"गिरा अरथ जल बीचि": अवतरणों में अंतर

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{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र का नाम=रामचरितमानस
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|कवि= [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]]
|मूल_शीर्षक = [[रामचरितमानस]]
|मुख्य पात्र = [[राम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]], [[हनुमान]], [[रावण]] आदि
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|पाठ 1=[[दोहावली]], [[कवितावली]], [[गीतावली]], [[विनय पत्रिका]], [[हनुमान चालीसा]]
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|पाठ 2=बालकाण्ड
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<poem>
;दोहा
गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
बंदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न॥18॥
</poem>
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;भावार्थ-
जो वाणी और उसके अर्थ तथा जल और जल की लहर के समान कहने में अलग-अलग हैं, परन्तु वास्तव में अभिन्न (एक) हैं, उन श्री सीतारामजी के चरणों की मैं वंदना करता हूँ, जिन्हें दीन-दुःखी बहुत ही प्रिय हैं॥18॥


{{लेख क्रम4| पिछला=पुनि मन बचन कर्म रघुनायक |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सरजू सरि कलि कलुष नसावनि}}
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==                                                     
<references/>
==संबंधित लेख==
{{तुलसीदास की रचनाएँ}}{{रामचरितमानस}}
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:हिन्दू धर्म ग्रंथ]]
[[Category:तुलसीदास]]
[[Category:सगुण भक्ति]]
[[Category:भक्ति साहित्य]]
[[Category:रामचरितमानस]]
[[Category:बालकाण्ड]]
[[Category:साहित्य कोश]]
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08:02, 19 मई 2016 का अवतरण