"नारायण": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
| [[भगवत् (विष्णु)|भगवत्]]
| [[भगवत् (विष्णु)|भगवत्]]
| [[शर्व (विष्णु)|शर्व]]
| [[शर्व (विष्णु)|शर्व]]
| [[नारायण]]
| [[चतुर्भुज]]
| [[कृष्ण]]
| [[कृष्ण]]
| [[वैकुण्ठ (विष्णु)|वैकुण्ठ]]
| [[वैकुण्ठ (विष्णु)|वैकुण्ठ]]
पंक्ति 34: पंक्ति 34:
| [[इन्द्रावरज]]
| [[इन्द्रावरज]]
| [[चक्रपाणि]]
| [[चक्रपाणि]]
| [[चतुर्भुज]]
| [[मुरमर्दन]]
|-
|-
| [[पद्मानाभ]]
| [[पद्मानाभ]]
पंक्ति 60: पंक्ति 60:
| [[विश्वरूप]]
| [[विश्वरूप]]
| [[मुकुन्द]]
| [[मुकुन्द]]
| [[मुरमर्दन]]
|
|
|}
|}

07:30, 21 अगस्त 2010 का अवतरण

भगवान विष्णु
God Vishnu

इन्हें भी देखें: नारायणोपनिषद एवं नारायण की आरती

  • भगवान विष्णु का नाम नारायण भी है। चार भुजाधारी भगवान विष्णु के दाहिनी एवं ऊर्ध्व भुजा के क्रम से अस्त्र विशेष ग्रहण करने पर केशव आदि नाम होते हैं अर्थात, दाहिनी ओर का ऊपर का हाथ, दाहिनी ओर का नीचे का हाथ, बायीं ओर का ऊपर का हाथ और बायीं ओर का नीचे का हाथ- इस क्रम से चारों हाथों में शंख, चक्र आदि आयुधों को क्रम या व्यतिक्रमपूर्वक धारण करने पर भगवान की भिन्न-भिन्न संज्ञाएँ होती हैं। उन्हीं संज्ञाओं का निर्देश करते हुए यहाँ भगवान का पूजन बतलाया जाता है।
  • पद्म, गदा, चक्र और शंख के क्रम से शस्त्र धारण करने पर उन्हें 'नारायण' कहते हैं।
  • सम्पूर्ण जीवों के आश्रय होने के कारण भगवान श्री विष्णु ही नारायण कहे जाते हैं।
  • कल्प के प्रारम्भ में एकमात्र सर्वव्यापी भगवान नारायण ही थे। वे ही सम्पूर्ण जगत की सृष्टि करके सबका पालन करते हैं और अन्त में सबका संहार करते हैं।
  • नारायण के जप का प्रमुख मन्त्र- ॐ नमो नारायणाय
भगवान विष्णु के अन्य नाम
भगवत् शर्व चतुर्भुज कृष्ण वैकुण्ठ विष्टरश्रवस् दामोदर ह्रषिकेश
केशव माधव स्वभू दैत्यारि पुण्डरीकाक्ष गोविन्द गरुड़ध्वज पीताम्बर
अच्युत शार्गिं विष्वक्सेन जनार्दन उपेन्द्र इन्द्रावरज चक्रपाणि मुरमर्दन
पद्मानाभ मधुरिपु वासुदेव त्रिविक्रम देवकीनन्दन शौरि श्रीपति पुरुषोत्तम
वनमालिन् बलिध्वंसिन् कंसाराति अधोक्षज विश्वम्भर कैटभजित् विधु श्रीवत्सलाञ्छन
पुराणपुरुष[1] यज्ञपुरुष नरकान्तक जलशायिन् विश्वरूप मुकुन्द


शब्द संदर्भ
हिन्दी विष्णु, कृष्ण यजुर्वेद के अंतर्गत एक उपनिषद, एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र, ‘अ’ अक्षर की संज्ञा, पूस का महीना, पौष मास
-व्याकरण    पुल्लिंग (संज्ञा नार-अयन)
-उदाहरण  
-विशेष   
-विलोम   
-पर्यायवाची    ईश्वर, परमात्मा, भगवान
संस्कृत
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अन्य पुस्तकों में 'पुराणपुरुष' से लेकर 'मुदमर्दन' तक श्लोक नहीं है, अतः वहाँ केवल 39 ही नाम गिनाये गए हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

सम्बंधित लिंक