर है। यह एक दीवार से घिरा है, 1613 में [[ओरछा]] शासक द्वारा बनवाए गए क़िले के आसपास बसाया गया था। [[उत्तर प्रदेश]] का यह नगर मध्यकालीन है।  
'''झाँसी''' एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। '[[भारतीय इतिहास]]' में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। [[भारत]] की वीरांगनाओं में से एक [[रानी लक्ष्मीबाई|झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई]] की वीरता के लिए भी यह शहर जाना जाता है। झाँसी [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[मध्य प्रदेश]] की सीमा पर स्थित है और [[बुंदेलखंड|बुंदेलखंड क्षेत्र]] के अन्तर्गत आता है। यह एक प्रमुख रेल एवं सड़क केन्द्र है और साथ ही झाँसी ज़िले का प्रशासनिक केन्द्र भी है। झाँसी शहर पत्थर निर्मित क़िले के चारों तरफ़ फ़ैला हुआ है। यह क़िला शहर के मध्य स्थित बँगरा नामक पहाड़ी पर निर्मित है।
==इतिहास==
==इतिहास==
*1732 में यह क्षेत्र [[मराठा|मराठों]] के क़ब्जे में चला गया और 1853 में इस पर ब्रिटिश अधिकार हो गया। 1857 के विद्रोह में यहाँ ब्रिटिश अधिकारियों व नागरिक का संहार हुआ। [[1886]] में झाँसी ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया और इसके बदले उन्हें [[ग्वालियर]] ख़ाली करना पड़ा।
9वीं [[शताब्दी]] में झॉसी का राज्य [[खजुराहो]] के [[राजपूत]] [[चन्देल वंश]] के राजाओं के अन्तर्गत आया। कृत्रिम जलाशय एवं पहाड़ी क्षेत्र के वास्तुशिल्पिय खण्डहर शायद इसी काल के हैं। चन्देल वंश के बाद उनके सेवक खंगार ने इस क्षेत्र का कार्यभार सम्भाला। क़िले के समीप स्थित करार का क़िला इसी वंश के राजाओं ने बनवाया था। 14वीं शताब्दी के निकट [[बुन्देला|बुन्देलों]] ने विन्ध्याचंल क्षेत्र से नीचे मैदानी भागों में आना प्रारम्भ किया। वे धीरे-धीरे सारे मैदानी क्षेत्र में फैल गए, जिसे आज [[बुन्देलखण्ड]] के नाम से जाना जाता है। [[झाँसी का क़िला|झाँसी के क़िले]] का निर्माण 1613 ई. में [[ओरछा]] शासक [[वीरसिंह बुन्देला]] ने करवाया था। किवदंती है कि राजा वीरसिंह बुन्देला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी, जिसे [[बुन्देली बोली|बुन्देली भाषा]] में 'झाँई सी' बोला गया। इसी शब्द के [[अपभ्रंश]] से शहर का नाम झाँसी पड़ा। 17वीं शताब्दी में मुग़लकालीन शासकों के बुन्देला क्षेत्र में लगातार आक्रमण के कारण बुन्देला [[छत्रसाल|राजा छत्रसाल]] ने सन 1732 ई. में [[मराठा|मराठों]] से सहायता माँगी। 1734 ई. में छत्रसाल के निधन के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई भाग मराठों को दे दिया गया।
*यहाँ का दुर्ग [[ओरछा]] नरेश [[वीरसिंह बुन्देला]] ने 17वीं [[सदी]] में बनवाया था। कालांतर में यह [[पेशवा]] बाजीराव द्वितीय के अधीन हो गया। 1857 ई. में [[भारत]] के तथाकथित प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में यहाँ की [[झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई|रानी लक्ष्मीबाई]] ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] का जिस शौर्य एवं वीरता से मुक़ाबला किया, वह इतिहास प्रसिद्ध है।
 
मराठों ने इस शहर का विकास किया और इसके लिए [[ओरछा]] से लोगों को लाकर यहाँ बसाया। सन 1806 ई. में मराठा शक्ति के निर्बल होने पर ब्रिटिश राज तथा मराठों के मध्य एक समझौता हुआ, जिससे मराठों ने ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। 1817 ई. में मराठों ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सारे अधिकार ब्रिटिश [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] को दे दिए। सन [[1857]] ई. में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। तत्कालीन [[अंग्रेज़]] [[गवर्नर-जनरल]] ने झाँसी को पूरी तरह से अपने अधिकार में ले लिया। गंगाधर राव की विधवा [[रानी लक्ष्मीबाई]] ने इसका विरोध किया और कहा कि "राजा गंगाधर राव के दत्तक पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी माना जाये।" परन्तु ब्रिटिश राज ने इसे मानने से इंकार कर दिया। इन्हीं परिस्थितियों के चलते झाँसी में सन [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम|1857 ई. का संग्राम]] हुआ, जो कि [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के लिये नींव का पत्थर सिद्ध हुआ। [[जून]] 1857 ई. में 12वीं पैदल सेना के सैनिकों ने झाँसी पर कब्जा कर लिया और क़िले में मौजूद ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला। ब्रिटिश साम्राज्य से जंग के दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने स्वयं सैन्य संचालन किया। किन्तु रानी की मृत्यु के बाद 1858 ई. में झाँसी को पुन: ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। बाद में झाँसी के अधिकार [[ग्वालियर]] के राजा को दे दिये गए। सन [[1886]] ई. में झाँसी को यूनाइटेड प्रोविंस में जोड़ा गया, जो देश की आज़ादी के बाद [[1956]] में [[उत्तर प्रदेश]] बना।
==कृषि और उद्योग==
==कृषि और उद्योग==
झाँसी शहर में एक [[कृषि]] बाज़ार है और यहाँ स्टील रोलिंग मिल होने के साथ विनिर्माण कार्य भी होता है।  
झाँसी शहर में एक [[कृषि]] बाज़ार है और यहाँ स्टील रोलिंग मिल होने के साथ विनिर्माण कार्य भी होता है।  
==परिवहन==
;वायु मार्ग
झाँसी से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित [[ग्वालियर]] निकटतम एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट [[दिल्ली]], [[मुम्बई]], [[वाराणसी]], [[बैंगलोर]] आदि शहरों से हवाई उड़ान के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
;रेल मार्ग
झाँसी का रलवे स्टेशन [[भारत]] के तमाम प्रमुख शहरों अनेकों रेलगाड़ियों से जुड़ा है।
;सड़क मार्ग
झाँसी में राष्ट्रीय राजमार्ग 25 और 26 से अनेक शहरों से पहुँचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसें झाँसी पहुँचने के लिए अपनी सुविधा मुहैया कराती हैं।
==शिक्षा==
==शिक्षा==
*यहाँ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय है और रेलवे कॉलोनी व कार्यशालाएं भी है।  
*यहाँ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय है और रेलवे कॉलोनी व कार्यशालाएं भी है।  
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झाँसी क़िले में स्थित यह संग्रहालय [[इतिहास]] में रूचि रखने वाले पर्यटकों का मनपसंद स्थान है। यह संग्रहालय केवल झाँसी की ऐतिहासिक धरोहर को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण [[बुन्देलखण्ड]] की झलक प्रस्तुत करता है।   
झाँसी क़िले में स्थित यह संग्रहालय [[इतिहास]] में रूचि रखने वाले पर्यटकों का मनपसंद स्थान है। यह संग्रहालय केवल झाँसी की ऐतिहासिक धरोहर को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण [[बुन्देलखण्ड]] की झलक प्रस्तुत करता है।   
;गणेश मंदिर
;गणेश मंदिर
भगवान [[गणेश]] को समर्पित इस मंदिर में महाराज गंगाधर राव और वीरांगना लक्ष्मीबाई का [[विवाह]] हुआ था। झाँसी के नज़दीकी पर्यटन स्थलों में ओरछा, बरूआ सागर, [[शिवपुरी]], दतिया, [[ग्वालियर]], [[खजुराहो]], [[महोबा]], टोड़ी फतेहपुर, आदि भी दर्शनीय स्थल हैं।  
भगवान [[गणेश]] को समर्पित इस मंदिर में महाराज गंगाधर राव और वीरांगना लक्ष्मीबाई का [[विवाह]] हुआ था। झाँसी के नज़दीकी पर्यटन स्थलों में ओरछा, बरूआ सागर, [[शिवपुरी]], दतिया, [[ग्वालियर]], [[खजुराहो]], [[महोबा]], टोड़ी फतेहपुर, आदि भी दर्शनीय स्थल हैं।
==परिवहन==
;वायु मार्ग
झाँसी से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित [[ग्वालियर]] निकटतम एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट [[दिल्ली]], [[मुम्बई]], [[वाराणसी]], [[बैंगलोर]] आदि शहरों से हवाई उड़ान के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
;रेल मार्ग
झाँसी का रलवे स्टेशन [[भारत]] के तमाम प्रमुख शहरों अनेकों रेलगाड़ियों से जुड़ा है।
;सड़क मार्ग
झाँसी में राष्ट्रीय राजमार्ग 25 और 26 से अनेक शहरों से पहुँचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसें झाँसी पहुँचने के लिए अपनी सुविधा मुहैया कराती हैं।
==जनसंख्या==
==जनसंख्या==
झाँसी ज़िले की कुल जनसंख्या ([[2001]] की गणना के अनुसार) कुल 17,46,715 है। नगर की जनसंख्या 3,83,248 है।  
झाँसी ज़िले की कुल जनसंख्या ([[2001]] की गणना के अनुसार) कुल 17,46,715 है। नगर की जनसंख्या 3,83,248 है।  

13:48, 5 मई 2015 का अवतरण

झाँसी क़िला

झाँसी एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। 'भारतीय इतिहास' में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत की वीरांगनाओं में से एक झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के लिए भी यह शहर जाना जाता है। झाँसी उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है और बुंदेलखंड क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। यह एक प्रमुख रेल एवं सड़क केन्द्र है और साथ ही झाँसी ज़िले का प्रशासनिक केन्द्र भी है। झाँसी शहर पत्थर निर्मित क़िले के चारों तरफ़ फ़ैला हुआ है। यह क़िला शहर के मध्य स्थित बँगरा नामक पहाड़ी पर निर्मित है।

इतिहास

9वीं शताब्दी में झॉसी का राज्य खजुराहो के राजपूत चन्देल वंश के राजाओं के अन्तर्गत आया। कृत्रिम जलाशय एवं पहाड़ी क्षेत्र के वास्तुशिल्पिय खण्डहर शायद इसी काल के हैं। चन्देल वंश के बाद उनके सेवक खंगार ने इस क्षेत्र का कार्यभार सम्भाला। क़िले के समीप स्थित करार का क़िला इसी वंश के राजाओं ने बनवाया था। 14वीं शताब्दी के निकट बुन्देलों ने विन्ध्याचंल क्षेत्र से नीचे मैदानी भागों में आना प्रारम्भ किया। वे धीरे-धीरे सारे मैदानी क्षेत्र में फैल गए, जिसे आज बुन्देलखण्ड के नाम से जाना जाता है। झाँसी के क़िले का निर्माण 1613 ई. में ओरछा शासक वीरसिंह बुन्देला ने करवाया था। किवदंती है कि राजा वीरसिंह बुन्देला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी, जिसे बुन्देली भाषा में 'झाँई सी' बोला गया। इसी शब्द के अपभ्रंश से शहर का नाम झाँसी पड़ा। 17वीं शताब्दी में मुग़लकालीन शासकों के बुन्देला क्षेत्र में लगातार आक्रमण के कारण बुन्देला राजा छत्रसाल ने सन 1732 ई. में मराठों से सहायता माँगी। 1734 ई. में छत्रसाल के निधन के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई भाग मराठों को दे दिया गया।

मराठों ने इस शहर का विकास किया और इसके लिए ओरछा से लोगों को लाकर यहाँ बसाया। सन 1806 ई. में मराठा शक्ति के निर्बल होने पर ब्रिटिश राज तथा मराठों के मध्य एक समझौता हुआ, जिससे मराठों ने ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। 1817 ई. में मराठों ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सारे अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दे दिए। सन 1857 ई. में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। तत्कालीन अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल ने झाँसी को पूरी तरह से अपने अधिकार में ले लिया। गंगाधर राव की विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने इसका विरोध किया और कहा कि "राजा गंगाधर राव के दत्तक पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी माना जाये।" परन्तु ब्रिटिश राज ने इसे मानने से इंकार कर दिया। इन्हीं परिस्थितियों के चलते झाँसी में सन 1857 ई. का संग्राम हुआ, जो कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिये नींव का पत्थर सिद्ध हुआ। जून 1857 ई. में 12वीं पैदल सेना के सैनिकों ने झाँसी पर कब्जा कर लिया और क़िले में मौजूद ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला। ब्रिटिश साम्राज्य से जंग के दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने स्वयं सैन्य संचालन किया। किन्तु रानी की मृत्यु के बाद 1858 ई. में झाँसी को पुन: ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। बाद में झाँसी के अधिकार ग्वालियर के राजा को दे दिये गए। सन 1886 ई. में झाँसी को यूनाइटेड प्रोविंस में जोड़ा गया, जो देश की आज़ादी के बाद 1956 में उत्तर प्रदेश बना।

कृषि और उद्योग

झाँसी शहर में एक कृषि बाज़ार है और यहाँ स्टील रोलिंग मिल होने के साथ विनिर्माण कार्य भी होता है।

शिक्षा

  • यहाँ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय है और रेलवे कॉलोनी व कार्यशालाएं भी है।
  • यहाँ बुंदेलखंड इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट व एम.एल. बी. मेडिकल कॉलेज भी है।

पर्यटन

झाँसी के राजाओं की समाधियां
झाँसी क़िला

झाँसी का क़िला उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत के सबसे बेहतरीन क़िलों में से एक है। ओरछा के राजा बीर सिंह देव ने यह क़िला 1613 ई. में बनवाया था। क़िला बंगरा नामक पहाड़ी पर बना है। क़िले में प्रवेश के लिए दस दरवाज़े हैं। क़िले में रानी झाँसी गार्डन, शिव मंदिर और ग़ुलाम गौस ख़ान, मोती बाई व ख़ुदा बक्श की मजार देखी जा सकती है।

रानी महल

रानी लक्ष्मीबाई के इस महल की दीवारों और छतों को अनेक रंगों और चित्रकारियों से सजाया गया है। वर्तमान में क़िले को संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यहां नौवीं से बारहवीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियों का विस्तृत संग्रह देखा जा सकता है।

झांसी संग्रहालय

झाँसी क़िले में स्थित यह संग्रहालय इतिहास में रूचि रखने वाले पर्यटकों का मनपसंद स्थान है। यह संग्रहालय केवल झाँसी की ऐतिहासिक धरोहर को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड की झलक प्रस्तुत करता है।

गणेश मंदिर

भगवान गणेश को समर्पित इस मंदिर में महाराज गंगाधर राव और वीरांगना लक्ष्मीबाई का विवाह हुआ था। झाँसी के नज़दीकी पर्यटन स्थलों में ओरछा, बरूआ सागर, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर, खजुराहो, महोबा, टोड़ी फतेहपुर, आदि भी दर्शनीय स्थल हैं।

परिवहन

वायु मार्ग

झाँसी से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्वालियर निकटतम एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, वाराणसी, बैंगलोर आदि शहरों से हवाई उड़ान के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

झाँसी का रलवे स्टेशन भारत के तमाम प्रमुख शहरों अनेकों रेलगाड़ियों से जुड़ा है।

सड़क मार्ग

झाँसी में राष्ट्रीय राजमार्ग 25 और 26 से अनेक शहरों से पहुँचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसें झाँसी पहुँचने के लिए अपनी सुविधा मुहैया कराती हैं।

जनसंख्या

झाँसी ज़िले की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) कुल 17,46,715 है। नगर की जनसंख्या 3,83,248 है।


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