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'''हरि नारायण आपटे''' [[1864]] ई., [[1919]] ई. मराठी के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि, नाटककार थे। हरि नारायण आपटे का जन्म खान देश में हुआ। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्तकाल से मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे।  
'''हरि नारायण आपटे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hari Narayan Apte'', जन्म- [[8 मार्च]], [[1864]]; मृत्यु- [[3 मार्च]], [[1919]]) [[मराठी भाषा]] के प्रसिद्ध [[उपन्यासकार]], [[कवि]] तथा नाटककार थे। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। [[गुप्त काल]] से लेकर [[मराठा|मराठों]] की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण [[उपन्यास]] लिखे।
==विद्यार्थी जीवन==
==परिचय==
[[पूना]] में पढ़ते समय इनके भावुक हृदय पर निबंधमालाकार चिपलूणकर और उग्र सुधारक आगरकर का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इसी अवस्था में इन्होंने कई [[अंग्रेजी]] कहानियों का मराठी में सरस अनुवाद किया। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने [[संस्कृत]] के [[नाटक|नाटकों]] का तथा स्कॉट, डिकसन्‌, थैकरे, रेनाल्ड्स इत्यादि के [[उपन्यास|उपन्यासों]] का गहरा अध्ययन किया और लोकमंगल की दृष्टि से उपन्यास रचना की आकांक्षा इनमें अंकुरित हुई।<ref name="aa">{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF_%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A3_%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%9F%E0%A5%87 |title=हरि नारायण आपटे |accessmonthday= |accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिन्दी }}</ref>
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==लेखन कार्य==
==उपन्यास==
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====सामाजिक कृतियाँ====
==चरित्र चित्रण==
हरि नारायण आपटे की सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। मुख्य सामाजिक उपन्यासों में 'मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' उत्कृष्ट हैं। ये चरित्र चित्रण करने में सिद्धहस्त थे। इनकी रचनाओं में यथार्थवाद, ध्येयवाद और आदर्शवाद का मनोहर संगम है। साथ ही मिल और स्पेंसर के बुद्धिवाद का रोचक विवेचन भी है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया।
ऐतिहासिक उपन्यासों में चंद्रगुप्त, उष:काल, गड आला पण सिंह गेला, और वज्राघात आपटे की उत्कृष्ट कृतियाँ है। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्तकाल से मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे। 'वज्राघात' इनकी अंतिम कृति है जिसमें दक्षिण के विजयानगरम्‌ राज्य के नाश का प्रभावकारी चित्रण है। इसकी भाषा काव्यपूर्ण और सरस है। इनके सामाजिक उपन्यास ऐतिहासिक उपन्यास जैसे सजीव चरित्र चित्रण से ओतप्रोत है। ये सर्त्य, शिर्व, सुंदरम्‌ के अनन्य उपासक थे। इनकी कहानियाँ 'स्फुट गोष्ठी' नामक चार पुस्तकों में संगृहीत हैं। इनमें चरित्र चित्रण तथा घटना चित्रण का मनोहर संगम है। कला तथा सौंदर्य की अभिव्यक्ति करते हुए जनजागरण का उदात्त कार्य करते में ये सफल रहे।         <ref name="aa"/>
 
इनके सामाजिक उपन्यास ऐतिहासिक उपन्यास जैसे सजीव चरित्र चित्रण से ओतप्रोत हैं। ये सर्त्य, शिर्व, सुंदरम्‌ के अनन्य उपासक थे। इनकी कहानियाँ 'स्फुट गोष्ठी' नामक चार पुस्तकों में संगृहीत हैं। इनमें चरित्र चित्रण तथा घटना चित्रण का मनोहर संगम है। कला तथा सौंदर्य की अभिव्यक्ति करते हुए जनजागरण का उदात्त कार्य करते में ये सफल रहे।<ref name="aa"/>
==ऐतिहासिक उपन्यास==
इनके ऐतिहासिक उपन्यासों में 'चंद्रगुप्त', 'उष:काल', 'गड आला पण सिंह गेला' और 'वज्राघात' उत्कृष्ट कृतियाँ है। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। [[गुप्त काल]] से मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे। 'वज्राघात' हरि नारायण आपटे की अंतिम कृति है, जिसमें दक्षिण के [[विजयनगर साम्राज्य|विजयानगरम्‌ राज्य]] के नाश का प्रभावकारी चित्रण है। इसकी [[भाषा]] काव्यपूर्ण और सरस है।


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13:19, 17 जून 2015 का अवतरण

हरि नारायण आपटे (अंग्रेज़ी: Hari Narayan Apte, जन्म- 8 मार्च, 1864; मृत्यु- 3 मार्च, 1919) मराठी भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि तथा नाटककार थे। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्त काल से लेकर मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे।

परिचय

हरि नारायण आपटे का जन्म ख़ानदेश (महाराष्ट्र) में हुआ था। पूना में पढ़ते समय इनके भावुक हृदय पर निबंधमालाकार चिपलूणकर और उग्र सुधारक आगरकर का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इसी अवस्था में इन्होंने कई अंग्रेज़ी कहानियों का मराठी में सरस अनुवाद किया। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने संस्कृत के नाटकों का तथा स्कॉट, डिकसन, थैकरे, रेनाल्ड्स इत्यादि के उपन्यासों का गहरा अध्ययन किया और लोकमंगल की दृष्टि से उपन्यास रचना की आकांक्षा इनमें अंकुरित हुई।[1]

लेखन कार्य

सन 1885 में हरि नारायण आपटे का 'मघली स्थिति' नामक पहला सामाजिक उपन्यास एक समाचार पत्र में क्रमश: प्रकाशित होने लगा। बी. ए. की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर इन्होंने 'करमणूक' नामक पत्रिका का संपादन करना आरंभ किया। यह कार्य ये अट्ठाईस वर्षों तक सफलता से करते रहे। इस पत्रिका में इनके लगभग इक्कीस उपन्यास प्रकाशित हुए, जिनमें दस सामाजिक और ग्यारह ऐतिहासिक हैं। मराठी उपन्यास के क्षेत्र में क्रांति का संदेश लेकर ये अवर्तीण हुए। इनकी रचनाओं से मराठी उपन्यास साहित्य की सर्वांगीण समृद्धि हुई।

सामाजिक कृतियाँ

हरि नारायण आपटे की सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। मुख्य सामाजिक उपन्यासों में 'मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' उत्कृष्ट हैं। ये चरित्र चित्रण करने में सिद्धहस्त थे। इनकी रचनाओं में यथार्थवाद, ध्येयवाद और आदर्शवाद का मनोहर संगम है। साथ ही मिल और स्पेंसर के बुद्धिवाद का रोचक विवेचन भी है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया।

इनके सामाजिक उपन्यास ऐतिहासिक उपन्यास जैसे सजीव चरित्र चित्रण से ओतप्रोत हैं। ये सर्त्य, शिर्व, सुंदरम्‌ के अनन्य उपासक थे। इनकी कहानियाँ 'स्फुट गोष्ठी' नामक चार पुस्तकों में संगृहीत हैं। इनमें चरित्र चित्रण तथा घटना चित्रण का मनोहर संगम है। कला तथा सौंदर्य की अभिव्यक्ति करते हुए जनजागरण का उदात्त कार्य करते में ये सफल रहे।[1]

ऐतिहासिक उपन्यास

इनके ऐतिहासिक उपन्यासों में 'चंद्रगुप्त', 'उष:काल', 'गड आला पण सिंह गेला' और 'वज्राघात' उत्कृष्ट कृतियाँ है। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्त काल से मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे। 'वज्राघात' हरि नारायण आपटे की अंतिम कृति है, जिसमें दक्षिण के विजयानगरम्‌ राज्य के नाश का प्रभावकारी चित्रण है। इसकी भाषा काव्यपूर्ण और सरस है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हरि नारायण आपटे (हिन्दी) भारतखोज।

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