"पहेली 31 दिसम्बर 2015": अवतरणों में अंतर

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-[[लॉर्ड डलहौज़ी|डलहौज़ी]]
-[[लॉर्ड डलहौज़ी|डलहौज़ी]]
-[[लॉर्ड डफ़रिन|डफ़रिन]]
-[[लॉर्ड डफ़रिन|डफ़रिन]]
||[[चित्र:Bullet-Holes-Jallianwalah-Bagh-Amritsar.jpg|150px|right|गोली के निशान, जलियांवाला बाग़, अमृतसर]]'जलियाँवाला बाग़' [[अमृतसर]], [[पंजाब]] में स्थित है। इस स्थान पर [[13 अप्रैल]], [[1919]] को भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलाकर बड़ी संख्या में उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का नेतृत्व [[जनरल डायर]] ने किया। वह [[रविवार]] का दिन था, जब आसपास के गांवों के अनेक किसान [[हिन्दू|हिंदुओं]] तथा [[सिक्ख धर्म|सिक्खों]] का उत्सव बैसाखी मनाने अमृतसर आए। [[जलियाँवाला बाग़]] चारों ओर से घिरा हुआ था। अंदर जाने का केवल एक ही रास्ता था। जनरल डायर ने अपने सिपाहियों को बाग़ के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात किया था। डायर ने बिना किसी चेतावनी के 50 सैनिकों को गोलियाँ चलाने का आदेश दिया और चीख़ते, आतंकित भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर 10-15 मिनट में 1650 गोलियाँ दाग़ दी गईं। जनरल डायर ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के लिए तर्क दिये और कहा कि- 'नैतिक और दूरगामी प्रभाव' के लिए यह ज़रूरी था।' डायर ने स्वीकार कर कहा कि- 'अगर और कारतूस होते, तो फ़ायरिंग ज़ारी रहती।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जलियांवाला बाग़]], [[जनरल डायर]]
||[[चित्र:Bullet-Holes-Jallianwalah-Bagh-Amritsar.jpg|150px|right|गोली के निशान, जलियांवाला बाग़, अमृतसर]]'जलियाँवाला बाग़' [[अमृतसर]], [[पंजाब]] में स्थित है। इस स्थान पर [[13 अप्रैल]], [[1919]] को भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलाकर बड़ी संख्या में उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का नेतृत्व [[जनरल डायर]] ने किया। वह [[रविवार]] का दिन था, जब आसपास के गांवों के अनेक किसान [[हिन्दू|हिंदुओं]] तथा [[सिक्ख धर्म|सिक्खों]] का उत्सव [[बैसाखी]] मनाने अमृतसर आए। [[जलियाँवाला बाग़]] चारों ओर से घिरा हुआ था। अंदर जाने का केवल एक ही रास्ता था। डायर ने अपने सिपाहियों को बाग़ के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात किया था। उसने बिना किसी चेतावनी के 50 सैनिकों को गोलियाँ चलाने का आदेश दिया और चीख़ते, आतंकित भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर 10-15 मिनट में 1650 गोलियाँ दाग़ दी गईं। अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के लिए डायर ने कहा कि- 'नैतिक और दूरगामी प्रभाव' के लिए यह ज़रूरी था।' डायर ने स्वीकार कर कहा कि- 'अगर और कारतूस होते, तो फ़ायरिंग ज़ारी रहती।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जलियांवाला बाग़]], [[जनरल डायर]]
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13:05, 25 दिसम्बर 2015 का अवतरण