"हरषित गुर परिजन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
; | ;दोहा | ||
हरषित गुर परिजन अनुज भूसुर बृंद समेत। | हरषित गुर परिजन अनुज भूसुर बृंद समेत। | ||
चले भरत मन प्रेम अति सन्मुख कृपानिकेत॥3 क॥ | चले भरत मन प्रेम अति सन्मुख कृपानिकेत॥3 क॥ | ||
पंक्ति 40: | पंक्ति 40: | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=अवधपुरी प्रभु आवत जानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=बहुतक चढ़ीं अटारिन्ह}} | {{लेख क्रम4| पिछला=अवधपुरी प्रभु आवत जानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=बहुतक चढ़ीं अटारिन्ह}} | ||
''' | '''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
07:23, 3 जून 2016 के समय का अवतरण
हरषित गुर परिजन
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
हरषित गुर परिजन अनुज भूसुर बृंद समेत। |
- भावार्थ
गुरु वशिष्ठ जी, कुटुम्बी, छोटे भाई शत्रुघ्न तथा ब्राह्मणों के समूह के साथ हर्षित होकर भरत जी अत्यंत प्रेमपूर्ण मन से कृपाधाम श्री रामजी के सामने अर्थात् उनकी अगवानी के लिए चले॥3 (क)॥
हरषित गुर परिजन |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख