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         '''[[पद्मावत]]''' एक प्रेमगाथा है, जो आध्यात्मिक स्वरूप में है। [[मलिक मुहम्मद जायसी]] द्वारा रचित 'पद्मावत' की [[कथा]] प्रेममार्गी सूफ़ी कवियों की भांति काल्पनिक न होकर [[चित्तौड़गढ़|चित्तौड़]] के राजा रत्नसेन और सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती ([[पद्मिनी|रानी पद्मिनी]]) की प्रसिद्ध ऐतिहासिक प्रेमगाथा पर आधारित है। 'नागमती के विरह-वर्णन' में तो 'जायसी' ने अपनी संवेदना गहन रूप से वर्णित की है। कथा का द्वितीय भाग ऐतिहासिक है, जिसमें चित्तौड़ पर [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के आक्रमण और 'पद्मावती के जौहर' का सजीव वर्णन है। 'पद्मावत' [[मसनवी]] शैली में रचित एक [[महाकाव्य]] है जिसमें कुल 57 खंड हैं। इस महाकाव्य का प्रारम्भ काल्पनिक कथा से है और अंत इतिहास पर आधारित है। जायसी ने इतिहास और कल्पना, दोनों का मिश्रण किया है। जायसी ही लिखते हैं कि उन्होंने 'पद्मावत' की रचना 927 [[हिजरी]] में प्रारंभ की। [[क्रिकेट|... और पढ़ें]]</poem>
         '''[[पद्मावत]]''' एक प्रेमगाथा है, जो आध्यात्मिक स्वरूप में है। [[मलिक मुहम्मद जायसी]] द्वारा रचित 'पद्मावत' की [[कथा]] प्रेममार्गी सूफ़ी कवियों की भांति काल्पनिक न होकर [[चित्तौड़गढ़|चित्तौड़]] के राजा रत्नसेन और सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती ([[पद्मिनी|रानी पद्मिनी]]) की प्रसिद्ध ऐतिहासिक प्रेमगाथा पर आधारित है। 'नागमती के विरह-वर्णन' में तो 'जायसी' ने अपनी संवेदना गहन रूप से वर्णित की है। कथा का द्वितीय भाग ऐतिहासिक है, जिसमें चित्तौड़ पर [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के आक्रमण और 'पद्मावती के जौहर' का सजीव वर्णन है। 'पद्मावत' [[मसनवी]] शैली में रचित एक [[महाकाव्य]] है जिसमें कुल 57 खंड हैं। इस महाकाव्य का प्रारम्भ काल्पनिक कथा से है और अंत इतिहास पर आधारित है। जायसी ने इतिहास और कल्पना, दोनों का मिश्रण किया है। जायसी ही लिखते हैं कि उन्होंने 'पद्मावत' की रचना 927 [[हिजरी]] में प्रारंभ की। [[पद्मावत|... और पढ़ें]]</poem>
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12:41, 22 मई 2015 का अवतरण

एक रचना

        पद्मावत एक प्रेमगाथा है, जो आध्यात्मिक स्वरूप में है। मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित 'पद्मावत' की कथा प्रेममार्गी सूफ़ी कवियों की भांति काल्पनिक न होकर चित्तौड़ के राजा रत्नसेन और सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती (रानी पद्मिनी) की प्रसिद्ध ऐतिहासिक प्रेमगाथा पर आधारित है। 'नागमती के विरह-वर्णन' में तो 'जायसी' ने अपनी संवेदना गहन रूप से वर्णित की है। कथा का द्वितीय भाग ऐतिहासिक है, जिसमें चित्तौड़ पर अलाउद्दीन ख़िलजी के आक्रमण और 'पद्मावती के जौहर' का सजीव वर्णन है। 'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक महाकाव्य है जिसमें कुल 57 खंड हैं। इस महाकाव्य का प्रारम्भ काल्पनिक कथा से है और अंत इतिहास पर आधारित है। जायसी ने इतिहास और कल्पना, दोनों का मिश्रण किया है। जायसी ही लिखते हैं कि उन्होंने 'पद्मावत' की रचना 927 हिजरी में प्रारंभ की। ... और पढ़ें