"आवत देखि लोग सब": अवतरणों में अंतर
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आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान। | आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान। | ||
नगर निकट प्रभु प्रेरेउ उतरेउ भूमि बिमान॥4 क॥ | नगर निकट प्रभु प्रेरेउ उतरेउ भूमि बिमान॥4 क॥ |
10:06, 3 जून 2016 के समय का अवतरण
आवत देखि लोग सब
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
- श्री रामजी का स्वागत, भरत मिलाप, सबका मिलनानन्द
आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान। |
- भावार्थ
कृपा सागर भगवान् श्री रामचंद्रजी ने सब लोगों को आते देखा, तो प्रभु ने विमान को नगर के समीप उतरने की प्रेरणा की। तब वह पृथ्वी पर उतरा॥4 (क)॥
आवत देखि लोग सब |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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