"बड़े काम ओछो करै -रहीम": अवतरणों में अंतर

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जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब [[हनुमान]] जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब [[कृष्ण|श्री कृष्ण]] ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्वजन की रक्षा हेतु [[पर्वत]] को उठाया था।
जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब [[हनुमान]] जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब [[कृष्ण|श्री कृष्ण]] ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्वजन की रक्षा हेतु [[पर्वत]] को उठाया था।


{{लेख क्रम3| पिछला=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=बड़े काम ओछो करै -रहीम}}
{{लेख क्रम3| पिछला=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=माली आवत देख के -रहीम}}
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10:40, 10 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥

अर्थ

जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्वजन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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