"अली आदिलशाह द्वितीय": अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "ई0" to "ई॰") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "॰" to ".") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
अली आदिलशाह द्वितीय [[बीजापुर]] के [[आदिलशाही वंश]] का आठवाँ सुल्तान (1656-73 | अली आदिलशाह द्वितीय [[बीजापुर]] के [[आदिलशाही वंश]] का आठवाँ सुल्तान (1656-73 ई.) था। जब वह तख्त पर बैठा उस समय उसकी उम्र केवल 18 वर्ष की थी। उसकी छोटी उम्र देखकर मुग़ल बादशाह [[शाहजहाँ]] ने दक्षिण के सूबेदार अपने पुत्र [[औरंगज़ेब]] को उस पर आक्रमण करने का आदेश दिया। मुग़लों ने बीजापुर पर हल्ला बोल दिया और युवा सुल्तान की फौंजों को कई जगह पराजित कर उसे 1656 ई. में राज्य के [[बीदर]], [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] और [[परेन्दा]] आदि क्षेत्रों को सौंप कर सुलह कर लेने के लिए विवश कर दिया। मुग़लों से संधि करने के बाद सुल्तान अली आदिलशाह द्वितीय ने मराठा नेता [[शिवाजी]] का दमन करने का निश्चय किया। जिसने उसके कई क़िलों पर अधिकार कर लिया था। 1659 ई. में उसने [[अफ़ज़ल ख़ाँ]] के नेतृत्व में एक बड़ी फौज शिवाजी के ख़िलाफ़ भेजी। शिवाजी ने अफ़ज़ल ख़ाँ को मार डाला और बीजापुर की सेना को पराजित कर दिया। इस प्रकार अली आदिलशाह द्वितीय को शिवाजी का दमन करने और उसकी बढ़ती हुई शक्ति को रोकने में सफलता नहीं मिली और वह मुग़ल और मराठा शक्तियों के बीच में चक्की के दो पाटों की भाँति दब गया। वह किसी प्रकार 1673 ई. में अपनी मृत्यु तक अपनी गद्दी बचाये रहा। | ||
[[Category:दक्कन_सल्तनत]][[Category:इतिहास_कोश]]__INDEX__ | [[Category:दक्कन_सल्तनत]][[Category:इतिहास_कोश]]__INDEX__ |
08:27, 25 अगस्त 2010 का अवतरण
अली आदिलशाह द्वितीय बीजापुर के आदिलशाही वंश का आठवाँ सुल्तान (1656-73 ई.) था। जब वह तख्त पर बैठा उस समय उसकी उम्र केवल 18 वर्ष की थी। उसकी छोटी उम्र देखकर मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने दक्षिण के सूबेदार अपने पुत्र औरंगज़ेब को उस पर आक्रमण करने का आदेश दिया। मुग़लों ने बीजापुर पर हल्ला बोल दिया और युवा सुल्तान की फौंजों को कई जगह पराजित कर उसे 1656 ई. में राज्य के बीदर, कल्याणी और परेन्दा आदि क्षेत्रों को सौंप कर सुलह कर लेने के लिए विवश कर दिया। मुग़लों से संधि करने के बाद सुल्तान अली आदिलशाह द्वितीय ने मराठा नेता शिवाजी का दमन करने का निश्चय किया। जिसने उसके कई क़िलों पर अधिकार कर लिया था। 1659 ई. में उसने अफ़ज़ल ख़ाँ के नेतृत्व में एक बड़ी फौज शिवाजी के ख़िलाफ़ भेजी। शिवाजी ने अफ़ज़ल ख़ाँ को मार डाला और बीजापुर की सेना को पराजित कर दिया। इस प्रकार अली आदिलशाह द्वितीय को शिवाजी का दमन करने और उसकी बढ़ती हुई शक्ति को रोकने में सफलता नहीं मिली और वह मुग़ल और मराठा शक्तियों के बीच में चक्की के दो पाटों की भाँति दब गया। वह किसी प्रकार 1673 ई. में अपनी मृत्यु तक अपनी गद्दी बचाये रहा।