"सुनि भुसुंडि के बचन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>
;चौपाई
;दोहा
सुनि भुसुंडि के बचन सुभ देखि राम पद नेह।
सुनि भुसुंडि के बचन सुभ देखि राम पद नेह।
बोलेउ प्रेम सहित गिरा गरुड़ बिगत संदेह॥124 ख॥
बोलेउ प्रेम सहित गिरा गरुड़ बिगत संदेह॥124 ख॥
पंक्ति 41: पंक्ति 41:
भुशुण्डिजी के मंगलमय वचन सुनकर और [[श्रीराम|श्रीराम जी]] के चरणों में उनका अतिशय प्रेम देखकर संदेह से भलीभाँति छूटे हुए [[गरुड़|गरुड़ जी]] प्रेमसहित वचन बोले॥124 (ख)॥  
भुशुण्डिजी के मंगलमय वचन सुनकर और [[श्रीराम|श्रीराम जी]] के चरणों में उनका अतिशय प्रेम देखकर संदेह से भलीभाँति छूटे हुए [[गरुड़|गरुड़ जी]] प्रेमसहित वचन बोले॥124 (ख)॥  
{{लेख क्रम4| पिछला=जासु नाम भव भेषज |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मैं कृतकृत्य भयउँ तव बानी}}
{{लेख क्रम4| पिछला=जासु नाम भव भेषज |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मैं कृतकृत्य भयउँ तव बानी}}
'''चौपाई'''- मात्रिक सम [[छन्द]] का भेद है। [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित [[हिन्दी]] का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[रामचरितमानस]] में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==   
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==   

05:36, 20 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

सुनि भुसुंडि के बचन
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

सुनि भुसुंडि के बचन सुभ देखि राम पद नेह।
बोलेउ प्रेम सहित गिरा गरुड़ बिगत संदेह॥124 ख॥

भावार्थ

भुशुण्डिजी के मंगलमय वचन सुनकर और श्रीराम जी के चरणों में उनका अतिशय प्रेम देखकर संदेह से भलीभाँति छूटे हुए गरुड़ जी प्रेमसहित वचन बोले॥124 (ख)॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
सुनि भुसुंडि के बचन
आगे जाएँ
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (उत्तरकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-540

संबंधित लेख