"साँचा:एक रचना": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो ("साँचा:एक रचना" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि))) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{| style="background:transparent; width:100%" | {| style="background:transparent; width:100%" | ||
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">एक रचना</font> | |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">एक रचना</font> |
12:01, 29 जून 2015 का अवतरण
पद्मावत एक प्रेमगाथा है, जो आध्यात्मिक स्वरूप में है। मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित 'पद्मावत' की कथा प्रेममार्गी सूफ़ी कवियों की भांति काल्पनिक न होकर चित्तौड़ के राजा रत्नसेन और सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती (रानी पद्मिनी) की प्रसिद्ध ऐतिहासिक प्रेमगाथा पर आधारित है। 'नागमती के विरह-वर्णन' में तो 'जायसी' ने अपनी संवेदना गहन रूप से वर्णित की है। कथा का द्वितीय भाग ऐतिहासिक है, जिसमें चित्तौड़ पर अलाउद्दीन ख़िलजी के आक्रमण और 'पद्मावती के जौहर' का सजीव वर्णन है। 'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक महाकाव्य है जिसमें कुल 57 खंड हैं। इस महाकाव्य का प्रारम्भ काल्पनिक कथा से है और अंत इतिहास पर आधारित है। जायसी ने इतिहास और कल्पना, दोनों का मिश्रण किया है। जायसी ही लिखते हैं कि उन्होंने 'पद्मावत' की रचना 927 हिजरी में प्रारंभ की। ... और पढ़ें |