"करत निपुनई गुन बिना -रहीम": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('<div class="bgrahimdv"> करत निपुनई गुन बिना, ‘रहिमन’ निपुन हजूर।<br...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।
बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।


{{लेख क्रम3| पिछला=कमला थिर न रहिम कहि -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=कहि रहिम संपति सगे -रहीम}}
{{लेख क्रम3| पिछला=कमला थिर न रहिम कहि -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=कहि रहीम संपति सगे -रहीम}}
</div>
</div>



11:19, 13 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

करत निपुनई गुन बिना, ‘रहिमन’ निपुन हजूर।
मानहुं टेरत बिटप चढि, मोहि समान को कूर॥

अर्थ

बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख