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{{सूचना बक्सा साहित्यकार
#REDIRECT [[हसरत मोहानी]]
|चित्र=Blankimage.png
|चित्र का नाम=हसरत मुहानी
|पूरा नाम=मौलना हसरत मुहानी
|अन्य नाम=फ़ज़्लुल्हसन
|जन्म=[[1 जनवरी]] [[1875]]  ई.
|जन्म भूमि=उन्नाव
|मृत्यु=[[13 मई]] [[1951]] ई.
|मृत्यु स्थान=कानपुर
|अभिभावक=
|पालक माता-पिता=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=भारत
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ='कुलियात-ए-हसरत'
|विषय=
|भाषा=ऊर्दू
|विद्यालय=
|शिक्षा=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=उर्दू शायर
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
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|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=हसरत ने अपना सारा जीवन कविता करने तथा स्वतंत्रता के संघर्ष में प्रयत्न एवं कष्ट उठाने में व्यतीत किया। इनकी [[कविता]] का संग्रह 'कुलियात-ए-हसरत' के नाम से प्रकाशित है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''मौलना हसरत मुहानी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hasrat Mohani'', जन्म-[[1 जनवरी]] [[1875]] ई.: मृत्यु-[[13 मई]] [[1951]] ई.)  [[लखनऊ]] के प्रसिद्ध शायर 'तस्लीम' के शिष्य थे। ये एक प्रसिद्ध [[कवि]] भी थे। इनका उपनाम नाम फ़ज़्लुल्हसन था, इनका उपनाम इतना प्रसिद्ध हुआ कि लोग इनका वास्तविक नाम भूल गए।<ref name="nn">{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80|title=हसरत मुहानी|accessmonthday=24 जुलाई|accessyear=2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज|language=हिन्दी}}</ref>
==जन्म तथा शिक्षा==
हसरत मुहानी का जन्म [[1 जनवरी]] 1875 ई. में [[उन्नाव ज़िला|उन्नाव ज़िले]] के एक मुहान कस्बा में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी और उसके बाद यह [[अलीगढ़]] चले गए। [[अलीगढ़]] के छात्र दो दलों में बँटे हुए थे। एक दल देशभक्त था और दूसरा दल स्वार्थभक्त था। ये प्रथम दल में सम्मिलित होकर उसकी प्रथम पंक्ति में आ गए। यह तीन बार कॉलेज से निर्वासित हुए। उन्होंने सन [[1903]] ई. में बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके अंर्तगत इन्होंने एक पत्रिका 'उर्दुएमुअल्ला' भी निकाली और नियमित रूप से स्वतंत्रता के आंदोलन में भाग लेने लगे। यह कई बार जेल गए तथा देश के लिए बहुत कुछ बलिदान किया। उन्होंने एक खद्दर भण्डार भी खोला, जो खूब चला।
==प्रसिद्ध शायर==
हसरत मुहानी [[लखनऊ]] के प्रसिद्ध [[शायर]] 'तस्लीम' के शिष्य थे और मोमिन तथा नसीम लखनवी को बहुत मानते थे। हसरत ने [[उर्दू]] [[गजल]] को एक नितांत नए तथा उन्नतिशील मार्ग पर मोड़ दिया है। उर्दू [[कविता]] में स्त्रियों के प्रति जो शुद्ध और लाभप्रद दृष्टिकोण दिखलाई देता है, प्रेयसी जो सहयात्री तथा मित्र रूप में दिखाई पड़ती है तथा समय से टक्कर लेती हुई अपने प्रेमी के साथ सहदेवता तथा मित्रता दिखलाती ज्ञात होती है, वह बहुत कुछ हसरत ही की देन है।
==गजल तथा कविता==
उन्होंने ने गजलों में ही [[शासन]], [[समाज]] तथा [[इतिहास]] की बातों का ऐसे सुंदर ढंग से उपयोग किया है कि उसका प्राचीन रंग अपने स्थान पर पूरी तरह बना हुआ है। उनकी [[गजल|गजलें]] अपनी पूरी सजावट तथा सौंदर्य को बनाए रखते हुए भी ऐसा माध्यम बन गई हैं कि जीवन की सभी बातें उनमें बड़ी सुंदरता से व्यक्त की जा सकती है। उन्हें सहज में उन्नतशील गजलों का प्रर्वतक कहा जा सकता है। हसरत ने अपना सारा जीवन कविता करने तथा स्वतंत्रता के संघर्ष में प्रयत्न एवं कष्ट उठाने में व्यतीत किया। [[साहित्य]] तथा राजनीति का सुंदर सम्मिलित कराना कितना कठिन है, ऐसा जब विचार उठता है, तब स्वत: हसरत की [[कविता]] पर दृष्टि जाती है। इनकी कविता का संग्रह 'कुलियात-ए-हसरत' के नाम से प्रकाशित है।<ref name="nn"/>
==निधन==
हसरत मुहानी की मृत्यु [[13 मई]], सन [[1951]] ई. को [[कानपुर]] में हुई थी।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{उर्दू शायर}}
[[Category:कवि]][[Category:उर्दू शायर]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
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06:30, 19 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

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