"आब गई आदर गया -रहीम": अवतरणों में अंतर
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
11:37, 4 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
- अर्थ
ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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