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मानो नई ब्यायी हुई [[गाय|गायें]] अपने छोटे बछड़ों को घर पर छोड़ परवश होकर वन में चरने गई हों और दिन का अंत होने पर (बछड़ों से मिलने के लिए) हुँकार करके थन से [[दूध]] गिराती हुईं नगर की ओर दौड़ी हों। प्रभु ने अत्यंत प्रेम से सब माताओं से मिलकर उनसे बहुत प्रकार के कोमल वचन कहे। वियोग से उत्पन्न भयानक विपत्ति दूर हो गई और सबने (भगवान से मिलकर और उनके वचन सुनकर) अगणित सुख और हर्ष प्राप्त किए।  
मानो नई ब्यायी हुई [[गाय|गायें]] अपने छोटे बछड़ों को घर पर छोड़ परवश होकर वन में चरने गई हों और दिन का अंत होने पर (बछड़ों से मिलने के लिए) हुँकार करके थन से [[दूध]] गिराती हुईं नगर की ओर दौड़ी हों। प्रभु ने अत्यंत प्रेम से सब [[माता|माताओं]] से मिलकर उनसे बहुत प्रकार के कोमल वचन कहे। वियोग से उत्पन्न भयानक विपत्ति दूर हो गई और सबने ([[ईश्वर|भगवान]] से मिलकर और उनके वचन सुनकर) अगणित सुख और हर्ष प्राप्त किए।  
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04:36, 5 जून 2016 के समय का अवतरण

जनु धेनु बालक बच्छ तजि
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
छन्द

जनु धेनु बालक बच्छ तजि गृहँ चरन बन परबस गईं।
दिन अंत पुर रुख स्रवत थन हुंकार करि धावत भईं॥
अति प्रेम प्रभु सब मातु भेटीं बचन मृदु बहुबिधि कहे।
गइ बिषम बिपति बियोगभव तिन्ह हरष सुख अगनित लहे॥

भावार्थ

मानो नई ब्यायी हुई गायें अपने छोटे बछड़ों को घर पर छोड़ परवश होकर वन में चरने गई हों और दिन का अंत होने पर (बछड़ों से मिलने के लिए) हुँकार करके थन से दूध गिराती हुईं नगर की ओर दौड़ी हों। प्रभु ने अत्यंत प्रेम से सब माताओं से मिलकर उनसे बहुत प्रकार के कोमल वचन कहे। वियोग से उत्पन्न भयानक विपत्ति दूर हो गई और सबने (भगवान से मिलकर और उनके वचन सुनकर) अगणित सुख और हर्ष प्राप्त किए।


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छन्द- शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्याय से उत्पन्न होता है। इस प्रकार, छंद की परिभाषा होगी 'वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं'। छंद का सर्वप्रथम उल्लेख 'ऋग्वेद' में मिलता है। जिस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण है, उसी प्रकार पद्य का छंद शास्त्र है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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