"मन मोती अरु दूध रस -रहीम": अवतरणों में अंतर

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मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते।
मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते।


{{लेख क्रम3| पिछला=रहिमन चुप हो बैठिये -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमह ओछे नरन सो -रहीम}}
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11:34, 10 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥

अर्थ

मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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